राष्ट्र और धर्म के लिए सक्रिय होना सच्ची गुरुदक्षिणा : सदगुरु डॉ चारुदत पिंगले
अजमेर। आज संपूर्ण विश्व पर तृतीय विश्वयुद्ध की तलवार लटक रही है। देश के भीतर भी पहलगाम जैसे हालात, दंगे, फेक नैरेटिव्स, लव जिहाद, लैंड जिहाद आदि के जरिए हिन्दुओं को लक्ष्य बनाया जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में हिन्दू समाज में भ्रम की स्थिति है। महाभारत के समय अर्जुन भी इसी भ्रम में था, तब श्रीकृष्ण ने कहा था कि अधर्म के विरुद्ध संघर्ष करना ही धर्म है।
आज भी गुरु तत्त्व की यही अपेक्षा है कि हिन्दू साधना करके आत्मिक बल बढ़ाए और अधर्म के विरुद्ध सक्रिय हों। यही हमारी गुरु-शिष्य परंपरा का आदर्श है और उसी मार्ग पर चलना ही सच्ची गुरुदक्षिणा है। यह विचार हिन्दू जन जागृति समिति के राष्ट्र मार्गदर्शक संत सदगुरु डॉ चारुदत पिंगले ने सूचना केंद्र सभागार में आयोजित गुरुपूर्णिमा महोत्सव में व्यक्त किए।
महोत्सव में मार्गदर्शन करते हुए हिन्दू जन जागृति समिति राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के समन्वयक आनंद जखोटिया ने कहा कि गुरुपूर्णिमा का अर्थ है गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और गुरु सेवा का संकल्प लेने का दिन। गुरु-शिष्य परम्परा भारत कि महत्वपूर्ण विशेषता है। यह परम्परा विश्व कल्याण के लिए कार्य करती है। उदाहरण के लिए जब हिन्दू समाज निस्तेज हो गया था, तब हिन्दूओं की शक्ति को जागृत करने का कार्य समर्थ रामदास स्वामी और उनके शिष्य छत्रपति शिवाजी महाराज ने किया। उन्होंने हिन्दवी राज्य स्थापना के लिए अनेक युद्ध लड़े एवं हिन्दवी सेना तैयार कर धर्म की रक्षा की।
आज हम देख रहे है धर्म की दुर्दशा हो रही है। लोग सामाजिक एवं पारिवारिक स्तर पर धर्माचरण नहीं कर पा रहे। पहले के समय में धर्माचरण किया जाता था इसीलिए उस समय लोग संतुष्ट होते थे। आपस में प्रेम था। आज विज्ञान, भौतिक, तकनीक एवं संचार में प्रगति हुई है, जिस कारण आर्थिक समृद्धि तो आई परन्तु व्यक्ति की मानसिक शांति लुप्त हो गई है।
घर अब घर नहीं रहा, परिवार अब अलग होते जा रहे है। इसीलिए वास्तव में सुख और संतोष प्राप्त करना है तो धर्म की निष्ठा से पालन करना पड़ेगा। जीवन में साधना का महत्व जानकर स्वयं और परिवार, समाज को भी साधना करनी चाहिए, इससे हमें राष्ट्र धर्म कार्य करने की भी शक्ति मिलती है। सद्गुरु संत एवं भगवान को धर्मसेवा राष्ट्रसेवा करने वाले प्रिय होते हैं।
आज सम्पूर्ण विश्व पर तीसरे विश्व युद्ध की तलवार लटक रही है रूस- युक्रेनके बाद अभी इजराइल-फिलिस्तान क्षेत्र में युद्ध की चिंगारिया सुलग रही है। छोटा सा बांग्लादेश और पाकिस्तान भी भारत को ललकार रहा है। अब हमें हमारे देश धर्म की रक्षा के लिए स्वयं अपने कुलदेवी इष्ट की साधना करनी होंगी। हमारे मंदिरों, धर्म, देवी देवताओं के अनादर को रोकना होगा और पुनः स्वदेशी वस्तु का उपयोग करना होगा।
कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीव्यास पूजा, परमपूज्य भक्तराज महाराज के प्रतिमापूजन से हुआ। रामराज्य की स्थापना के लिए सामूहिक राम नामजप हुआ। संतों के संदेश का वाचन के बाद कार्यकर्ताओं के अनुभव, प्रोजेक्टर पर लघु चलचित्र चलाकर जनजागृति की गई। आत्मरक्षा के विभिन्न चलचित्र भी दिखाए गए।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय सहमंत्री आनंद गोयल ने कहा कि आज हम सभी को नजदीकी मंदिरों में सामूहिक मिलन कार्यक्रम, सामूहिक सुन्दरकाण्ड एवं हनुमान चालीसा जैसे आयोजन करने चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अजमेर में 125 मंदिरों में आज ऐसा हम मंदिर समिति एवं स्थानीय धर्मप्रेमी, भक्तों के साथ मिलकर कर रहे हैं। इस कार्य बढ़ाने के प्रयत्न जारी है। हिन्दू जन जागृति समिति कि ओर से कार्यक्रम में आनंद गोयल का सत्कार किया गया एवं उनके कार्य की सद्गुरु डॉ चारुदत पिंगले ने सराहना भी की।
महोत्सव के दौरान विविध आध्यात्मिक, राष्ट्र एवं धर्म विषयक ग्रंथों का के संकलन का अवलोकनार्थ रखा गया। राष्ट्र-धर्म से संबंधित पोस्टर प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसमें 200 से अधिक धर्मप्रेमी लाभान्वित हुए। इस मोके पर सेवा निवृत व्यख्याता राधेश्याम अग्रवाल, पूर्व न्यायधीश किशन गुर्जर, पंजाब नेशनल बैंक प्रबंधक राहुल सिसोदिया, मोहन खंडेलवाल, भंवर सिंह, लक्ष्मण महेश्वरी सहित भीलवाड़ा, जोधपुर, जयपुर के साधक, धर्मप्रेमी एवं गण मान्य जन उपस्थित रहे।
ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव
देश-विदेश के श्रद्धालुओं को गुरुपूर्णिमा का लाभ मिल सके, इसके लिए समिति की ओर से अंग्रेज़ी, कन्नड़, तेलुगु व बंगाली भाषाओं में ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव का प्रसारण किया गया। देशभर में अनेकानेक दर्शकों ने सहभाग लिया।