जैसलमेर। राजस्थान में तपती रेत और तेज हवाओं के बीच जैसलमेर जिले की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज उस समय छद्म युद्ध के मैदान में तब्दील हो गई जब भारतीय सेना की ख्यातनाम बैटल एक्स डिवीजन ने यहां अपने सैन्य अभ्यास में दमदार सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया।
सैन्य सूत्रों ने बताया कि इस सैन्य अभ्यास के दौरान भारतीय सेना ने नई पीढ़ी के हथियारों और आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए सर्वोच्च युद्ध क्षमता दिखाते हुए अपनी युद्धक तैयारी को दर्शाया।
वार्षिक फील्ड फायरिंग अभ्यास के दौरान सेना ने न केवल अपनी शौर्य क्षमता का परिचय दिया बल्कि आधुनिक हथियारों और नई पीढ़ी के सैन्य उपकरणों की ताकत से यह साबित कर दिया कि भारतीय थलसेना किसी भी परिस्थिति में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है।
अभ्यास के दौरान सेना के जांबाजों ने विभिन्न हथियारों असॉल्ट राइफल, इन्फैंट्री राइफल, लाइट मशीन गन, हैवी मशीन गन, स्नाइपर राइफल, उच्च-सटीकता राइफल, एंटी-टैंक रॉकेट प्रणालियां, थर्मल साइटिंग उपकरण, ड्रोन और निगरानी उपकरण सहित संचार और नेविगेशन उपकरण का सफल प्रदर्शन करके अपनी ताकत दिखाई।
अभ्यास के लिए सुबह से ही रेत के समंदर में जवानों की टुकड़ियां एक-एक करके मैदान में उतरीं। भारी टैंकों की गड़गड़ाहट, तोपों की दनदनाहट और मशीनगनों की लगातार गूंज ने पूरे क्षेत्र को रणभूमि का आभास दिला दिया। इन्फैंट्री हथियारों से लेकर तोपखाने और बख्तरबंद गाड़ियों तक, हर हथियार ने अपनी ताकत दिखाई। इस अवसर पर सेना ने अपने अभ्यास को फोकस, फोर्टिट्यूड और फायर पावर की थीम के साथ प्रस्तुत किया।
इस अभ्यास का सबसे बड़ा आकर्षण सेना द्वारा नई पीढ़ी के हथियारों और आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल रहा। अत्याधुनिक तकनीक से लैस तोपों और स्वचालित हथियारों ने अपनी सटीकता और ताकत से अधिकारियों और जवानों में नया आत्मविश्वास जगाया। रात में फायरिंग अभ्यास के दौरान आकाश में उठती आग की लपटें और विस्फोटक गोलों की चमक देखने वालों के लिए अविस्मरणीय दृश्य रही।
पूना स्थित दक्षिणी कमान के अंतर्गत आने वाली बैटल एक्स डिवीजन का देश की पश्चिमी सीमा पर विशेष महत्व है। यह डिवीजन हर वर्ष पोकरण रेंज में अभ्यास करती है ताकि रेगिस्तानी क्षेत्र की वास्तविक परिस्थितियों में युद्धक क्षमता को परखा जा सके। पाकिस्तान से सटी सीमा के ठीक पीछे इस रेंज में सेना का अभ्यास करना अपने आप में रणनीतिक संदेश है।