शारदीय नवरात्र मेला महोत्सव
अजमेर। श्री मसाणिया भैरव धाम राजगढ़ पर चल रहे शारदीय नवरात्र मेला महोत्सव 2025 के समापन समारोह में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। नवमी रात्रि से ही श्रद्धालुओं का आगमन हो गया था।
बाबा भैरव व मां कालिका के जयघोष के बीच मुख्य उपासक चम्पालाल महाराज ने मनोकामनापूर्ण स्तम्भ की पूजा-अर्चना की। बाबा भैरव व मां कालिका की आरती उतारी। माता रानी की पूजा अर्चना कर प्रसाद का भोग लगाया।
धाम के प्रवक्ता अविनाश सेन ने बताया कि महोत्सव के दौरान मंदिर परिसर को खुश्बूदार फूलों से सजाया गया। गुलाबी और दूधिया रोशनी से मंदिर प्रांगण जगमगाता रहा। चम्पालाल महाराज ने श्रद्धालुओ को संबोधित करते हुए कहा कि जो देता है वही देवता है, क्योकि भगवान हमेशा अपने भक्तों को देता है उनसे कभी लेता नही। सत्य परेशान हो सकता है पराजित नही, जो भी भक्त सच्ची आस्था के साथ धाम पर आता है वह कुछ ना कुछ पाकर जरूर जाता है। महाराज ने श्रद्धालुओं से नशे को त्याग व रक्तदान करने करने की जरूरत बताते हुए कहा कि आपका रक्तदान किसी को जीवनदान दे सकता है।
शारदीय नवरात्रा मेला महोत्सव 2025 में बीते दस दिन से प्रज्जवलित अखण्ड ज्योति का सुबह विधिवत समापन किया गया। श्रद्वालुओं अखण्ड ज्योति की विशेष रामबाण औषधि रूपी चिमटी (भभूत) प्राप्त की। अखण्ड़ ज्योति की विशेषता यह है कि जिस पात्र में इसको प्रज्जवलित किया जाता है उसमें हजारों नारियल की चिटक, कई पीपे तेल व धूप हवन सामग्री ड़ालने पर भी यह पात्र कभी नहीं भरता।
अखण्ड ज्योति के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के रोग, कष्ट, बाधाए आदि दूर हो जाते हैं। श्रद्धालुओं ने सर्वधर्म मनोकामनापूर्ण स्तम्भ की विशेष परिक्रमा कर बाबा भैरव से मन्नत मांगी।
नवमी की रात भजन गायक ज्योति सैन, ममता सोनी व नरेश दगदी ने अपनी मधुर आवाज में अंगना पधारो महाराणी म्हारी कालका भवानी, राजगढ़ भैरूजी थारो देवरो रे, हेला पे हेलो देउ म्हारी मां, भैरू जी नाना रे नाना, दरबार है निराला काली के लाल का, अब तो आजा रे भैरू जी, मैया रानी तो छिप रही पहाड़ा में, आजा ये भवानी, राजगढ मे लाग्यो दरबार, झीणी झीणी उडे रे गुलाल आदि भजनों से मंत्रमुग्ध कर दिया।
शारदीय नवरात्रा महोत्सव के दौरान जिला प्रशासन की ओर से 10 दिन तक पुलिस बल तैनात किया गया। चिकित्सा एवं आयुर्वेद विभाग की मेडिकल टीम तैनात रही। मेले के दौरान व्यवस्था संभालने के लिए व्यवस्थापक ओमप्रकाश सैन, रमेश चन्द सेन, अविनाश सैन, यश, प्रकाश रांका, राहुल सैन, बीएल गोदारा, मणीराम काजला, नरेश चाहर, केसी जैन, कैलाश सेन, मनोहर लालवानी, राजू चावड़ा, कमल शर्मा, दीपक बसीटा, राजकुमार त्रिपाठी, उज्जवल राठौड, मनोहर सिंह, धर्मेन्द्र, सुरेश दायमा, तिलोक जटिया, सलीम एसके, कुल्दीप, मोनू, अर्जुन, विजय सिंह भवानीखेड़ा, महेन्द्र रावत, रामसिंह बाबल, मोहन छीपा, श्रवण रावत, चेतन आनन्द, श्याम शर्मा, दीपक सेन, अर्जुन सेन, धर्मेन्द्र सुरेश गुर्जर, मनीष चौहान, सुनिल चौहान, सुरेश काकाणी, रामप्रसाद मोर्य, अजीत चौधरी, हंसराज भडाणा, अमिताभ, भूपेन्द्र, मनीष केकड़ी, कन्हैया लाल, देवानन्द, अजय बुढ़ानिया, विनय, ओम माली, अमिताभ, यश जटिया आदि का विशेष योगदान रहा।