राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में मनाई महापुरुषों की जयंती का आयोजन
अजमेर। महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री का जीवन स्वयं में राष्ट्रभक्ति का प्रतीक रहा। उनका हर क्षण, हर कार्य और हर संकल्प केवल भारत की प्रगति और उत्थान के लिए ही था। यह ये विचार राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आनंद भालेराव ने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। कार्यक्रम का आरंभ महापुरुषों के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ।
कुलपति भालेराव ने अपने संबोधन में गांधी के जीवन और विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गांधीजी केवल एक वकील या राजनेता ही नहीं, बल्कि सच्चे अर्थों में समाजसेवी और मानवता के पुजारी थे। वे अपने माता-पिता के चौथे पुत्र थे और रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी।
उन्होंने बताया कि गांधीजी ने अपने जीवन में चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे चार ऐतिहासिक आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता संग्राम की दिशा ही बदल दी।
भालेराव ने गांधीजी से जुड़े कई प्रेरणादायी प्रसंग साझा करते हुए कहा कि गांधीजी मानते थे कि जीवन केवल जीने के लिए नहीं, बल्कि विविध कलाओं और आत्मविकास के लिए भी होना चाहिए। पक्षी का उदाहरण देते हुए उन्होंने समझाया कि जब तक ज्ञान के पंख भीतर से नहीं फूटते, तब तक हम सच्चे अर्थों में कुछ सीख नहीं सकते। उन्होंने कहा कि विचारों की स्पष्टता और जीवन की सादगी को समझने के लिए हमें गांधी जी को पढ़ना और उनके विचारों से जुड़ना चाहिए।
भालेराव ने लाल बहादुर शास्त्री के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके जीवन के तीन प्रमुख गुण थे सादगी, ईमानदारी और अनुशासन। वे श्वेत क्रांति के जनक माने जाते हैं और उनका सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र की सेवा एवं प्रगति के लिए समर्पित रहा। शास्त्रीजी हर पल, हर क्षण राष्ट्र की उन्नति और जनता के कल्याण के बारे में चिंतन करते थे।
उन्होंने सभी का आह्वान किया कि जब हम ऐसे आदर्श व्यक्तित्वों के विचार सुनेंगे, तभी हमारे हृदय में नई सोच जन्म लेगी और नई सोच से ही परिवर्तन संभव होगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि महापुरुषों की जयंती मनाने की परंपरा राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में गर्व के साथ आगे बढ़ रही है और यह हमें निरंतर प्रेरित करती है।
इस आयोजन में विश्वविद्यालय के सभी अधिकारी, शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक कर्मचारी एवं विद्यार्थी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। अंत में डीन अकादमिक प्रो. डीसी शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में महापुरुषों की जयंती का कार्यक्रम होना हम सभी के लिए गौरव की बात है। कार्यक्रम का संचालन राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी अनुराधा मित्तल ने किया। अंत में सभी ने चित्र पर पुष्प अर्पित किए। महापुरुषों के दिखाए मार्ग पर चलकर एक सशक्त भारत के निर्माण में राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय का यह छोटा सा योगदान है।