गुलाब चंद कटारिया ने असम के नए राज्यपाल के रूप में शपथ ली

गुवाहाटी। गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने गुलाब चंद कटारिया ने बुधवार को असम के नए राज्यपाल के रूप में शपथ दिलाई।

कटारिया (78) ने असम के 31वें राज्यपाल के रूप गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में शपथ ग्रहण किया। शंकरदेव कलाक्षेत्र असम का सांस्कृतिक संग्रहालय है। यह गुवाहाटी शहर के पंजाबाड़ी क्षेत्र में स्थित है। यह एक ही परिसर में पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र को दर्शाते हुए एक कला और सांस्कृतिक संग्रहालय है।

कटारिया राजस्थान के उदयपुर के निवासी हैं और वह प्रोफेसर जगदीश मुखी के स्थान पर राज्यपाल बने हैं। मुखी कार्यकाल पूरा करने के बाद रविवार को सेवानिवृत्त हो गए। जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कटारिया को असम का राज्यपाल नियुक्त किया था तब वह राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता थे।

कटारिया का जन्म 13 अक्टूबर 1944 को हुआ था और वह 2014 से 2018 तक राजस्थान के गृह मंत्री रह चुके हैं। वह राजस्थान भाजपा के वरिष्ठ नेता और पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्य रह चुके हैं। कटारिया मंगलवार को गुवाहाटी पहुंचे जहां लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय (एलजीबीआई) हवाई अड्डे पर राज्य के मंत्रियों और नौकरशाहों ने उनका स्वागत किया।

शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए सतीश पूनियां और राजेंद्र राठौड़

असम के नवनियुक्त राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया के शपथ ग्रहण समारोह में आज राजस्थान भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा सतीश पूनियां और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ शामिल हुए।

डा पूनियां एवं राठौड़ ने समारोह में शामिल होकर कटारिया को शुभकामनाएं दी। डॉ. पूनियां ने गुवाहाटी में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से शिष्टाचार मुलाकात भी की। इस दौरान दोनों के बीच असम और राजस्थान के विकास सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई।

डा पूनियां और राठौड़ ने असम दौरे पर गुवाहाटी में प्रवासी राजस्थानियों से संवाद भी किया। इस दौरान डा पूनियां ने प्रवासी राजस्थानियों को संबोधित करते हुए कहा कि एक कहावत बहुत पुरानी है कि जठे पहुंचे रेलगाड़ी बठे पहुंचे मारवाड़ी। मारवाड़ी इतने जज्बाती और परिश्रमी होते हैं कि जहां पहुंचे बैलगाड़ी वहां भी पहुंच जाए मारवाड़ी, तो रेलगाड़ी पहुंच गई, बैलगाड़ी पहुंच गई, अब इससे भी आगे जहां पहुंचे चीलगाड़ी वहां भी पहुंचे मारवाड़ी।

उन्होंने कहा कि दो करोड़ से अधिक प्रवासी राजस्थानी पूरी दुनियाभर में निवास करते हैं, व्यापार में, नौकरी में और विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं। राजस्थान के लोगों में व्यापार का हुनर है और ईश्वर उन्हें बौद्धिक क्षमता दी है, जिससे वे अपने परिश्रम से देश और दुनिया में अपनी छाप छोड़ रहे हैं।