भाजपा कार्यकारिणी : जमकर की सेवा, नहीं मिला मेवा 

सबगुरु न्यूज-आबूरोड। पिछले छह महीने से भाजपा के क्रियाकलापों से जिले में ये पता नहीं चल रहा था कि जिला मुख्यालय सिरोही है या आबूरोड। जिला स्तरीय बैठक हो या जिला स्तरीय नेता से संबंधित कोई आयोजन। मुख्य आयोजन स्थल आबूरोड ही रहता था। जिला कार्यकारिणी गठित होनी थी। उसमें जगह लेने के लिए जिले भर के नेता बढ़ चढ़कर हर आयोजन में हिस्सा ले रहे थे। नेताओं को खुश करने के लिए अपनी जेबें ढीली करके स्टेशन से रीको तक और स्टेशन से तलहटी तक होर्डिंग बैनर से पाट दे रहे थे। लेकिन कार्यकारणी आई तो ऐसे सभी नेता ठिकाने लग गए। अब आबूरोड में उनकी ही चर्चा गर्म है। तो संगठन के लिए अपना दोहन करवा चुके ऐसे नेताओं के समर्थको में क्रंदन है। ये क्रंदन भाजपा में ही हो इतना नहीं और कार्यकारिणी को लेकर क्रंदन वो भी मचाती रही, लेकिन उसके क्रंदन पूरी तरह से बेमानी नजर आते हैं।

– आबूरोड से भी कई पुराने चेहरो को जगह ही नहीं

हवाई पट्टी पर अमित शाह को आना हो या रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को। रेलवे स्टेशन पर ओम बिड़ला को उतरना हो या भाजपा के नव नियुक्त प्रदेशाध्यक्ष को। स्टेशन चौराहा, अंबाजी चुंगी नाका, मानपुर चौराहा से तलहटी मार्ग को सांसद, विधायक और जिलाध्यक्ष के होर्डिंगों पाटने की जिम्मेदारी आबूरोड के नेता बखूबी अपनाते रहे। इच्छा सिर्फ छोटी सी थी कि जिला कार्यकारिणी में पांव जमाने की जगह मिल जाए। लेकिन, जिला संगठन को वो भी नागवार गुजरा।

खाया पीया कुछ नहीं गिलास तोड़ा बारह आना। मतलब तन, मन, धन के इतने खर्चे के बाद भी हाथ कुछ ना लगा। संगठन में कई पुराने लोगों को फिर जगह दी गई है लेकिन आबूरोड में पिछली कार्यकारिणी कई लोग हटा दिए गए। इसमें सबसे पहला नाम जो आ रहा है वो है सतीश सेठी का पूर्व उपाध्यक्ष थे। जबकि सिरोही नारायण देवासी को फिर से इस पद पर आसीन किया गया है। छगन घांची भी रिपीट हुए, वो भी प्रमोशन के साथ। सेठी पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेश कोठारी के सबसे करीबी माने जाते रहे हैं, इस नाते नारायण पुरोहित के भी। यूं आबूरोड के बाहर देखा जाए तो योगेन्द्र गोयल को भी कार्यकारिणी से बाहर किया गया है। आबूरोड में इसे पुरोहित और कोठारी की लॉबी कैंची रूप में देखा जा रहा है। दोनों के ही खास लोगों को फिर से इस बार कार्यकारिणी में जगह नहीं मिलने की चर्चा रही।

आबूरोड में सांसद के करीबियों को भी कुछ खास तवज्जो नहीं दी गई। इनमें जो प्रमुख नाम आते हैं उनमें अजय ढाका और अजय वाला शामिल हैं। सांसद के किसी कार्यक्रम में होर्डिंग लगाने हों या नारेबाजी करनी हो। बुलडोजर लगा कर फूल बरसाने हों या फिर लोग इकट्ठे करने हों। ये दोनों आगे रहे। लेकिन, मिला कुछ नहीं। पार्टी में इन्हें मंत्री पद के लिए प्रमुख दावेदार माना जा रहा था, वाला पिछली कार्यकारिणी में मंत्री थे तो प्रमोशन के आकांक्षी थे। ये बात अलग है कि इनकी उम्र कम है तो आगे मौका मिलने की दुहाई इन्हें दी जा सकती ही।

झटका खाने में जो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है वो है पालिकाध्यक्ष मग़नदान का। जिला महामंत्री के एक दावेदारों में ये भी थे, यूं ये भी चर्चा है कि किसी अन्य पद से भी परहेज नहीं था। नवंबर में उनके पालिकाध्यक्ष वाला कार्यकाल पूर्ण होने के बाद इनके पास कोई खास स्थाई जिम्मेदारी नहीं रहेगी। जिला कार्यशाला का टेंट बंधवाना हो या प्रदेशाध्यक्ष के पहली बार आबूरोड आने पर रेलवे स्टेशन पर पंडाल लगवाना हो। अमित शाह के आने पर मानपुर से तलहटी तक सासंद, विधायक और जिलाध्यक्ष के होर्डिंग बंधवाने हों मगन दान वहां भी आगे नजर आए। लेकिन, जिला कार्यकारिणी में उनके हाथ कुछ ना लगा।

– चर्चा डिमोशन की भी

भाजपा की नई कार्यकारिणी में जगह नहीं मिलने, नजरअंदाज करने आदि के अलावा जिस एक और मुद्दे की चर्चा है वो डिमोशन की । रेवदर विधानसभा के प्रकाश रावल को छोड़ दिया जाए तो इस कार्यकारिणी में प्रमोशन लेने वाले कम ही पदाधिकारी है। रावल पिछली कार्यकारिणी में जिला मंत्री थे। वहीं सुरेश कोठारी की कार्यकारिणी में जिला मंत्री रहे परमवीर सिंह को रक्षा भंडारी ने प्रवक्ता बनाया है। यूं प्रदेश से भेजी जाने वाली सूची में दिए गए पदों में उपाध्यक्ष, महामंत्री और मंत्री का ही मुख्य पदों के रूप में जिक्र है। पिछली कार्यकारिणी में गीता अग्रवाल जिला उपाध्यक्ष थीं। इस बार उन्हें जिला मंत्री बनाया गया है। छगनलाल घांची लगातार जिला कार्यकारिणी में बने हुए हैं। नारायण पुरोहित ने उन्हें जिला मंत्री बनाया, सुरेश कोठारी ने जिला उपाध्यक्ष और अब रक्षा भंडारी ने भी अपनी कार्यकारिणी में उन्हें उसी पद पर आसीन रखा है। मतलब उनका प्रमोशन हुआ या स्थाई रहे।

यही स्थिति ताराराम माली की है, नारायण पुरोहित की कार्यकारिणी में भी वो जिला उपाध्यक्ष थे, अब भी। दुर्गाराम गरासिया नारायण पुरोहित की कार्यकारिणी में महामंत्री थे अब प्रमोट होकर जिला उपाध्यक्ष हो गए। यूं संगठन के लोगों का मानना है कि सक्रियता के लिहाज से गीता अग्रवाल उसी पद पर बने रहने की ज्यादा हकदार नजर आती हैं। लेकिन, उन्हें ताराराम माली, नारायण पुरोहित, छगन घांची या दुर्गाराम गरासिया की तरह उसी पद पर नहीं रखा बल्कि डिमोशन मिला।

– कांग्रेस को इसका अफसोस

भाजपा की कार्यकारिणी की एक तकलीफ क्रंदन कांग्रेस भी सोशल मीडिया पर करती नजर आई। वो है एक ही व्यक्ति के पास दो दो पद। यूं तो ये बात खुद जिला भाजपा में ही उठ रही है, लेकिन इसे सार्वजनिक बहस का मुद्दा कांग्रेस ने बनाया। कांग्रेस के नेता सोशल मीडिया पर ये पोस्ट करते दिखे कि भाजपा कार्यकारिणी में साधारण कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करके एक ही व्यक्ति को दो – दो पद दे दिए। रक्षा भंडारी के पास महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष के साथ साथ भाजपा जिला अध्यक्ष का पद भार भी है, गोपाल माली भाजयुमो जिला अध्यक्ष के साथ-साथ जिला कार्यकारिणी में प्रवक्ता का पद भी दे दिया।

लेकिन, कांग्रेस इस तकनीकी पहलू को नजरंदाज कर रही है कि प्रदेश अध्यक्ष बदलते ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा गठित मूल संगठनों और अनुषांगिक संगठनो के सारी कार्यकारिणियां भंग हो जाती हैं और सारे पदाधिकारी कार्यवाहक रह जाते हैं। ऐसे में रक्षा भंडारी और गोपाल माली सेंट सभी पदाधिकारी फिलहाल पूर्व प्रदेश अध्यक्ष द्वारा गठित मोर्चों की कार्यकारिणी के पूर्णकालिक नहीं कार्यवाहक पदाधिकारी हैं।