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झारखंड में आकाशीय बिजली ने 61 दिनों में लील ली 44 जिंदगियां

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झारखंड में आकाशीय बिजली ने 61 दिनों में लील ली 44 जिंदगियां
44 killed by lightning strikes in Jharkhand in 61 days
44 killed by lightning strikes in Jharkhand in  61 days
44 killed by lightning strikes in Jharkhand in 61 days

रांची। झारखंड में आसमानी बिजली का कहर लोगों पर लगातार जारी है। आलम यह है कि बीते 61 दिनों में 44 लोग इसकी चपेट में आकर मौत में मुंह में समां चुके हैं। वहीं दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।

प्रदेश में अलग-अलग जिलों में ठनका गिरने से अगस्त और सितम्बर माह के 61 दिनों में अबतक 44 लोगों की मौतें हो चुकी हैं। गढ़वा, कोडरमा, मेदिनीनगर, गुमला, साहेबगंज, खूंटी, लातेहार तथा चान्हो में लोगों की मौत वज्रपात से हुई हैं।

झारखंड में वज्रपात से होने वाली मौतों पर आपदा प्रबंधन विभाग के राज्य परियोजना पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि पहले रांची, रातू, देवघर सहित अन्य जगहों में सबसे ज्यादा बिजली गिरने की शिकायतें आती थीं, लेकिन अब इन जगहों को छोड़कर इस बार सबसे ज्यादा गढ़वा, पलामू, चतरा में इस वर्ष अब तक (लगभग सौ से अधिक) मौतें हुई हैं।

जागरुकता के अभाव में ऐसी घटनाएं घटती हैं। ऐसा देखा गया है कि मरने वालों में 99 प्रतिशत लोग वैसे हैं जो बरसात से बचने की लिए पेड़ के नीचे गए और फिर ठनका गिरा, जिससे उनकी मौतें हो गई। इसके लिए विभाग की ओर से जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है।

बिजली के दौरान हुई मौत पर सरकार की ओर से चार लाख तक का मुआवजा दिए जाते हैं। साथ ही घर नष्ट होने पर 95 हजार से लेकर एक लाख तक मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है।

आकाशीय बिजली से गई लोगों की जान का तिथिवार ब्यौरा

1 अगस्त: गढवा के भंडरिया निवासी नाम बोदन सिंह (36) की मौत वज्रपात से हो गई जबकि नगरउंटारी थाना क्षेत्र के भोजपुर गांव निवासी बसंती कुंवर की भी मौत भी वज्रपात से हो गई।
1 अगस्त: मेदिनीनगर के अकराहा निवासी राकेश उपाध्याय (30) की मौत वज्रपात से हो गयी।
1 अगस्त: गिरिडीह के चटनियांदह निवासी वज्रपात से दो भाइयों रामचंद्र प्रसाद यादव (55) और विरेन्द्र प्रसाद यादव (50) की मौत हो गई।
2 अगस्त: खूंटी के महतो टोली निवासी चामू हेरेंज (43) की वज्रपात से मौत हो गयी।
2 अगस्त: लोहरदगा के हेसाग पंचायत के कुम्भाटोली गांव में वज्रपात से रवीन्द्र उरांव (50) की मौत हो गई।
9 अगस्त: बोकारो जिले के कसमार में वज्रपात की चपेट में आकर ममता कुमारी मौत हो गई।
10 अगस्त: चाईबासा जिले के करायकेला थाना क्षेत्र में वज्रपात से दो महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई।
10 अगस्त: जामताड़ा के करमाटांड़ थाना क्षेत्र के कालाझारिया में संजय मंडल (20), गोपाल मंडल (20) और सीमांत मंडल (22) की मौत वज्रपात से हो गई।
12 अगस्त : जामताड़ा जिले के गोपालपुर थाना क्षेत्र के दूधकबरा गांव निवासी फूलकुमारी टुडु (30) की वज्रपात से मौत हो गई।
17 अगस्त : मेदिनीनगर के भंडारडीह में सुकल देवी की मौत वज्रपात से हो गई।

सितम्बर

2 सितम्बर: खूंटी के मुरहू थाना क्षेत्र के सुटी गांव निवासी दशरथ स्वांसी (22) की मौत वज्रपात से हो गयी जबकि उसकी साली अनुष्का कुमारी (15) गंभीर रूप से घायल हो गई।
2 सितम्बर: गुमला जिले के रायडीह प्रखंड के सेमरटोली गांव निवासी किसुन उरांव (15) और चतरा के हंटरगंज थाना के बहेरी गांव निवासी बच्चू सिंह उर्फ बौना (40) की मौत वज्रपात से हो गयी।
7 सितम्बर: कोडरमा तेतरौन पंचायत के ग्राम बदुलिया में अयूब अंसारी (45) की वज्रपात की चपेट में आने से मौत हो गयी।
11 सितम्बर: गुमला के घाघरा प्रखंड के टांगर सिकवारा ग्राम में निर्मला कुमारी (10) की मौत हो गई, जबकि मृतका की छोटी बहन नीमा कुमारी (6) गंभीर रूप से घायल हो गई।
17 सितम्बर: गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड में सिंगरडीह निवासी कांति साव और कुमार यादव की भी मौत वज्रपात से हो गई। जबकि साहेबगंज जिले के बरहेट प्रखंड के सिमलढाप गांव निवासी पानगो सोरेन की मौत भी वज्रपात से हो गई।
18 सितम्बर: मेदिनीनगर, गढ़वा, हजारीबाग, गुमला, लातेहार, गिरिडीह और चान्हो में वज्रपात से 12 लोगों की मौत हो गई। छतरपुर थाना क्षेत्र के कचनपुर पंचायत के करूपा गांव टोला लामा में नरेश यादव, करूपा के कैलाश यादव और संजय यादव, हरिहरगंज के बभंडी पंचायत निवासी सुखलाल राम की मौत वज्रपात से हो गई। वहीं गढ़वा के रमना प्रखंड में वज्रपात से नजमुन खातून और गौरी देवी की मौत हो गई। लातेहार के सदर थाना क्षेत्र के राजहार निवासी रोहित कुमार (19) की भी मौत वज्रपात हो गई। गुमला जिले के सिसई में छात्रा पूनम कुमारी (15) की भी मौत ठनका गिरने से हो गई। हजारीबाग के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के ओरिया गांव में वज्रपात से कौशल्या देवी और पुतुल देवी की मौत हो गई। गिरिडीह जिले के तिसरी थाना क्षेत्र के कुमार यादव (35), राजधनवार प्रखंड पचरूखी पंचायत अंतर्गत ग्राम मोदीडीह में सुशीला देवी की भी मौत ठनका गिरने से हो गई।
20 सितम्बर: कोडरमा जिले के कोडरमा जिले के नवलशाही थाना क्षेत्र के फुलवरिया निवासी लोकपाल पंडित की पत्नी सविता देवी (42) की मौत वज्रपात से हो गयी। खूंटी जिले के कर्रा थाना क्षेत्र के बकसपुर बरटोली ग्राम निवासी मेंयदी सुरीन (40) की मौत वज्रपात से हो गयी। गुमला जिले के घाघरा थाना के सरांगो नवाटोली निवासी रामकुारी देवी (45) तथा निशा कुमारी (15) की मौत ठनका गिरने से हो गई। दोनों नानी और नतनी थी। वहीं साहेबगंज के बरहेट प्रखंड के धनजोरी गांव में ठनका गिरने से प्रदीय यादव (19) की मौत हो गई।
22 सितम्बर: दुमका जिले के शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र में काठपहाड़ी गांव निवासी लखन मरांडी (35) की वज्रपात की चपेट में आने से मौत हो गई।

ऐसे बनती है और गिरती है आसमानी बिजली

आकाश में बादलों का हवा के वेग से एक-दूसरे की विरोधी दिशा में टकराने से हुए घर्षण से बिजली बनती है। इस घर्षण से बिजली बनती है और पृथ्वी पर पहुंचती है। जब घर्षण से उत्पन्न बिजली के लिए आसमान में प्रवाह नकाफी रहता है तो वह पृथ्वी पर कंडक्टर तलाशती है। यह अकाशीय बिजली पृथ्वी पर पहुंचकर ऐसे माध्यम तलाशती है जहां से वह गुजर सके।

यदि यह आकाशीय बिजली खंभों के संपर्क में आती है तो यह उसके लिए संचालक का काम करता है। लेकिन इसी समय कोई व्यक्ति इसके संपर्क में आ जाता है तो वह इसके लिए सबसे बढ़िया कंडक्टर का काम करता है। लेकिन जो व्यक्ति इसकी संपर्क में आता है उसकी जान मुश्किल से ही बचती है।

आकाशीय बिजली से जुड़े कुछ तथ्य

– आकाशीय बिजली का तापमान सूर्य की उपरी सतह से भी ज्यादा होता है
– इसकी क्षमता 300 किलोवाट अर्थात 12.5 करोड़ वाट से ज्यादा चार्ज की होती है
– यह बिजली मिली सेकेंड से भी कम समय के लिए ठहरती है
– यह मनुष्य के सिर, गले और कं को प्रभावित करती है
– दोपहर के वक्त इसके गिरने की संभावना सबसे ज्यादा होती है
– एक अध्ययन के अनुसार आकाशीय बिजली औरतों से ज्यादा आदमियों को प्रभावित करती है

बचाव के उपाय

– यदि आप बादलों के गरजने के समय घर के अंदर हैं तो घर के अंदर ही रहें
– रेडिएटर, पाइप, फोन, स्टोव आदि से दूरी बनाकर रखें
– पेड़ के नीचे या खुले मैदान में जाने से बचें
– अगर आप खुले मैदान में हैं तो जल्दी से किसी बिल्डिंग में जाकर खड़े हो जाएं