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सूरत के लाजपोर जेल में बंद हार्दिक पटेल के लेटर के जरिए उठाए सवाल - Sabguru News
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सूरत के लाजपोर जेल में बंद हार्दिक पटेल के लेटर के जरिए उठाए सवाल

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सूरत के लाजपोर जेल में बंद हार्दिक पटेल के लेटर के जरिए उठाए सवाल

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सूरत। सूरत के लाजपोर जेल में बंद पाटीदार अनामत आन्दोलन समिति के कन्वीनर हार्दिक पटेल ने गुरुवार को सामने आए एक पत्र में पाटीदार समाज के आरक्षण आन्दोलन के संदर्भ में सरकार पर भेदभावपूर्ण नीति अपनाने का आरोप लगाया है। हार्दिक ने देश की न्यायिक व्यवस्था पर टिप्पणी करने से इंकार करते हुए पिछले आठ साल में देश में आरक्षण के लिए हुए आन्दोलन की तुलना की है।

इसके अलावा उसने राजद्रोह के आरोप के संदर्भ में लिखा है कि पूर्व में कई आन्दोलन के उदाहरण दिए है। जिनमें लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा, हैदराबाद में औवेसी द्वारा दिए गए विवादास्पद बयान का जिक्र किया गया है। साथ ही भारत माता की जय नहीं बोलने वालों व खुले आम आतंकियों की फांसी का विरोध करने वाले कन्हैया समेत तीन युवकों को जमानत दिए जाने पर सवाल उठाया है।

गृह मंत्री की मौजूदगी में दिल्ली में आर्ट ऑफ लिविंग के श्रीश्री रविशंकर द्वारा पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाने पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। हरियाणा, राजस्थान में आरक्षण आन्दोलन चलाने वालों पर राजद्रोह क्यों नहीं लगाया गया। मुजफरनगर हिंसा में भाजपा सांसदों का नाम उजागर होने पर भी राजद्रोह नहीं लगाया गया। भष्टाचार कर गरीबों का पैसा हड़पने वालों पर राजद्रोह क्यों नहीं व विजय माल्या और सुब्रत रॉय पर राजद्रोह क्यों नहीं लगाया गया।

पाटीदार आन्दोलन

ओबीसी में शामिल कर आरक्षण की मांग को लेकर पाटीदार समाज ने नौ माह आन्दोलन शुरू किया। राज्य में कुल 186 रैलियां निकाल कर सरकार को शान्तीपूर्ण ढंग से 186 ज्ञापन दिए। उपवास पर बैठे हुए लोगो पर लाठीचार्ज करने पर हिंसा भड़की। राज्य में कुल 200 करोड़ रुपए की सरकारी संपति का नुकसान हुआ। वहीं

पुलिस ने पाटीदार समाज के ५६ हजार वाहनों के शीशे तोड़े। कुल १३ लोगो की मौत हुई, जिनमें ९ पाटीदार युवकों को पुलिस ने मारा, 3 ने आन्दोलन के समर्थन में आत्महत्या की व एक पुलिसकर्मी की मौत हुई। सरकार ने कुल १६०७ के दर्ज किए(9 युवकों पर राजद्रोह, 19 को तड़ीपार किया व 4 पर हत्या का मामला दर्ज किया)। नेता हार्दिक पर कई मामले दर्ज किए दस युवकों के साथ छह माह से जेल में है। पुलिस ने पाटीदार महिलाओं से अत्याचार किया। अभी तक कोई निराकरण निकला है।

गुर्जर आन्दोलन

राजस्थान में कर्नल बैसला के नेतृत्व में हुए गुर्जर आन्दोलन आठ वर्ष चला 2015 में पूरा हुआ। इस दौरान 56 हजार 748 करोड़ रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ।

कुल 76 लोग मारे गए जिनमें से 68 गुर्जर व 8 पुलिसकर्मी थे। नौ राज्यों में चार दिन तक पुलिस व गर्जुरों के बीच संघर्ष हुआ। तीन दिन तक राष्ट्रीय राजमार्ग बंद रहा। रेलवे को 27 हजार करोड़ का नुकसान (20-25 किमी पटरी उखाड़ी) कुल 17 केस हुए तीन पुलिस पर हमले के और 11 उपद्रव के, चार वर्ष तक भाजपा और कांग्रेस के राज में हिंसा हुई। 17 ज्ञापन दिए गए। बैसला पर सिर्फ एक मामला, 12 दिन जेल में रहे। 2015 में हुआ निराकरण गुर्जरो को मिला आरक्षण। कर्नल बैसला फिलहाल भाजपा के नेता।

जाट आन्दोलन

हरियाणा में ओबीसी की मांग को लेकर जाट समाज ने एक महीना 17 दिन तक आंदोलन चलाया। 36 हजार करोड़ रुपए की सरकारी संपत्ति व 11 हजार करोड़ का अर्थतंत्र का नुकसान हुआ। कुल 22 लोगो की मौत हुई, जिनमें से 16 जाट व 4 अन्य तथा दो सुरक्षा बल थे। सेना के साथ हुई मुठभेड़ व सेना के 12 ट्रक लूटे।

सड़के खोद कर रास्ते रोके। हरियाणा, राजस्थान, पंजाब व दिल्ली में नहरों का पानी रोक दिया। महिलाओं से दुष्कर्म भी हुआ। कुल आठ केस दर्ज हुए जिनमें से पांच दुष्कर्म के है। कोई जाट नेता जेल में नहीं है। हिंसा से पूर्व सोनीपत में रैली की। सरकार को ६ ज्ञापन दिए। हिंसा के बावजूद जाट नेता यशपाल मलिक पर कोई मामला नहीं है। 27 मार्च को भाजपा सरकार ने विधानसभा में आरक्षण बिल पेश किया।