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एग्जाम्स कि तैयारी के लिए तैयार है आप!

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एग्जाम्स कि तैयारी के लिए तैयार है आप!

एग्जाम्स के दौरान पढ़ाई तो सभी करते है, लेकिन पढ़ाई करने के तरीके अलग होते है। जिसके चलते कोई टॉप करता है तो कोई रेग्युलर स्टूडेंट बनता है जबकि कुछ फेल हो जाते है।

असल में एग्जाम्स के दौरान कैंडिडेट्स कोर्स की पढ़ाई तो करते हैं, लेकिन उसे तैयारी का नाम देने पर हिचकते हैं। उन्हें पता ही नहीं होता कि तैयारी और सिर्फ पढ़ाई करने में क्या फर्क है। असल में कैंडिडेट किस तरह की पढ़ाई और तैयारीे के लिए अपने को किस तरह से तैयार करता है, यह बहुत मायने रखता है। टेक्निकल शब्दों में कहें तो स्टडी स्किल्स कितनी मजबूत हैं, इस पर निर्भर करता है, आपकी तैयारी कैसी है और एग्जाम्स कैसे नम्बर आएंगे।

क्या है स्टडी स्किल्स

यह वह टेक्निक्स होती हैं जिनके जरिए पढ़ाई बेहतर और योजनाबद्ध तरीके से की जा सकती है। अक्सर ऐसा होता कि याद तो किया करते है, लेकिन भूल गए या याद तो किया था लेकिन एग्जामिनेशन हॉल में याद आया ही नहीं, यह सब इन्हीं स्किल्स की गैरमौजूदगी के कारण होता है। अगर स्टडी स्किल्स पर पकड़ बना ली जाए तो इन सबसे उबरा जा सकता है।

क्रिटिकल थिंकिंग

पढ़ाई करते समय अगर वह सिर्फ शब्दों को रिसाइट करता है तो कभी भी स्थाई नॉलेज नहीं पा मिलेगी। मनोवैज्ञानिकों का मनना है कि ज्यादा लम्बे समय तक चीजों को याद रखने के लिए इन्फर्मेशंस को इकट्ठा कर, उन्हें समझ कर प्रोसेस करना चाहिए। इसके बाद एक्सप्लनेशंस निकालने चाहिए। इस तरह जो नतीजे कैंडिडेट समझेंगे, वह स्थाई होगा। यानी यहां याद की हुई चीज भूलने की गुंजाइश नहीं होती। इसे क्रिटिकल अनैलिसिस इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इस तरह से पढ़ने पर आप एक नहीं कई नतीजे निकाल सकते हैं और स्टडी को एक्सप्लोर कर सकते हैं।

नोट्स बनाना

मजबूत तरीके से पढ़ाई करने के प्रोसेस का यह एक अहम हिस्सा है। यानी जो पढ़ रहे हों, उसके नोट्स जरूर बनाएं। एक प्रैक्टिस शॉर्ट नोट्स की भी होती है। मतलब जो नोट्स आप बना रहे हैं उसमें भी जो बहुत खास हो उसकी अलग नोटिंग करें। यह कम समय में और कभी भी आपको पढ़ाई का रिविजन करा सकेंगे। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह के शॉर्ट नोट्स को बस दिन में एक बार दोहराना होता है। धीरे-धीरे यह मेमोरी की हार्ड डिस्क में सेव होता जाएगा।

ग्रुप में पढ़ाई करे

अकेले में पढ़ाई करते हुए बहुत से टॉपिक्स समझ नहीं पाते, ऐसे में ग्रुप में पढ़ाई करना बेहतर आॅप्शन है। क्योंकि विशषज्ञ भी मानते है कि जो कुछ भी पढ़ाई में कठिन लगे, उसे ग्रुप में डिस्कशन से बहुत सारी चीजें दिमाग में स्थाई हो जाती हैं। ऐसा करने से कई बार उन कठिन टॉपिक्स को पढ़ने के कुछ सरल तरीके भी पता चल जाते हैं।

बनाएं टाइम टेबल

एग्जाम टाइम में टाइमटेबल बनाया है तो पढ़ाई और बेहतर ढंग से होती है। पहले तो तब जब वह स्टडी प्लान कर रहा हो तो हर जरूरी टॉपिक को उचित समय मिले। बेहतर होगा कि कैंडिडेट हर टॉपिक की टाइम लिमिट तय कर ले। अगर कोई टॉपिक जल्दी खत्म हो गया हो तो उसका समय कठिन टॉपिक में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस प्लानिंग में रिविजन का टाइम जरूर तय कर लें। यह भी समझें कि सिर्फ टाइम तय करना ही काफी नहीं है, उसे फॉलो करना भी बेहद जरूरी है। इस तरह जब आप टाइम क्लॉक फॉलो करेंगे तो कोई टॉपिक तैयारी से बचेगा नहीं और हर एक का रिविजन भी हो सकेगा।

हर जिज्ञासा का जवाब तलाशे

कैंडिडेट कोई भी टॉपिक पढ़ने के बाद, उसके कॉन्टेंट से संबंधित कुछ सवाल अपने मन में पूछे। अगर इन सवालों के जवाब हां में आते हैं तो आप तैयारी से निश्चिंत हो सकते हैं और अगर ऐसा नहीं है तो फिर तैयारी पर और ध्यान देने की दरकार है।

आपने जो भी पढ़ा है क्या आप उसका सामान्य अर्थ समझ पाए हैं?

क्या उससे कुछ और नतीजे निकाल पा रहे हैं?

क्या उससे संबंधित प्रॉब्लम सॉल्व करने में खुद को सक्षम पा रहे हैं?

क्या किसी दूसरे टॉपिक से उसकी कम्पैरेटिव स्टडी कर सकते हैं?

पढ़ाई तब स्थाई होती है जब आप उसे सिर्फ पढ़ें ही नहीं बल्कि उस पर मनन करें। उसे गुंथें। उस टॉपिक के बारे में अपनी छोटी से छोटी जिज्ञासा को शांत करें। हर जिज्ञासा के साथ आगे बढ़ें। याद रखिए, टॉपिक्स को इंटरलिंक करके पढ़ना हमेशा एक साथ दो टॉपिक्स पर आपकी पकड़ मजबूत करता है।

कुछ टिप्स

पढ़ाई के दौरान थोड़ी-थोड़ी देर में ब्रेक लें।

क्लास में नोट्स जरूर बनाएं।

उन नोट्स को घर आकर खुद लिखें।

डिफिकल्ट सबजेक्ट पहले पढ़ें।

कुछ पढ़ाई साथियों के साथ बैठकर करें और उसे डिस्कस करें।

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