अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ
अजमेर। विद्या सीखना या पढ़ना इन दोनों में बहुत अंतर होता है। विद्या सीखने से हम कौशल युक्त हो जाते हैं जबकि पढ़ने से मात्र डिग्री प्राप्त होती है। गुरु एवं सद्गुरु में भी अंतर है। गुरु व्यक्ति न होकर व्यक्तित्व है तथा मूल भारतीय परंपरा में गुरु वह होता है जहां से आध्यात्मिक दिशा मिलती है किंतु आज शास्त्रोत्तर ज्ञान देने वाले गुरुओं से शिष्यों को बचाने की भी आवश्यकता है।
आध्यात्मिक की ऊंचाई में जाना वाला व्यक्ति किसी को डराता या श्राप का भय नहीं दिखाता है अपितु वह स्वयं शांत और स्थिर होता है। गुरु के पास दीक्षा के साथ सही दिशा प्राप्त करना महत्वपूर्ण है और झोलाछाप बाबाओ के चक्कर में पड़कर अपने जीवन को संकट में डालने से भी बचना चाहिए।
ईश्वर की कृपा सदैव हमें प्राप्त होती है किंतु ईश्वर के चमत्कार की आशा न करके स्वयं के आत्मबल, बुद्धि बल तथा विद्या के बल का ही आसरा लेकर स्वयं प्रयास करने से ही कार्य सिद्ध होते हैं।
उक्त विचार चित्रकूट धाम पुष्कर के प्रधान उपासक पाठकजी महाराज ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की विश्वविद्यालय इकाई एवं अधिष्ठाता छात्र कल्याण के द्वारा आयोजित गुरु वंदन कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में अभिव्यक्त किए। उन्होंने महाभारत एवं रामचरित मानस ग्रंथों के अनेक उदाहरणों के साथ उपस्थित जनसमुदाय की भ्रांतियों का निराकरण किया।
इस अवसर पर महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलगुरु प्रो. सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि ऐसा सुखद संयोग आज विश्वविद्यालय में बना है कि गुरु वंदन कार्यक्रम के दिन ही मेरे द्वारा इस विश्वविद्यालय में कार्यभार ग्रहण किया गया है।
उन्होंने कहा कि वे इस अवसर पर विश्वविद्यालय को आगामी तीन साल की यात्रा में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक संस्थान बनाने की कामना करते हैं एवं सभी के प्रयासों से यह आशीर्वाद आज गुरु वंदन कार्यक्रम के माध्यम से फलीभूत भी होगा। आज से यह यात्रा प्रारंभ हुई है और इस यात्रा के माध्यम से शिक्षक को गुरुत्व भाव में बदलने का यह शुभ अवसर प्राप्त हुआ है।
इस अवसर पर प्रेरणास्पद उद्बोधन प्रदान करते हुए अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष प्रो नारायण लाल गुप्ता ने कहा कि गुरु वंदन कार्यक्रम नवाचार नहीं है बल्कि प्राचीन परंपरा को ही महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में पुनर्जीवित करने का एक प्रयास है। यद्यपि विश्वविद्यालय में शिक्षक दिवस मनाया जाता है किंतु भारत की भूमि से उपजा शब्द गुरु यह आत्मनिवेदन का प्रतीक होता है तथा भारतीय शिक्षा के सर्वांगीण स्वरूप में अध्यात्म को शिक्षा से अलग नहीं किया जा सकता।
आज गुरु को अपनी भूमिका को पुनः प्रतिष्ठापित करने की आवश्यकता है। गुरु एक परंपरा का वंदन है जबकि आधुनिक शिक्षा में विद्यार्थी एक उपभोक्ता होता है। भारतीय मूल्य हमें बताते हैं कि शिष्य कभी उपभोक्ता नहीं हो सकता अपितु वह भारत की महान गुरू परम्परा से प्राप्त ज्ञान का अनुगामी होकर उसे आगे बढ़ाने का माध्यम होता है। गुरु वंदन कार्यक्रम का उद्देश्य भटकाव के माहौल को हटाकर समन्वय की परंपरा को स्थापित करना है।
गुरूवंदन कार्यक्रम की शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए एबीआरएसएम के प्रदेश अध्यक्ष प्रो मनोज बहरवाल ने कहा कि गुरू शिष्य परंपरा भारत की महान परम्पराओं में से एक है। इस अवसर पर गुरु वंदन कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन एवं कार्यक्रम संचालन प्रो अरविंद पारीक ने किया।
कार्यक्रम में आभार ज्ञापन करते हुए अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक प्रो. सुभाष चंद्र ने कहा कि वर्तमान में पृथ्वीराज चौहान शोधपीठ, महर्षि दयानंद शोधपीठ, सिंधु शोधपीठ, डॉ भीमराव अंबेडकर शोधपीठ एवं अन्य शैक्षिक विभागों के माध्यम से भारत को जगतगुरु के रूप में प्रतिष्ठित करने के उद्देश्य को लेकर विश्वविद्यालय का प्रत्येक व्यक्ति कार्यशील है तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रवृत्त गुरु शिष्य परंपरा और प्राचीन गुरुकुल परंपरा के अनुशीलन एवं आचरण करने के पवित्र उद्देश्य से अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ एवं महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से यह गुरु वंदन कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रिया भार्गव, वित्त नियंत्रक नेहा शर्मा, पूर्व डीन छात्र कल्याण प्रो. प्रवीण माथुर, प्रो. ऋतु माथुर, प्रो. सुब्रत दत्ता, प्रो. मोनिका भटनागर, प्रो शिवदयाल सिंह, डॉ आशीष पारीक, डॉ दीपिका उपाध्याय, परीक्षा नियंत्रक डॉ. सुनील टेलर, डॉ. सूरजमल राव, डॉ. तपेश्वर कुमार, डॉ. लारा शर्मा, प्रो. नरेश धीमान, डॉ. जितेन्द्र मारोठिया, निवर्तमान छात्र संघ अध्यक्ष महिपाल गोदारा सहित बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के अधिकारी, अतिथि शिक्षक, कार्मिक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।