कोई भारत पर आक्रमण करता है, तो उसे उत्तर देना हमारी परंपरा

राष्ट्रीय संगोष्ठी : भारत की संस्कृति में मेवाड़ का योगदान
अजमेर। तीर्थसेवा न्यास हरिद्वार की ओर से मंगलवार को विजयलक्ष्मी पार्क भारत की संस्कृति में मेवाड़ का योगदान विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बडी संख्या में आमजन ने शिरकत की। इस अवसर पर देशभर से आए विद्वानों, संतों और विचारकों ने मेवाड़ की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत पर अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारी संजय जोशी रहे, जिन्होंने ऑडियो संदेश के माध्यम से जनता को संबोधित करते हुए भारत सरकार की निर्णायक कार्यशैली की सराहना की।

विशिष्ट अतिथि बलराम दास बाबा हठयोगी (हरिद्वार) व राम विशाल दास महाराज (कोषाध्यक्ष तीर्थसेवा न्यास हरिद्वार) मंचासीन रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक कैलाश नाथ ने की।

इस अवसर पर बाबा बलराम दास महाराज ने कहा कि मेवाड़ की धरती त्याग, बलिदान, भक्ति और शक्ति की प्रतीक रही है। उन्होंने युवाओं से धर्म के प्रति जागरूक और कटिबद्ध रहने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि आत्मरक्षा के लिए शस्त्र धारण करना आवश्यक है।

राम विशाल दास महाराज ने मेवाड़ की ऐतिहासिक विभूतियों जैसे पृथ्वीराज चौहान, मीरा बाई और महाराणा प्रताप का उल्लेख करते हुए कहा कि इन महापुरुषों की गौरवगाथा सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि माता-पिता, घर, गाय, गंगा, गुरुकुल और वृक्ष सभी हमारे लिए तीर्थ हैं और इनकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।

जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधनंद गिरी महाराज ने पाकिस्तान की तुलना इतिहास के आक्रांताओं से करते हुए भारत सरकार से कड़ा रुख अपनाने की बात कही।

कैलाश नाथ ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि भारत सदा से जगतगुरु रहा है और अब समय है कि हम सब मिलकर उसे पुनः वही गौरव दिलाएं। उन्होंने कहा कि भारत कभी किसी पर आक्रमण नहीं करता, लेकिन यदि कोई भारत पर आक्रमण करता है, तो उसे उत्तर देना हमारी परंपरा है।

कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुआ। स्वागत भाषण डॉ. राजू शर्मा ने दिया। विषय प्रस्तुति प्रो. अरविंद पारीक ने की और संचालन डॉ. दीपिका शर्मा ने किया। आभार सुरेंद्र सिंह शेखावत ने व्यक्त किया।

शेखावत ने कहा कि मेवाड़ न केवल भारतीय इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक आत्मा को भी समृद्ध करता है। संगोष्ठी का उद्देश्य युवाओं को भारतीय संस्कृति से जोड़ना और मेवाड़ जैसे ऐतिहासिक क्षेत्र के योगदान को उजागर करना था। समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।