वैचारिक आधार पर एनडीए का मुकाबला करने के लिए एकजुट विपक्ष की आवश्यकता : कांग्रेस

शहीद वीर नारायण सिंह नगर(रायपुर)। कांग्रेस ने वैचारिक आधार पर एनडीए का मुकाबला करने के लिए एकजुट विपक्ष की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा हैं कि किसी तीसरी ताकत के उभरने पर भाजपा एवं एनडीए को फायदा होगा।

पार्टी के यहां चल रहे 85वें पूर्ण अधिवेशन में आज यहां पारित राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया है कि धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी ताकतों की एकता कांग्रेस पार्टी के भविष्य की पहचान होंगी।प्रस्ताव के अनुसार कांग्रेस को समान विचारधारा वाली धर्मनिरपेक्ष ताकतों की पहचान करने,लामबंद करने के लिए पूरी ताकत झोंक देनी चाहिए।

हमें धर्मनिरपेक्ष क्षेत्रीय ताकतों को शामिल करना चाहिए,जो हमारी विचारधारा से सहमत हो। भाजपा के 2024 में कोई प्रतिस्पर्धी नही होने के बयान का जिक्र करते हुए कहा गया है कि ऐसा कहकर भाजपा नेता अहंकार के शिखर पर पहुंच गए है। यह सिर्फ कांग्रेस और अन्य पार्टियों के लिए ही नहीं बल्कि देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक बड़ी चुनौती है। कांग्रेस इस चुनौती का स्वागत करती है।

पार्टी ने कहा कि भाजपा के साढ़े आठ वर्षों के शासनकाल में नफरत की राजनीति ने खतरनाक रूप ले लिया है,और धार्मिक धुव्रीकरण अपने चरम पर पहुंच गया है। घृणा अपराध और अत्याचार कई गुना बढ़ गए है। अल्पसंख्यकों के बीच डर फैलाना भाजपा-आरएसएस शासन का लक्ष्य है। पार्टी ने कहा है कि अल्पसंख्यक देश की आबादी का लगभग पांचवा हिस्सा है। उऩ्हें अलग थलग करना अमानवीय है और यह देश की एकता अखंड़ता पर चोट करता है।

पार्टी ने कहा कि पिछले साढ़े आठ वर्षो में संविधान के संघवाद के सिद्धान्त को राज्यों के नुकसान के लिए मिटा दिया गया है। इसके साथ ही राज्यपालों की नियुक्तियों,उनके निर्णयों और भूमिकाओं ने उनके पद को उपहास में बदल दिया है। पार्टी ने मांग किया है कि जो राज्यपाल अपने पद का दुरूपयोग करते है, उन्हें अपने कार्यं के लिए सार्वजनिक रूप से जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

पार्टी ने प्रस्ताव में कहा हैं कि केन्द्र शासित राज्य जम्मू कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रयास करेंगी और लद्दाख और उसके लोगो को संविधान की छठीं अनुसूची के संरक्षण में लायेंगी।पार्टी ने उत्तर पूर्वी राज्यों, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के विशेष दर्ज को बहाल करने तथा आन्ध्रप्रदेश को भी विशेष दर्जा देने की प्रतिबद्दता जताई है।

पार्टी ने ईवीएम पर 14 से अधिक राजनीतिक दलों और कई एक्टीविस्ट एवं कम्प्यूटर विशेषज्ञों द्वारा जताई गई चिन्ता का उल्लेख करते हुए कहा कि कांग्रेस चुनाव आयोग के समक्ष इस मुद्दे को उठाने के लिए सभी समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ मिलकर व्यापक सहमति बनाएंगी। यदि चुनाव आयोग जवाब नही देता हैं तो अदालत में जाएगा। पार्टी ने 2014 के बाद से भाजपा पर बड़े पामाने पर दलबदल करवाने और चुनी हुई सरकारों को गिराने का उल्लेख करते हुए कहा हैं कि कांग्रेस ऐसी प्रथाओं को खत्म करने के लिए संविधान में संशोधन करेंगी।