महाराणा प्रताप की वीरभूमि पर अकबर और औरंगज़ेब का महिमामंडन स्वीकार्य नहीं : अभाविप

कुलगुरु प्रो. सुनीता मिश्रा को पद से बर्खास्त करने की मांग
अजमेर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रो. सुनीता मिश्रा द्वारा मुग़ल शासक अकबर को महान राजा और क्रूर औरंगज़ेब को कुशल प्रशासक बताने जैसे आपत्तिजनक एवं भ्रामक बयान की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कड़ी निंदा करते हुए बुधवार को एसपीसीजीसीए कालेज के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

अभाविप के प्रदेश मंत्री जितेंद्र लोधा ने कहा कि यह बयान न केवल ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत है बल्कि मेवाड़ की गौरवशाली परंपरा एवं त्याग की भूमि का अपमान भी है। महाराणा प्रताप की वीरभूमि पर अकबर और औरंगज़ेब का महिमामंडन स्वीकार्य नहीं।

उदयपुर विश्वविद्यालय परिसर में अभाविप का गत तीन दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रही है। इसके साथ ही प्रान्तभर के सभी जिला मुख्यालयों पर छात्रों ने एक स्वर में कुलगुरु का पुतला दहन कर विरोध दर्ज कराया। इसी क्रम में मंगलवार को सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय परिसर के बाहर अभाविप के कार्यकर्ताओं ने कुलगुरु सुनीता मिश्रा का पुतला दहन कर विरोध दर्ज कराया।

एबीवीपी ने ने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रो. सुनीता मिश्रा को तत्काल पद से बर्खास्त करने, इस प्रकरण पर तुरंत संज्ञान लेकर कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित की मांग की।

अभाविप अजयमेरु महानगर मंत्री खुशाल प्रजापति ने कहा कि अकबर साम्राज्य विस्तार के लिए आक्रामक नीतियां अपनाने वाला आक्रांता था, जिसके विरोध में महाराणा प्रताप ने आजीवन संघर्ष किया। औरंगज़ेब धार्मिक कट्टरता, मंदिरों के विध्वंस और अत्याचारों के लिए कुख्यात रहा। ऐसे में अकबर-औरंगज़ेब का महिमामंडन कर कुलगुरु ने न केवल विद्यार्थियों को भ्रमित किया बल्कि समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।

राज्यपाल महोदय के नाम सौपे ज्ञापन में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि कुलगुरु को समय रहते पद से नहीं हटाया गया तो ABVP बाध्य होकर प्रदेशव्यापी आंदोलन खड़ा करेगी। इसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।

अभाविप ने साफ शब्दों में कहा है कि महाराणा प्रताप की धरती पर अकबर-औरंगज़ेब का महिमामंडन कतई स्वीकार नहीं। यदि सरकार और प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई नहीं की तो परिषद एक व्यापक छात्र आंदोलन की शुरुआत करेगी।

प्रताप और पृथ्वीराज चौहान की तुलना अकबर से करना दुर्भग्यपूर्ण

गत 12 सितंबर को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान प्रणाली और राष्ट्रीय शिक्षा नीति विषयक संगोष्ठी में कुलगुरु द्वारा अपने संबोधन में महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान की तुलना अकबर से करने और औरंगजेब को सबसे कुशल प्रशासक बताए जाने पर घोर आपत्ति व्यक्त करते हुए विद्या भारती चित्तौड़ प्रांत के अध्यक्ष डॉ संतोष आनंद ने इस घटना को शिक्षा क्षेत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताया।

विद्या भारती चित्तौड़ प्रांत की टोली बैठक में इस विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत की आन बान शान के लिए जिन्होंने अपना सर्वस्व अर्पण किया उनकी तुलना अकबर से करना तथ्यहीन और असंगत है।

प्रांत मंत्री डॉ सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा ने इसे तथ्यहीन और असंगत करार देते हुए कहा कि इतिहास के क्रूर शासक औरंगजेब को कुशल प्रशासक बताना भारतीय संस्कृति का अपमान है। यह विद्यार्थियों को भटकाने वाला वक्तव्य है, इसे अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़े, गुरु तेगबहादुर और छत्रपति संभाजी की हत्या कराई, जजिया कर लगाया और भारतीय परंपराओं को कुचलने का प्रयास किया। ऐसे शासक को ‘कुशल प्रशासक’ कहना औपनिवेशिक और वामपंथी इतिहासकारों की विकृत व्याख्या को दोहराना है।

प्रांत निरीक्षक नवीन झा ने जानकारी देते हुए बताया शिक्षा क्षेत्र में कार्य करने वाले अग्रणी संगठन के रूप में विद्या भारती चित्तौड़ प्रांत राज्य सरकार और महामहिम राज्यपाल से मांग करती है कि कुलगुरु पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।