Home Rajasthan Ajmer परिजनों की बिना अनुमति के डाक्टरों ने लगा दी कॉपरटी

परिजनों की बिना अनुमति के डाक्टरों ने लगा दी कॉपरटी

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परिजनों की बिना अनुमति के डाक्टरों ने लगा दी कॉपरटी
govt janana hospital ajmer
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अजमेर। संभाग के सबसे बडे राजकीय महिला हॉस्पिटल (जनाना अस्पताल)में प्रसूता के परिजनों ने आक्रोश उस समय पूट पडा जब उन्हें पता चला कि उनकी बिना अनुमति एवं फर्जी हस्ताक्षर करके हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने दस साल तक के लिए कॉपरटी लगा दी।

इस मामले को लेकर महिला कांग्रेस अध्यक्ष सबा के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की महिलाओं समेत परिजन ने हॉस्पिटल में जमकर हंगामा किया। सूचना मिलते ही क्रिश्चियनगंज थाना पुलिस मय जाप्ते के मौके पर पहुंची और लोंगों को समझाईश करके शांत करवाया।

पीडि़ता के ससुर अजयनगर निवासी प्रदीप कुमार पिंजवानी ने बताया कि चार फरवरी 2016 को सुबह उसने अपनी पुत्रवधू इन्द्रा पत्नी सागर पंजवानी को लोहागल रोड स्थित राजकीय महिला अस्पताल (जनाना हॉस्पिटल) में भर्ती करवाया था।

अस्पताल में इन्द्रा ने ऑपरेशन द्वारा शिशु को जन्म दिया। उसके बाद चिकित्सकों ने ऑपरेशन के दौरान ही इन्द्रा के लाख मना करने के बावजूद कॉपरटी लगा दी।

बधाई के नाम लूट

जनाना अस्पताल में भर्ती पीडिता इन्द्रा के ससुर प्रदीप कुमार ने आरोप लगाया कि पांच फरवरी को इन्द्रा के ऑपरेशन द्वारा लडका हुआ तो ट्रॉली मैन से लेकर नर्सिंग कर्मियों ने बधाई के नाम पर उनसे किसी ने 250 तो किसी ने 500 रुपए वसूले इस तरह करीब ढाई हजार रुपए ले लिए।

पीडित प्रदीप कुमार का आरोप है कि उन्होंने रिमोट तक के सेल भी मंगवाए। प्रदीप कुमार ने बताया कि जब हमनें अस्पताल अधीक्षक कांता महेरडा से इस मामले को लेकर अवगत करवाया तो उन्होंने कहा कि जांच करवाई जाएगी।

प्रदीप कुमार का कहना है कि जब बधाई देने के नाम रुपए वसूलने वाले ट्राली मैन से लेकर नर्सिंग कॢमयों को पहचानने के लिए कहा कि तो हमनें उनकी पहचान भी कर ली, लेकिन अस्पताल अधीक्षक ने जांच कमेटी बैठाने का आश्वासन दिया।

अस्पताल प्रशासन बचा लेता है

महिला कांग्रेस अध्यक्ष सबा खान ने कहा कि अस्पताल प्रशासन द्वारा हर बार की तरह इस बार भी जांच कमेटी गठित करने जा रहा है, और इस बार की तरह अस्पताल प्रशासन अपने ही चिकित्सकों के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय उन्हें बचा लेते है?

गौरतलब है कि गत वर्ष नसीराबाद क्षेत्र की एक महिला ने बच्ची को जन्म दिया था, जहां चिकित्सकों ने लापरवाही की हदें पार करते हुएजिंदा बच्ची को थैली में लपेट कर बॉक्स में बंद कर दिया था, जब उसके परिजन को पता चला तो करीब दो दिन तक हंगामा चला और अस्पताल अधीक्षक द्वारा जांच कमेटी का भी गठन किया गया, लेकिन जांच के बाद क्या हुआ यह सब को मालूम है।

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