छठ पूजा के 4 दिनों में देश में लगभग आठ हज़ार करोड़ रुपए का हुआ व्यापार

नई दिल्ली। सत्रह नवंबर को नहाय-खाय से शुरू होकर तथा 20 नवम्बर तक चलने वाले चार दिवसीय छठ पूजा महोत्सव के दौरान बिहार और झारखंड के अलावा अन्य राज्यों में बसे बिहार के लोगों ने बेहद उत्साह एवं उमंग के साथ छठ पूजा पर विभिन्न राज्यों के रिटेल बाज़ारों से लगभग आठ हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के सामान की ख़रीदी की। आंकड़े के अनुसार देश भर में लगभग 20 करोड़ से अधिक लोग छठ पूजा कर रहे हैं जिनमें स्त्री, पुरुष के अलावा युवा तथा बच्चे सभी शामिल हैं।

कनफ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) जो इस वर्ष हर त्योहार के बिक्री के आंकड़े जारी कर रहा है, ने छठ पूजा की बिक्री के आंकड़े आज जारी करते हुए कहा कि छठ पूजा भारत की लोक संस्कृति का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है जो नहाय खाय से शुरू होकर चार दिनों में पारण पर समाप्त होता है। यह भारत की संस्कृत एवं सभ्यता है कि जहां छठ पूजा के दौरान उगते सूर्य के साथ पहले डूबते सूर्य की पूजा की जाती है जो इस बात को स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उगते के साथ तो सब होते हैं लेकिन भारत के लोग डूबते का भी सहारा बनते हैं।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि बिहार और झारखंड के अलावा यह त्योहार पूर्वी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी ज़ोर शोर से मनाया जाता है क्योंकि इन सभी राज्यों में बिहार के लोग बड़ी संख्या में काम करते हुए अपनी आजीविका अर्जित करते हैं।

भरतिया और खंडेलवाल ने बताया कि छठ पूजा के लिए जहां फल एवं फूल तथा सब्ज़ी की बिक्री बड़े पैमाने पर हुई वहीं वस्त्र, साड़ियां, गारमेंट, शृंगार की वस्तुएं, खाद्यान, आटा, चावल, दालें ज़ाहिद खाद्यान वस्तुएं, सिंदूर, सुपारी, छोटी इलायची एवं सहित पूजा का सामान, नारियल, आम की लकड़ी, मिट्टी के चूल्हे, देसी घी सहित अन्य सामान की ज़बरदस्त बिक्री हुई।

छठ पूजा का व्रत महिलाएं अपनी संतान और पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना को लेकर करती हैं। इस पूजा में लंबा सिंदूर पति के लिए बेहद शुभ माना जाता है और इसलिए छठ पूजा के दौरान महिलाएं नाक से मांग तक सिंदूर लगाती हैं। ऐसा माना जाता है महिलाएं जितना लंबा सिंदूर लगाती हैं उनके पति की आयु ही लंबी होती है। छठ पूजा के बाद अब त्योहारों की श्रृंखला 23 नवम्बर को समाप्त होगी जब देश भर में तुलसी विवाह बड़े पैमाने पर मनाया जायेगा और उसी दिन से देश में शादियों का सीजन भी शुरू हो जाएगा।