Home UP Ayodhya अयोध्या में लाखों भक्तों ने नंगे पांव शुरू की 14 कोसी परिक्रमा

अयोध्या में लाखों भक्तों ने नंगे पांव शुरू की 14 कोसी परिक्रमा

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अयोध्या में लाखों भक्तों ने नंगे पांव शुरू की 14 कोसी परिक्रमा
14 kosi parikrama begins in ayodhya
14 kosi parikrama begins in ayodhya
14 kosi parikrama begins in ayodhya

लखनऊ। अयोध्या में लाखों श्रद्धालुओं ने गुरूवार को पवित्र सरयू में स्नान कर 14 कोसी परिक्रमा की शुरुआत की इस अवसर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए।

शास्त्रों के मुताबिक, आज के ही दिन से सतयुग की शुरुआत हुई थी। इस वजह से आज अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा शुरू हो रही है। इसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से लगभग 20 लाख से ज्यादा भक्त अयोध्या पहुंचे हैं।

पूरे परिक्रमा मार्ग पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं। इसके अलावा प्रकाश और पेयजल की भी व्यवस्था की गयी हैं। फैजाबाद जिला चिकित्सालय में एहितायात के तौर पर बेड आरक्षित कर दिये गये हैं और एम्बुलेंस तैनात की गयी हैं।

42 किलोमीटर लंबे परिक्रमा पथ पर नंगे पांव भक्त करते हैं परिक्रमा
धार्मिक नगरी अयोध्या के चतुर्दिक 42 किलेमीटर लंबे परिक्रमा परिपथ पर लाखों भक्त 14 कोस की परिक्रमा पूरी करेंगे। इसके लिए जिला प्रशासन ने आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली हैं। पूरे परिक्रमा परिपथ पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं।
परिक्रमा मार्ग पर प्रकाश की समुचित व्यवस्था की गई है। इससे परिक्रमा करने वाले भक्तों को कोई असुविधा न हो। इस बार भी अनुमान लगाया जा रहा है कि परंपरागत रूप से धर्मनगरी अयोध्या की इस परिक्रमा में 20 लाख से ज्यादा भक्त शामिल हैं।
नंगे पांव परिक्रमा करने की वजह
अयोध्या के चारों तरफ से गोलाकार रूप में होने वाली 14 कोस की इस कठिन परिक्रमा को करने के कुछ खास नियम भी हैं। इनमें 42 किलोमीटर के लंबे परिपथ पर नंगे पांव परिक्रमा करने की परम्परा भी है। शास्त्रों के अनुसार, परिक्रमा परिपथ के दायरे में करीब 6 हजार मंदिर आते हैं।
इस परिक्रमा के माध्यम से भगवान श्रीराम की जन्मस्थली सहित पूरी अयोध्या की परिक्रमा हो जाती है। धार्मिक अनुष्ठान में जूते या चप्पल पहनकर शामिल होना निषिद्ध है। इसी मान्यता के चलते भक्त कंकडों और पत्थरों के बीच से होते हुए 42 किलोमीटर की लंबी परिक्रमा पूरी करते हैं। भले ही इनके पैरों में छले पड़ जाए या पैर छिल जाए। आस्था की डगर पर भक्त अनवरत कदमताल मिलाते रहते हैं।
आज ही हुआ था सतयुग का आगाज
अक्षय नवमी तिथि को युगादि तिथि भी कहा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक, अक्षय नवमी तिथि को ही सतयुग का शुरू हुआ था। इसीलिए इस तिथि को युगादि तिथि भी कहा जाता है। कार्तिक मास में तुलसी के पेड़ की पूजा और आंवलें के वृक्ष की सेवा विशेष फलदायी होती है। इस मास में भगवान श्रीविष्णु की आराधना का विशेष महत्व होता है। इसी धार्मिक मान्यता के चलते लाखों की संख्या में भक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं।
आज के दिन किए गए पुण्य का फल कभी समाप्त नहीं होता
अक्षय का शाब्दिक अर्थ होता है, इसका कभी क्षय यानी समाप्ति न हो। इसीलिए धार्मिक मान्यता है कि आज की तिथि में किए गए कार्य से मिलने वाले फल का कभी क्षय नहीं होता है। इसी धार्मिक मान्यता के चलते देश के कोने-कोने से भक्त अक्षय नवमी तिथि को रामनगरी अयोध्या आते हैं। 14 कोसी परिक्रमा करने के साथ ही पवित्र सरयू में स्नान करने हैं और अयोध्या के प्रमुख मंदिरों में दर्शन और पूजन करते हैं।
सुरक्षा के कड़े प्रबंध
मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर आतंकियों के निशाने पर रहने वाली अयोध्या में वैसे तो पूरे साल सुरक्षा के कड़े प्रबंध होते हैं, लेकिन परिक्रमा के दौरान अयोध्या की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। पूरे मेला क्षेत्र को पांच जोन और आठ सेक्टरों में बांटकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। हर सेक्टर में सुरक्षा और मेला प्रबंधन की जिम्मेदारी सेक्टर मजिस्ट्रेट को सौंपी गई है।