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‘राम’ के प्रति दीवानगी ने विनोद कुमार को दिलाई पहचान

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‘राम’ के प्रति दीवानगी ने विनोद कुमार को दिलाई पहचान

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उज्जैन। ‘अनेकता में एकता’ के देश रहे भारत में ईश्वर की भक्ति करने वाले असंख्य लोग मिल जाएंगे, जो अपने अदभुत कार्यों की वजह से हमेशा चर्चा में रहते हैं।

इन्हीं में से एक नाम है उत्तरप्रदेश के बलिया जिले के ग्राम बहुआरा के रामभक्त विनोद कुमार मिश्रा, जो रामभक्त की धुन में पिछले 14 साल से रमे हुए हैं।

खुद को राम भक्त बताने वाले विनोद देवी-देवताओं के नाम को राम नाम से सुंदर व आकर्षक कलाकृतियों में उभारकर अपनी अलग पहचान बनाने की जद्दोजहद में लगे हैं।

प्रारम्भ में वे लाल स्याही से महीन अक्षरों में राम-राम लिखते रहे, पर साधना के बमुश्किल एक वर्ष बीते थे कि उनके अंत:करण ने प्रेरित किया कि राम नाम से प्रवाहित लेखन विभिन्न आकार-प्रकार में ढा¸ला जा सकता है।

इस प्रेरणा ने चमत्कार किया और आज विनोद मिश्रा का राम नाम लेखन अडिग आस्था के साथ बेजोड़ कलात्मकता की नजीर बन गया है।

उन्होंने राम नाम से पूरी हनुमान चालीसा, हनुमान आरती, सुंदर कांड, महाकुंभ सिंहस्थ, जय मां क्षिप्रा का चित्रण रामनाम से ही शंकर भगवान एवं हनुमानजी के चित्र के अलावा विभिन्न धर्म के आराध्यों में भी अपनी लेखनी चलायी है।

विनोद का कहना है कि जिस राम नाम से पत्थर तैरने लगे, महाबली हनुमान सैकड़ों योजन समुद्र लांघ गये, जिनके जूठे बेर खाकर शबरी धन्य हुई और जिनके पैर पखारकर निषादराज ने भवसागर पार किया, वही राम मेरे रोम-रोम में बस रहे हैं।

विनोद प्रतिदिन सुबह आठ बजे से सूर्यास्त तक राम नाम के लेखन से विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र उकेरते हैं।

उन्होंने कहा कि यह सिलसिला तब तक चलता रहेगा जब तक उन्हें आंखों से दिखता रहेगा। वे बड़े गर्व से बताते हैं कि यह राम नाम की महिमा का ही प्रभाव है कि पचास वर्ष की उम्र होने के बाद भी उन्हें चश्में की जरूरत नहीं है।