Home Headlines किसी के विरोध में नहीं है हिन्दुत्व विचारधारा : मोहन भागवत

किसी के विरोध में नहीं है हिन्दुत्व विचारधारा : मोहन भागवत

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किसी के विरोध में नहीं है हिन्दुत्व विचारधारा : मोहन भागवत
Hinduism all about love, faith and intimacy with all RSS chief Mohan Bhagwat
 RSS chief Mohan Bhagwat
Hinduism all about love, faith and intimacy with all RSS chief Mohan Bhagwat

लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन मधुकर राव भागवत ने रविवार को कहा कि भारत की एकता अखण्डता को अक्षुण्ण रखते हुए राष्ट्र को परम् वैभव पर पहुंचाना ही संघ का मूल उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि हम दुनिया में भारत माता की जय-जयकार कराने के लिए काम कर रहे हैं।

भागवत यहां निरालानगर स्थित सरस्वती कुंज माधव सभागार में लखनऊ विभाग के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व की विचारधारा किसी के विरोध में नहीं है। किसी का द्वेष और विरोध करना हिन्दुत्व नहीं है बल्कि सबके प्रति प्रेम, विश्वास और आत्मीयता ही हिन्दुत्व है। हम देश के लिए काम करते हैं। हिन्दुत्व कोई कर्मकांड नहीं है। यह अध्यात्म व सत्य पर आधारित दर्शन है।

उन्होंने कहा कि हिन्दुओं को सामर्थ्य सम्पन्न बनना चाहिए और सबको अपना मानकर उनके विकास के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें ऐसा समाज चाहिए जिसमें कट्टरता का कोई स्थान नही हो।

स्वयंसेवकों को मंत्र देते हुए कहा कि समाज हमारा भगवान है। हम समाज की सेवा करने वाले लोग हैं। मुझे इसके बदले में क्या मिलेगा इसके बारे में सोचना भी नही। हम हिन्दू राष्ट्र के सम्पूर्ण विकास के लिए कार्य करेंगे। हम यह काम कर रहे हैं यह अभिमान भी हममें नहीं आना चाहिए।

सरसंघचालक ने कहा कि हमें प्रतिक्रिया में कोई काम नहीं करना है। धर्म स्थापना के लिए ही महाभारत का युद्ध हुआ। भगवान बुद्ध ने सम्पूर्ण करूणा और अहिंसा का उपदेश दिया। भगवान राम और भगवान कृष्ण ने भी सर्वधर्म के लिए काम किया।

इसलिए प्रत्येक कार्यकर्ता को सकारात्मक सोच के आधार पर कार्य करना पड़ेगा। हमारे लिए भारत एक गुणवाचक शब्द है। अध्यात्म के आधार पर विचार करते हुए हमारे पूर्वजों ने जिस विचारधारा के आधार पर भारत को बनाने का काम किया है वही हिन्दुत्व है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ केवल हिन्दू समाज का संगठन करेगा और हमारे स्वयंसेवक हिन्दू धर्म, संस्कृति व समाज के लिए जो कुछ भी उपयोगी होगा वह करेंगे और अपने को संघ विचार के अनुरूप ढालने का प्रयास करेंगे।

उन्होंने कहा कि जो परिवर्तन समाज में आना चाहिए, उसके लिए पहले स्वयंसेवकों को अपने जीवन अर्थात कृतित्व में उतारना होगा। उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा कि अपनी आजीविका में भी वे समाज को सर्वोपरि रखकर उसकी आत्मीयता के आधार पर सेवा करें।