संतोष खाचरियावास
जयपुर/अजमेर। राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव ने भजनलाल सरकार के नरम गरम लिहाफ पर ठंडा पानी डाल दिया। सरकार की जय जयकार की तेज गूंज के बीच कांग्रेसी पंछी का कलरव सुनाई देना भजनलाल के लिए शुभ संकेत कतई नहीं है।
इस छोटी से सीट पर जीत के लिए बीजेपी के बड़े बड़े चेहरे हाड़ौती की धूल फांकने आए, मगर उनके चेहरों पर सत्ता का दम्भ था। पूरी सरकारी मशीनरी बीजेपी को जिताने में जुटी थी। एकतरफा जी हुजूरी में लगा मीडिया और कई छद्म पत्रकार अपनी कलम से बीजेपी की जीत के दावे लिख रहे थे, मगर हाड़ौती के मतदाताओं ने उनकी स्याही पर पानी फेर दिया। उधर, निर्दलीय नरेश मीणा को ‘हनुमानबूटी’ भी नहीं जिता सकी। मतदाताओं ने अवसरवाद पर भी फुलस्टॉप लगा दिया।
वास्तव में यह जीत प्रमोद जैन भाया या कांग्रेस की भी नहीं है। कांग्रेसियों में ही अगर एका होता तो अशोक गहलोत की सरकार बदलती नहीं। इस उपचुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके खेमे अपने भाया को जिताने के लिए जुटे।
उधर, भजनलाल के साथ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी मतदाताओं को भाजपा के पाले में लाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी। इन सबके बावजूद मतदाताओं ने ‘हिडन मैसेज’ दे ही दिया। न जीएसटी रिफॉर्म का बम काम आया, न सरकारी योजनाओं की फुलझड़ियां काम आईं।
ये कहना गलत ना होगा कि रीलबाजी से हटकर भजनलाल सरकार ने पिछले दो साल में धरातल पर क्या किया, इस पर मंथन करने की जरूरत है। यह हार केवल मोरपाल सुमन की नहीं बल्कि सरकार की है।
भाजपा एवं उसकी सरकार प्री टेस्ट में पूरी तरह विफल : गोविंद सिंह डोटासरा



