Home Delhi वरिष्ठ वकील जेठमलानी ने लिखा जज कर्णन को पत्र, कहा माफी मांगें

वरिष्ठ वकील जेठमलानी ने लिखा जज कर्णन को पत्र, कहा माफी मांगें

0
वरिष्ठ वकील जेठमलानी ने लिखा जज कर्णन को पत्र, कहा माफी मांगें
apologise to top court, Senior lawyer ram Jethmalani advises justice karnan
apologise to top court, Senior lawyer ram Jethmalani advises justice karnan
apologise to top court, Senior lawyer ram Jethmalani advises justice karnan

नई दिल्ली। जाने-माने वकील राम जेठमलानी ने कोलकाता हाईकोर्ट के जज जस्टिस सीएस कर्णन को सलाह दी है कि वे अपने किए के लिए माफी मांगें। उन्होंने कहा कि मैं बड़े दुखपूर्वक कहता हूं कि आपने अपना आपा खो दिया है।

जेठमलानी ने जस्टिस कर्णन को लिखे एक पत्र में कहा है कि भ्रष्टाचार से भरपूर इस देश में न्यायपालिका ही एक मात्र सुरक्षा है। इसे नष्ट या कमजोर करने की कोशिश मत कीजिए। जस्टिस कर्णन को संबोधित रामजेठमलानी ने अपना पत्र अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है।

जेठमलानी ने कहा है कि पिछड़े वर्गों के प्रति हमारी गहरी सहानुभूति और चिंता है लेकिन आप जो कर रहे हैं इससे उन हितों को नुकसान पहुंच रहा है। राम जेठमलानी ने अपने पत्र में कहा है कि आपका व्यवहार पागलपन भरा है और ये आपका बचाव नहीं कर सकता है।

राम जेठमलानी ने कहा है कि एक बुजुर्ग के तौर पर मेरी सलाह मानिए। उन्होंने कहा है कि हम आपसे कभी नहीं मिले हैं और न ही आपके बारे में कभी सुना है लेकिन अब आपकी चर्चा न केवल इस देश में होती है बल्कि विदेशों में भी हो रही है।

उन्होंने लिखा है कि बार के एक सीनियर सदस्य के नाते और तब जब हमारा एक पांव कब्र में पड़ा हुआ है, हम आपको सलाह देते हैं कि आप अपना एक-एक शब्द वापस लीजिए और आपने जो किया है उसके लिए माफी मांगिए।

आपको बता दें कि अपनी तरह का ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पिछले दस मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया। वे अवमानना का नोटिस मिलने के बाद भी पेश नहीं हुए जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय बेंच ने उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया।

कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को दस हजार रुपये का निजी मुचलका भरने का भी निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 31 मार्च तक पेश होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि उन्हें कोर्ट में पेश होने से सिवाय दूसरा कोई विकल्प नहीं बचता है। उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्यवाही चलाने का फैसला किया था।

पिछले 13 फरवरी को भी अवमानना कार्यवाही का नोटिस मिलने के बावजूद जस्टिस कर्णन सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हुए थे। पिछली सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि जस्टिस कर्णन के लेटर को देखते हुए उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमें ये कारण नहीं पता कि जस्टिस कर्णन कोर्ट में पेश क्यों नहीं हुए इसलिए हम इस मामले पर जस्टिस कर्णन से कुछ सवालों के जवाब चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के न्यायिक और प्रशासनिक अधिकार वापस ले लिया था।

कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को निर्देश दिया था कि वो सभी न्यायिक फाइलें हाईकोर्ट को तत्काल प्रभाव से सौंप दें। पूर्व चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाले कालेजियम ने मार्च में उनका स्थानांतरण कर दिया था।

जस्टिस कर्णन ने कहा है कि दलित होने के कारण उनके साथ भेदभाव किया जाता है। उन्होंने तबादले के आदेश को खुद ही आदेश पारित कर स्टे कर दिया था तथा चीफ जस्टिस को नोटिस देकर जवाब मांगा था। लेकिन बाद में वह मान गए।