चंद्रयान-3 : कक्षा की ओर बढ़ने की दूसरी प्रक्रिया सफल

चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 ने दूसरी कक्षा की ओर बढ़ने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। चन्द्रयान-3 को शुक्रवार को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था।

इसरो ने सोमवार को कहा कि चंद्रयान-3 के ऊपरी कक्षा में पहुंचने की दूसरी प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। अंतरिक्ष यान अब 41762 किलोमीटर गुणा 173 किलोमीटर की कक्षा में है। उसने कहा कि अगला चरण मंगलवार अपराह्न दो बजे से तीन बजे के बीच प्रस्तावित है। इसरो ने कहा कि अंतरिक्ष यान पूरी तरह से सामान्य और सुरक्षित है। अंतरिक्ष यान अब 41603 किलोमीटर गुणा 226 किलोमीटर की कक्षा में है। उसने कहा कि अगला चरण मंगलवार अपराह्न दो बजे से तीन बजे के बीच प्रस्तावित है।

इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा की ‘पहली कक्षा’ में बढ़ाने की प्रक्रिया आज सफलतापूर्वक पूरी की। इस प्रकार की प्रक्रिया चार बार और की जाएगी, जिसके बाद यह चंद्रमा की कक्षा में पहुंचेगा। इसरो ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी 31 जुलाई तक पृथ्वी से जुड़े चार और ‘अर्थ बाउंड मनूवर’ करेगी जिसके बाद एक अगस्त को ट्रांस लूनर इंसर्शन होगा।

चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को इसरो के सबसे भारी प्रक्षेपण यान एलवीएम3-एम4 द्वारा सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था और लगभग 16 मिनट की उड़ान अवधि के बाद इसे 36,500 किमी गुणा 170 किमी की अण्डाकार पार्किंग कक्षा में स्थापित किया गया था।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने चन्द्रयान-3 के प्रक्षेपण के बाद कहा कि 23 जुलाई को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान की चंद्रमा की सतह पर तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण सॉफ्ट लैंडिंग की योजना है।

चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल (एलएम), प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) और एक रोवर शामिल है, जिसका उद्देश्य भविष्य के अंतर-ग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को विकसित करना और प्रदर्शित करना है। चंद्रयान-3 की सफलता से यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के सबसे करीब का सतही मिशन पूरा करेगा, जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है। चंद्रमा का एक क्षेत्र जो भौगोलिक रूप से अद्वितीय है।

उन्हाेंने कहा कि चंद्रमा की सतह पर परफेक्ट सॉफ्ट लैंडिंग से भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा, जिससे वह अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों के चुनिंदा समूह में शामिल हो जाएगा। इससे पहले ऐसा कारनामा करने वाले देश अमेरिका, सावियत संघ और चीन है जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है।

भारत ने भी जुलाई 2019 में चंद्रयान-2 प्रक्षेपित कर अपने पहले प्रयास में करीब करीब यह उपलब्धि हासिल कर ली थी, लेकिन इससे पहले हीे लैंडर लैंडिंग स्थल के बहुत करीब पहुंचकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उन्होंने बताया कि मिशन लगभग 99.99 प्रतिशत सफल रहा था।

सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के माध्यम से इसरो अपने चंद्र मॉड्यूल द्वारा चंद्र सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करके और चंद्र भूभाग पर घूमकर नई- नई सीमाएं पार कर रहा है। चन्द्रयान-3 के सफलतापूर्वक लैंडिंग करने पर इसरो के भविष्य के अंतरग्रहीय मिशनों के लिए सहायक सिद्ध होने की उम्मीद है।

इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और पूरी तरह से प्रयासरत है और अपनी सफलता की क्षमता प्रदर्शित करने के लिए चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है।