बारां। राजस्थान में बारां जिले के अंता विधानसभा उपचुनाव के लिए आखिर भारतीय जनता पार्टी ने काफी मशक्कतोंं के बाद अपने प्रत्याशी मोरपाल सुमन का एलान कर दिया है।
भाजपा प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही अब त्रिकोणीय मुकाबला बन गया है। कांग्रेस से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया मैदान में हैं, वहीं निर्दलीय के तौर पर बागी उम्मीदवार नरेश मीणा ताल ठोके हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार भाजपा में प्रत्याशी चयन को लेकर काफी विचार मंथन चल रहा था। अंता विधानसभा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके पुत्र सांसद दुष्यंत सिंह के क्षेत्र में आता है, इसलिए पार्टी इनकी सहमति के लिए प्रयासरत थी। काफी चर्चा, विचार, मंथन के बाद भाजपा ने मोरपाल सुमन को शुक्रवार को प्रत्याशी घोषित कर दिया।
मोरपाल वर्तमान में बारां पंचायत समिति के प्रधान हैं और स्थानीय होने के साथ ही कम चर्चित नेता के रूप में जाने जाते हैं। वह बारां पंचायत समिति के तीसाय गांव से सरपंच बने। 23 जनवरी 1995 में पंचायत समिति बारां के सदस्य निर्वाचित हुए। जनवरी 2000 में सरपंच का फिर चुनाव जीते। उनकी पत्नी नटी बाई 2010 से पंचायत समिति सदस्य भड़सुई, लिसाडिया से निर्वाचित हुई। 2020 से उनके पत्नी सरपंच पद पर काबिज है।
मोरपाल किराना एवं व्यापार संघ में पदाधिकारी हैं। इससे पहले वह अपने राजनीतिक गुरु गोपाल खंडेलवाल की किराना दुकान पर नौकरी करते थे। खंडेलवाल भाजपा और विश्व हिंदू परिषद में सक्रिय थे, जिससे उनका लोगों से संपर्क बना।
पार्टी सूत्रों के अनुसार मोरपाल के नाम पर कई महीनों की मंथन और सभी नेताओं के विचार विमर्श के बाद मोहर लगाई गयी है। जातीय समीकरणों के लिहाज से वह अंता विधानसभा क्षेत्र के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं।
भाजपा ने टिकट वितरण की रणनीति के तहत सैनी समाज का ध्यान रखा या है। मोरपाल सुमन भी सैनी समाज से हैं, और अंता में सैनी समाज के प्रभाव को देखते हुए पार्टी ने यह कदम उठाया। इसके अलावा श्री मोरपाल को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजदीकी नेताओं में माना जाता है, जिससे उनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत मानी जा रही है।
इस सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा, नरेश मीणा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतर रहे हैं। ऐसे में अंता विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना बन रही है, जिसमें स्थानीय राजनीति और जातीय समीकरण निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
अंता विधानसभा सीट पिछले वर्ष मई में रिक्त हुई थी। पूर्व विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी 20 वर्ष पुराने मामले में सजा होने के बाद रद्द कर दी गई थी। कंवरलाल पर उपखंड अधिकारी के खिलाफ पिस्तौल तानने का आरोप था, जिसके चलते उनकी सदस्यता समाप्त हुई। इसके बाद इस सीट पर छह महीने के भीतर उपचुनाव आयोजित करना अनिवार्य हो गया था।
अंता में कुल दो लाख 26 हजार 227 मतदाता हैं, जिनमें एक लाख 15 हजार 982 पुरुष, एक लाख 10 हजार 241 महिला और 4 अन्य मतदाता शामिल हैं। उपचुनाव की तैयारियों के लिए मतदाता सूची में एक हजार 336 नए वोटर जुड़े।
विश्लेषकों के अनुसार अंता उपचुनाव का परिणाम सरकार की स्थायित्व पर प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं डालेगा लेकिन यह राजनीतिक माहौल और जनता के नजरिए को प्रभावित करेगा। अगर भाजपा यहां जीत दर्ज करती है तो इसे सरकार की कामकाजी छवि पर जनता की मुहर के रूप में पेश किया जाएगा। वहीं, अगर कांग्रेस या निर्दलीय उम्मीदवार विजयी होते हैं, तो विपक्ष के लिए हमलावर होने का अवसर बनेगा।