समाज हमेशा रखेगा महाराणा प्रताप के गौरव को याद : मदन राठौड़ महाराणा प्रताप से मिलेगी हर पीढ़ी को प्रेरणा : भागीरथ चौधरी
अजमेर। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती के उपलक्ष में गुरुवार को महाराणा प्रताप स्मारक पर आयोजित मुख्य समारोह में विशाल मेले का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर राज्यसभा सदस्य एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों ने हर युग में समाज को प्रेरणा देने का उत्तरदायित्व निभाया है। उदयपुर स्थित प्रताप गौरव केंद्र अपनी भव्यता के साथ प्रेरणास्थल के रूप में विकसित किया गया है। महाराणा प्रताप का युद्ध कौशल अतुलनीय था। युद्ध क्षेत्र में जिधर चेतक की दिशा हो जाती थी उस तरफ सेना में भगदड़ मच जाती थी। यह महाराणा प्रताप का शौर्य बहलोल खान को घोड़े और कवच सहित एक ही बार में दो टुकड़े कर सकता है।
हल्दीघाटी के युद्ध में 22 हजार सैनिकों ने सवा लाख मुगलों से लोहा लिया था। उनका प्रिय घोड़ा चेतक भी महाराणा प्रताप के मन की भावना को समझता था। भामाशाह ने महाराणा प्रताप की राष्ट्रभक्ति से प्रभावित होकर मंदिर निर्माण के लिए संग्रहित राशि को राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित किया था। महाराणा प्रताप के कारण अकबर को भी पीछे हटना पड़ा था। उनका यह गौरव हमेशा याद रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि उस युग में भी लोकतांत्रिक परंपराओं का निर्वहन किया जाता था। महाराणा उदय सिंह के द्वारा जगमाल सिंह को उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया था। लेकिन स्थानीय सरदारों ने बहुमत के आधार पर निर्णय लेकर प्रताप का महाराणा के रूप में राजतिलक किया। यह भारत में लोकतांत्रिक परंपराओं की जड़ों को परिलक्षित करता है।
हमारी सेना पूरी तरह से सक्षम है। यह हमेशा सटीक निशाना लगाती है। आतंकवादियों तथा मददगारों का सफाया बिना सीमा पार किए कर रही है। अस्थाई रूप से ऑपरेशन सिंदूर को रोकने में किसी तृतीय पक्ष का हाथ नहीं है। हमारे पदाधिकारी एवं राजनैतिक नेतृत्व गोपनीयता की रक्षा कर रहे हैं। वर्तमान समय में व्यक्तित्व राष्ट्रभक्त होने के साथ-साथ अन्य व्यक्तियों को भी प्रेरणा देने वाला होना चाहिए। भारत में लोकतंत्र की सफलता पक्ष और विपक्ष दोनों के राष्ट्रभक्त होने से है।
केंद्रीय कृषि मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि महाराणा प्रताप ने राष्ट्र की रक्षा के लिए जीवन पर्यंत संघर्ष किया। उनसे प्रेरणा लेकर हमें एकत्व भाव रखना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर से आतंकियों के साथ-साथ उनके मददगारों को भी नेस्तनाबूद किया गया है।
निर्मल आश्रम के स्वामी डॉ. रामेश्वरानंद महाराज ने कहा कि महाराणा प्रताप वीर शिरोमणि के साथ-साथ संत तपस्वी भी थे। उस समय भक्ति आंदोलन के माध्यम से राष्ट्रभक्ति सिखाई जा रही थी। वर्तमान में सिमटती जनसंख्या बड़ा मुद्दा बन गया है। देश भक्ति का भाव विद्यार्थियों में जागृत करने के लिए विद्यालयों की एनसीसी विंग को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 87 प्रतिशत हथियार भारत में निर्मित इस्तेमाल किए गए थे। यह मेक इन इंडिया की सफलता है।
अजमेर दक्षिण विधायक अनीता भदेल ने कहा कि महाराणा प्रताप ने राष्ट्र तथा जन्म भूमि के लिए सर्वस्व अर्पण किया। उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया। अपने आप से किए गए संकल्पों को जीवन पर निभाया। अपने जीवन में ही लगभग संपूर्ण मेवाड़ राज्य को मुगलों के चुंगल से मुक्त कराने का महान कार्य किया। वे किसी भी परिस्थिति में कभी नहीं झुके। अपनी मातृभूमि की प्राणप्रण से रक्षा की।महाराणा प्रताप का जीवन आज भी हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चित्तौड़ प्रांत के संघ चालक जगदीश राणा ने कहा कि महाराणा प्रताप ने पराक्रम के साथ देश को स्वाधीन रखा। सीमित साधनों के बावजूद अपने कौशल एवं प्रबंधन से अकबर के साथ युद्ध किया। लगातार 9 वर्षों तक आक्रमण करने के बावजूद अकबर असफल रहा। उनकी पद्धति को ही आगे चलकर छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनाया।
महाराणा प्रताप समारोह समिति के अध्यक्ष धर्मेश जैन ने कहा कि वर्ष 2007 से लगातार जयंती समारोह मनाया जा रहा है। अब एकलिंगनाथ जी के मंदिर की परिकल्पना की है। जल्द ही यह परिकल्पना साकार होगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर संघचालक खाजू लाल ने कहा कि महाराणा प्रताप ने देश, धर्म और धरा के लिए व्यक्तिगत स्वार्थ की तिलांजलि दी। वे धर्मज्ञ, नीतिज्ञ, युद्ध कुशल रणनीतिकार तथा मानवीय संवेदनाओं की प्रतिमूर्ति थे।
महाराणा प्रताप एवं कुंवर अमर सिंह द्वारा घास की रोटी खाने की कपोल कल्पना की गई है। ऐसा कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है। कुंवर अमर सिंह उस समय तक एक युद्ध जीत चुके थे। राष्ट्र विरोधी इतिहासकारों ने मल्लेछों को महान बताने का कार्य किया। इस प्रकार के इतिहास से दिग्भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है।
भारतीय इतिहास संकलन समिति के अध्यक्ष डॉ. सूरज राव ने कहा कि महाराणा प्रताप एक कालजयी व्यक्तित्व है। मानव के अस्तित्व तक उनके माध्यम से देश प्रेम सिखाया जाएगा। उनका विराट व्यक्तित्व सदैव प्रेरणादाई रहेगा। देश के लिए जीवन समर्पित करने वाले वीर पुरुषों की गाथाएं पाठ्यचर्या में शामिल होनी चाहिए।
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जयंती समारोह के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन किया गया। इसमें प्रसिद्ध नगाड़ा वादक नाथूलाल सोलंकी के द्वारा नगाड़ा वादन किया गया। गनाहेड़ा के कल्याण नाथ के दल न कालबेलिया लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। इंडिया इंटरनेशनल म्यूजिक लवर्स सोसायटी के डॉ. लाल थदानी एवं उनके दल ने देशभक्तिपूर्ण गीत प्रस्तुत किए।
स्थानीय नागरिकों के सहयोग से मेले में 18 प्रकार के व्यंजनों की निःशुल्क की अवस्था की गई थी। इनमें मानजी की कचोरी, पॉपकॉर्न, लस्सी, गुड़िया के बाल, आगरा के पेठे, चिप्स, छोले कुल्चे, पानी पतासे, गोलगप्पे, फाफड़ा, दाल पकवान प्रमुख रहे। कार्यक्रम में आराध्य एकलिंगनाथ जी की भव्य आरती की गई।
महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया था। इन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को समारोह के दौरान सम्मानित किया गया। महाराणा प्रताप को जानो प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्रेरणा लील एवं नितिन पाबूवाल ने प्राप्त किया। द्वितीय स्थान पर अनमोल रुनवाल तथा तृतीय स्थान पर निशा रावत रहे। सांत्वना पुरस्कार लवित फूलवानी, हिमांशु गवारिया, साहिल यादव, कुनिका बारिया, राहुल मीणा, तरुणा सतारावला, सलमा बानो, हेमंत कुमार साहू, हरीश कुमार तथा मारकंडे शर्मा को मिला। इसी प्रकार क्षत्राणी बनो प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर रानी चौधरी, द्वितीय स्थान पर रश्मि मिश्रा तथा तृतीय स्थान पर वंदना मिश्रा रही। महाराणा प्रताप बनो प्रतियोगिता में प्रथम स्थान वंश सिंह तथा निरंजन सिंह ने, द्वितीय स्थान लवली शर्मा ने तथा तृतीय स्थान चारवी नामा ने प्राप्त किया।
महाराणा प्रताप जयंती समारोह महाराणा प्रताप समारोह समिति के द्वारा भारतीय इतिहास संकलन समिति, अजमेर विकास प्राधिकरण, नगर निगम, राजस्थान क्षत्रिय महासभा, भारत विकास परिषद्, पर्यटन विभाग, घुमंतू समाज तथा पूर्व सैनिक सेवा परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था।
अजमेर में धूमधाम से मनाई वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती
महाराणा प्रताप हमारे लिए प्रेरणापुंज, नई पीढ़ी में आदर्शों का हो संचार : भजनलाल शर्मा
महाराणा प्रताप की 57 फीट ऊंची बैठक प्रतिमा का किया दुग्धाभिषेक