Home Headlines ‘तेजस’ भारत की शान, चीन-पाक परेशान 

‘तेजस’ भारत की शान, चीन-पाक परेशान 

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‘तेजस’ भारत की शान, चीन-पाक परेशान 
Indigenously developed Tejas fighter jet joins air force
Indigenously developed Tejas fighter jet joins air force
Indigenously developed Tejas fighter jet joins air force

जिनको न निज गौरव तथा निज देश पर अभिमान है। वह नर नहीं नरपशु निरा हैं और मृतक समान है। आयातित वस्तुओं से तो निज गौरव और देश पर अभिमान की भावना जागृत नहीं होती। यह बात अटल बिहारी वाजपेयी से पहले शायद ही किसी प्रधानमंत्री ने सोची हो, अन्यथा तेजस जैसे जाने कितने युद्धक विमान भारतीय वायु सेना की सेवा कर रहे होते। अपने देश में बन रहे होते। तब कदाचित हम विदेशों में महंगे युद्धक विमान खरीदने की जरूरत न होती।

देशी तकनीक से बने हल्के युद्धक विमान तेजस के शामिल होने के साथ ही इस बात की भी उम्मीद बढ़ गई है कि अब वायुसेना को उड़ते ताबूत यानी मिग 21 से निजात मिल जाएगी। मिग-21 विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने की जितनी घटनाएं हुई हैं, उससे भारतीय वायुसेना का परेशान होना स्वाभाविक है।

दरअसल उसे मिग-21 को हटाने के लिए एक उचित विकल्प की जरूरत थी जो तेजस के रूप में उसे मिल गई हैं। वह दिन दूर नहीं, जब 120 तेजस भारत की संवेदनशील सीमाओं की न केवल सुरक्षा करेंगे बल्कि चीन और पाकिस्तान को भी छठी का दूध याद दिलाएंगे।

भले ही अभी वायुसेना में 20 तेजस विमान शामिल किए गए हैं लेकिन इससे भारत की ताकत द्विगुणित हो गई है। इसकी एक वजह यह भी है कि अब तक उसके पास जितने भी भी युद्धक विमान थे ,सभी दूसरे देश में बने थे लेकिन यह पहला मौका है कि जब देशी तकनीक से बना कोई विमान भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया है।

यह भारतीय वायु सेना की निश्चित रूप से बड़ी उपलब्धि है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि उसकी इस उपलब्धि को चीन और पाकिस्तान पचा नहीं पा रहे हैं क्योंकि यह विमान उनके जेएफ-17 पर बहुत भारी है। ऐसे में तेजस को भारतीय वायुसेना में शामिल करते हुए की गई शंखध्वनि पाकिस्तान और चीन को किसी कर्कश गर्जन से कम नहीं लगी होगी।
जाहिर है, भारत की इस पहल ने उनके दिन का चैन और रात की नींद उड़ा चुकी होगी।

गौरतलब है इस हल्के युद्धक विमान तेजस का निर्माण पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में शुरू हुआ था तभी इसे तेजस नाम दिया गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि तेजस युद्ध के मोर्चे पर न केवल दुश्मनों के छक्के छुड़ाएगा बल्कि अटल के नाम के अनुरूप अपना अटल तेज भी प्रदर्शित करेगा।

वायुसेना की योजना है कि मार्च 2017 तक छह विमान और शामिल कर लिए जाएं। इससे युद्धक विमानों की कमी झेल रही वायु सेना को न केवल राहत मिलेगी बल्कि मिग-21 जैसे असमंजस से भी निजात मिलेगी। जैसी कि खबर है कि वायुसेना तेजस विमानों को पहले हिंडन एयरबेस पर तैनात करने वाली है क्योंकि यह चीन और पाकिस्तान के बेहद नजदीक है।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित तेजस विमान जेएफ-17 से न केवल बेहतर है प्रत्युत यह उससे काफी हल्का भी है। यह संकरी जगहों में भी उड़ान भर पाने में सक्षम है। तेजस में अगर इजराइल में बनी मल्टीरोल रडार एल्टा 2032 लगी है तो इसमें दुश्मन के विमानों पर हमला करने के लिए हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइलें और जमीन पर मौजूद निशाने के लिए आधुनिक लेजर डेजिग्नेटर भी है।

यही नहीं यह विमान टारगेटिंग पॉड्स से भी लैस है। इस विमान की क्षमता फ्रांसीसी युद्ध विमान मिराज 2000 जैसी है। इस विमान की सबसे बड़ी खासियत तो यह है कि हर विमान चालक इसकी उड़ान नियंत्रण व्यवस्था से खुश है। इसकी कुशल कलाबाजी भी उन्हें हृदय से संतुष्ट करती है। देश में बने किसी युद्धक विमान से इससे अधिक उम्मीद की भी क्या की जा सकती है?

तेजस की अब तक तीन हजार से ज्यादा सफल परीक्षण उड़ानें हो चुकी हैं और इस दौरान किसी चालक को किसी भी तरह की परेशानी पेश नहीं आई। इससे जाहिर है कि यह भारतीय विमान भारत की आवश्यकताओं की कसौटी पर शत-प्रतिशत खरा उतरेगा।

सेवा के अन्य विमानों को उड़ाते वक्त पायलटों को भारतीयता की अनुभूति नहीं होती लेकिन तेजस पूरी तरह भारतीय है। भारतीय जरूरतों और परिस्थितियों को लक्ष्य कर बनाया गया है। यह भारत के अभियंत्रण और विज्ञान के क्षेत्र की एक बड़ी उपलब्धि है जिसमें काफी मेहनत की गई है। बहुत दिमाग लगाया गया है। तेजस में लगा भारतीय फ्लाई-बाइ-वायर सिस्टम विमान को कंप्यूटर नियंत्रित इनपुट देता है। विमान में लगा मिशन कंप्यूटर, जो सेंसर से मिलने वाले डेटा को प्रोसेस करता है, वह भी पूरी तरह भारतीय है।

ओपन आर्किटेक्चर फ्रेमवर्क को लक्ष्य कर डिजाइन किया गया मिशन कंप्यूटर का हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर भी पूरी तरह देशी है। विमान का ढांचा भी देशी कार्बन फाइबर से निर्मित है। यहां तक कि विमान में लगे ईंधन प्रबंधन से लेकर स्टीयरिंग तक, सब भारत में ही निर्मित हैं। इसमें एक अहम सेंसर तरंग रडार लगी है जो दुश्मन के विमान या जमीन से हवा में दागी गई मिसाइल के तेजस के पास आने की सूचना पहले ही दे देती है।

यह सब भारत में ही बना है। 120 तेजस विमानों में 80 मार्क-1 श्रेणी के अत्याधुनिक विमान हैं। तेजस भारतीयता का प्रतीक है। न केवल बनावट में अपितु पराक्रम में भी। वह अभियंत्रण और विज्ञान के क्षेत्र में भारत का योगदान है। यह एक ऐसा प्रयास है जिससे चीन और पाकिस्तान भी परेशान हैं। भारत तो बस अपनी त्वरा बनाए रखे। तेजस के तेज से भारत का प्रभामंडल दसों दिशाओं में फैल रहा है। नरेंद्र मोदी ने विदेशी विमानों और हथियारों की खरीद के साथ निर्माण तकनीकी हासिल करने का जो प्रयोग किया है, आने वाले समय में वह देश को बहुत मजबूती देगा।

: सियाराम पांडेय