Home Breaking मैक्स अस्पताल में गलती से मृत घोषित नवजात की 7वें दिन मौत

मैक्स अस्पताल में गलती से मृत घोषित नवजात की 7वें दिन मौत

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मैक्स अस्पताल में गलती से मृत घोषित नवजात की 7वें दिन मौत
Max died on the 7th day of the newborn in a hospital accidentally declared dead
Max died on the 7th day of the newborn in a hospital accidentally declared dead
Max died on the 7th day of the newborn in a hospital accidentally declared dead

नई दिल्ली। दिल्ली के एक प्रसिद्ध निजी अस्पताल द्वारा गलती से मृत घोषित किए गए समय पूर्व जन्मे 22 सप्ताह के शिशु की बुधवार को मौत हो गई। लेकिन बच्चे के परिजनों ने शव को तब तक लेने से इंकार कर दिया, जब तक अस्पताल के चिकित्सकों को लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार नहीं किया जाता।

बच्चे के पिता आशीष कुमार ने कहा कि शालीमार बाग स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल द्वारा बच्चे के इलाज में भारी कमी बरते जाने के बाद उसे उत्तरी दिल्ली के अग्रवाल नर्सिग होम में भर्ती कराया गया था, जहां चिकित्सकों ने दोपहर 12 बजे बच्चे को मृत घोषित कर दिया।

उन्होंने कहा कि हम बच्चे का शव तब तक नहीं स्वीकारेंगे, जब तक मैक्स अस्पताल के चिकित्सकों को गिरफ्तार नहीं किया जाता। मैक्स अस्पताल के चिकित्सकों ने एक सप्ताह पहले 30 नवंबर को बच्चे को मृत घोषित कर दिया था।” उन्होंने कहा कि परिवार के सदस्य मांग पूरी नहीं होने तक प्रदर्शन करेंगे। मैक्स अस्पताल ने परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है।

मैक्स ने एक बयान में कहा कि हमने बच्चे के दुखद निधन के बारे सुना, जो वेंटीलेटर पर था। बच्चे के माता-पिता के लिए हमारी संवेदनाएं हैं। हम समझते हैं कि समय पूर्व पैदा होने वाले बच्चों का जिंदा रह पाना दुर्लभ होता है। यह माता-पिता और परिवार के लिए हमेशा दर्द भरा होता है। हम उन्हें इस क्षति से उबरने की ताकत मिले, इसकी प्रार्थना करते हैं।

दिल्ली सरकार द्वारा गठित तीन सदस्य कमेटी ने प्रारंभिक जांच में उत्तरी दिल्ली स्थित शालीमार बाग के मैक्स अस्पताल को दोषी पाया था। कमेटी ने प्रारंभिक जांच रपट दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को सौंप दी है।

जांच में पाया गया कि अस्पताल द्वारा 22 सप्ताह के समय से पहले नवजात शिशु के साथ व्यवहार करने में निर्धारित चिकित्सा मानदंडों का पालन नहीं किया गया, जिसके कारण उसे 30 नवंबर को मृत घोषित कर दिया गया, जबकि बच्चा उस वक्त जिंदा था।

कमेटी ने अस्पताल के रिकॉर्ड की जांच की और स्टाफ से मुलाकात की। रिपोर्ट पर प्रकाश डालते हुए दिल्ली सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि बच्चा जिंदा है या नहीं इसको जांचने के लिए कोई ईसीजी नहीं किया गया। बच्चे को बिना किसी कागजी दिशानिर्देशों के सौंप दिया गया। मृत और जिंदा बच्चे को अलग-अलग नहीं रखा गया।

मंत्री जैन ने कहा कि अंतिम रिपोर्ट दो-तीन दिनों में जारी की जाएगी और संभावित कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा था कि सरकार उन अस्पतालों के खिलाफ एक वैध रूपरेखा तैयार कर रही है, जो आपराधिक लापरवाही में शामिल हैं और मरीजों को लूट रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि 30 नवंबर को मैक्स अस्पताल के चिकित्सकों ने समय से पूर्व जन्मे एक 22 सप्ताह के बच्चे को मृत घोषित कर दिया था और उसके शव को उसके जुड़वा मृत शिशु के साथ प्लास्टिक के एक थैले में बांधकर परिजनों को सौंप दिया था।

परिवार ने अंतिम संस्कार करने से पहले रास्ते में बैग के अंदर हलचल देखी। बच्चे को जीवित पाया गया और उसे जल्दबाजी में पीतमपुरा के एक नर्सिग होम में भर्ती कराया गया था।

मैक्स अस्पताल ने पहले ही दो चिकित्सकों एपी मेहता और विशाल गुप्ता को हटा दिया है साथ ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के विशेषज्ञों सहित एक विशेषज्ञ समूह द्वारा जांच की जा रही है। इसी तरह के एक मामले में जून में सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने नवजात को मृत घोषित कर दिया था, बाद में बच्चा जीवित पाया गया था।