Home Breaking यूपी के पंचायती राज विभाग में 107 करोड़ का घोटाला, 12 अधिकारी सस्पेंड

यूपी के पंचायती राज विभाग में 107 करोड़ का घोटाला, 12 अधिकारी सस्पेंड

0
यूपी के पंचायती राज विभाग में 107 करोड़ का घोटाला, 12 अधिकारी सस्पेंड
12 Panchayati Raj officials suspended over Rs 107 crore scam in yogi government
12 Panchayati Raj officials suspended over Rs 107 crore scam in yogi government

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पंचायती राज विभाग में 107 करोड़ रुपये का घोटाला प्रकाश में आया है। जांच के बाद 12 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। सेवानिवृत्त हो चुके पंचायत राज निदेशक अनिल कुमार दमेले भी जांच के घेरे में हैं। मामले में 31 जनपदों के जिला पंचायती राज अधिकारियों (डीपीआरओ) के खिलाफ भी जांच चल रही है।

शासन ने यह कार्रवाई 14 वे वित्त आयोग के धन का दुरुपयोग करने के मामले में लिया है। घोटाले की जानकारी होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी जांच सतर्कता विभाग को सौंपी थी। जांच रिपोर्ट आने के बाद शासन ने रविवार को निलंबन की कार्रवाई की।

प्रदेश के पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र चौधरी ने बताया कि सतर्कता विभाग द्वारा जांच रिपोर्ट मिलने के बाद अपर निदेशक राजेन्द्र सिंह और मुख्य वित्त व लेखा अधिकारी केशव सिंह समेत 12 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।

उन्होंने बताया कि मामले में सेवानिवृत्त पंचायत राज निदेशक अनिल कुमार दमेले का भी नाम प्रकाश में आया है। ऐसे में उनके खिलाफ भी जांच के आदेश दे दिये गये हैं। अपर निदेशक एसके पटेल और उप निदेशक गिरीश चन्द्र रजक के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा 31 जिलों के डीपीआरओ के खिलाफ भी जांच चल रही है।

पंचायती राज मंत्री ने बताया कि 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत 2016-17 के वित्तीय वर्ष में ग्राम पंचायतों को 699.75 करोड़ रुपये दिए गए थे। आरोप है कि इनमें से 107 करोड़ रुपए इन अधिकारियों ने मिलीभगत से हजम कर लिए। मंत्री ने बताया कि 31 जिलों में बिना आदेश के ही 107 करोड़ रुपये खातों से निकाल लिए गए। मामला जब मुख्यमंत्री के संज्ञान में आया तो उन्होंने सतर्कता विभाग से इसकी जांच करवाई।

पंचायती राज निदेशालय के वर्तमान निदेशक विजय किरन आनंद ने बताया कि पैसों के बंदरबांट का खेल पिछले साल अगस्त में ही शुरू हो गया था। इस साल अप्रैल में जब उनकी निदेशक के पद पर तैनाती हुई तो उन्हें इस खेल की जानकारी मिली। इसके बाद मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा और जांच के आदेश दिए गए। फिर निदेशक ने पैसों के अवमुक्त होने पर रोक लगा दी थी।