नई दिल्ली। तिब्बती आध्यात्मिक गुरु 17वें ग्यालवांग करमापा ने रविवार को कहा कि इंटरनेट लोगों को एक-दूसरे के करीब लाया है लेकिन हमें ‘इनरनेट’ की भी जरूरत है ताकि हम खुद के अंदर झांक कर अपने-आप से भी जुड़ने का अहसास हासिल कर सकें।
अपनी किताब ‘इंटरकनेक्टेड : एम्ब्रेसिंग लाइफ इन आवर ग्लोबल सोसाइटी’ को जारी करने के मौके पर करमापा ने कहा कि सूचना युग ने हमें आपसी जुड़ाव व संपर्को के बारे में बेहद जागरूक कर दिया है और इंटरनेट हमें यह दिखाता है कि हम एक-दूसरे पर कितने निर्भर हैं। लेकिन, हमें इनरनेट की भी जरूरत है, केवल भौतिक या बाहरी रूप से जुड़ने के लिए नहीं। हमें अपने अंदर खुद से जुड़ने की जरूरत है।
यह किताब कैलिफोर्निया के रेडलैंड्स विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के एक समूह से एक महीने के संवाद पर आधारित है। यह छात्र करमापा से ज्ञान हासिल करने हिमाचल प्रदेश के शहर धर्मशाला आए थे।
इसमें 17वें ग्यालवांग करमापा ओजियन त्रिन्ले दोरजी ने एक वैश्विक समाज पर अपने विचारों को रखा है जिसमें एक-दूसरे पर निर्भरता को दिखाया गया है और इस विचार को अमल में लाने का रास्ता दिखाया गया है।
किताब के विमोचन समारोह के मुख्य अतिथि कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश थे। उन्होंने कहा कि हिज होलीनेस, करमापा, ने बुद्ध की शख्सियत के आधुनिक अर्थ और उनके जीवन व संदेश के समकालीन महत्व को हमारे लिए खोजा है।