नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने प्रसिद्ध उद्योगपति अनिल अंबानी की रिलायंस समूह की 18 संपत्तियों, फिक्स्ड डिपॉजिट, बैंक में जमा राशि और असूचीबद्ध निवेश में उनकी शेयरधारिता को जब्त किया है, जिनकी कीमत 1,120 करोड़ रुपए है।
ईडी ने शुक्रवार को यह जानकार देते हुए बताया कि यह कार्रवाई रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और यस बैंक फ्रॉड केस के सिलसिले में की गयी है। ईडी अधिकारी ने बताया कि कुर्क की गईं संपत्तियों में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की सात सम्पत्ति, रिलायंस पावर लिमिटेड की दो सम्पत्ति, रिलायंस वैल्यू सर्विस प्राइवेट लिमिटेड की नौ सम्पत्ति, रिलायंस वैल्यू सर्विस प्राइवेट लिमिटेड, रिलायंस वेंचर एसेट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, फी मैनेजमेंट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, आधार प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड, गेम्स इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर फिक्स्ड डिपॉजिट और रिलायंस वेंचर एसेट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड और फी मैनेजमेंट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा असूचीबद्ध निवेश में किए गए निवेश भी शामिल हैं।
इससे पहले, ईडी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरसीओएम), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड से जुड़े बैंक फ्रॉड मामलों में 8,997 करोड़ रुपए से ज़्यादा की सम्पत्तियों को जब्त किया था। इससे ग्रुप की कुर्क की गई संपत्तियों का कुल मूल्य 10,117 करोड़ रुपए हो गया है।
उन्होंने कहा कि ईडी ने अनिल अंबानी समूह की रिलायंस की अलग-अलग कंपनियों, जिनमें रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड, रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल), रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आरआईएल) और रिलायंस पावर लिमिटेड (आरएचएफएल) शामिल हैं, द्वारा सार्वजनिक तौर पर धन का धोखाधड़ी से दुरुपयोग का पता लगाया है। 2017-2019 के दौरान यस बैंक ने आरएचएफएल में 2,965 करोड़ रुपये और आरसीएफएल में 2,045 करोड़ रुपए निवेश किए थे। दिसंबर 2019 तक, ये गैर-निष्पादित हो गए।
आरसीएफएल पर बकाया 1,353.50 करोड़ रुपए था। अधिकारी ने बताया कि यस बैंक द्वारा अनिल अंबानी समूह की रिलायंस की कंपनियों में यह पैसा निवेश करने से पहले, यस बैंक को पहले के रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड से भारी फंड मिला था। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों के अनुसार, रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड कॉन्फ्लिक्ट-ऑफ-इंटरेस्ट नियमों के कारण समूह ग्रुप की फाइनेंस कंपनियों में सीधे राशि निवेश /हस्तांतरित नहीं कर सकता था। इसलिए, म्यूचुअल फंड योजनाओं में सार्वजनिक धन को उनके द्वारा अप्रत्यक्ष तरीके से डाला गया।
उन्होंने कहा कि ईडी ने आरसीओएम, अनिल अंबानी और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1989 की अलग-अलग धाराओं के तहत केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर भी जांच शुरू की है। आरसीओएम और उसकी ग्रुप कंपनियों ने 2010-2012 की अवधि से घरेलू और विदेशी कंपनियों से ऋण लिए थे, जिसमें से कुल 40,185 करोड़ रुपये बकाया हैं।
ईडी के अधिकारी ने कहा कि जांच में पता चला है कि एक कंपनी द्वारा एक बैंक से ली गई ऋण का इस्तेमाल दूसरी कंपियों द्वारा दूसरे बैंकों से लिए गए कर्ज को चुकाने, संबंधित पार्टियों को परिवर्तित करने और म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए किया गया था, जो ऋण की मंजूरी के लिए जारी पत्र लेटर के नियमों और शर्तों के खिलाफ था।



