Home India City News नाम के आयुर्वेद अस्पताल, दवाओं में होता है लाखों के वारे-न्यारे

नाम के आयुर्वेद अस्पताल, दवाओं में होता है लाखों के वारे-न्यारे

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नाम के आयुर्वेद अस्पताल, दवाओं में होता है लाखों के वारे-न्यारे
Ayurveda operates 22 hospitals is devoid of almost a dozen doctors in Panna district
Ayurveda operates 22 hospitals is devoid of almost a dozen doctors  in Panna district
Ayurveda operates 22 hospitals is devoid of almost a dozen doctors in Panna district

भोपाल/पन्ना। मध्यप्रदेश में आयुर्वेद चिकित्सा भगवान भरोसे ही चल रही है। पन्ना जिले में संचालित 22 आयुर्वेद अस्पतालों में लगभग एक दर्जन तो डॉक्टर विहीन है।

आयुर्वेद अस्पताल कई जगहों पर भवन बेहद जर्जर है। स्टॉफ की कमी के कारण कई जगहों पर चपरासी को दवा वितरण करना पड़ रहा है। जबकि कई स्थानों पर महीनों ताला तक नहीं खुलता हैै।

गौरतलब है कि ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए 18 आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। इस वर्ष 4 नए केन्द्र भी खोले गये है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के पास 22 केन्द्रों लिए डॉक्टरों का अभाव है। जिसके चलते यह केन्द्र नाम मात्र के ही स्वास्थ्य केन्द्र हैं बनकर रह गये है। लेकिन डॉक्टरों की कमी यहां भी खलती है।
मुख्यालय भी एक सहायक के भरोसे

जिला आयुर्वेद अस्पताल भी एक मात्र सहायक चिकित्सक के भरोसे चल रहा है। पूरे जिले में आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केन्द्रों के संचालन के लिए एक आयुर्वेदिक अधिकारी भी है। ऐसे जिले में लगभग 7 डाक्टर ही है, जबकि यहां 25 से अधिक डॉक्टर होने चाहिए। आयुष केन्द्रों की दुर्दशा को लेकर जिला प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग को गंभीर नजर नहीं आ रहा।
कागजों में संचालित स्वास्थ्य केन्द्र

आयुर्वेदिक स्वास्थ्य के संबंध में आंकड़े बताते है कि 22 केन्द्र संचालित है। लेकिन डॉक्टर महज आधा दर्जन केन्द्रों में ही है। ऐेसे में अन्य केन्द्रों का संचालन किस तरह हो रहा है। इस पर कोई कुछ नहीं कह रहा। जिले के कई आयुर्वेदिक अस्पताल ऐसे है, जहां कभी ताला हो नहीं खुलता। लेकिन सरकारी रिकार्ड में सभी 22 केन्द्र संचालित है। डॉक्टर के अलावा अन्य स्टाफ की कमी के चलते इन स्वास्थ्य केन्द्रों का संचालन नहीं होने की जानकारी किसी को नहीं दी जाती और संचालन के नाम पर शासकीय मद का उपयोग मनमाने ढंग से किया जा रहा है।
चपरासी बांट रहे दवाएं

जिले के दूरस्थ रैपुरा तहसील क्षेत्र के ग्राम बघवार कला में भी वर्षों पहले ग्रामीणों की सुविधा के लिए स्वास्थ्य केन्द्र खोला गया था। लेकिन यह आयुर्वेदिक अस्पताल लोगों के लिए बेकार है। क्योंकि डॉक्टर नहीं होने के कारण यहां उपचार की जिम्मेदारी चपरासी संभाल रहे है। चपरासी ही गांव के लोगों को दवाएं बांटता है और पूरे अस्पताल का संचालन करता है।

अस्पताल की बिल्डिंग को देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि यहां स्वास्थ्य केन्द्र होगा। बदहाल और जर्जर अवस्था के केन्द्र में चपरासी के भरोसे सारी व्यवस्था है। यदि उसके किसी मरीज को सही दवा देने में चूक हेा जाए तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। सिर्फ बघवार ही नहीं जिले के अन्य डॉक्टर विहीन आयुष केन्द्रों की हालत कुछ इसी तरह है।
यहां है अस्पताल

जिला आयुर्वेदिक औषधालय पन्ना, आयुष विंग पन्ना, आयुर्वेदिक औषधालय बृजपुर, आयुर्वेदिक औषधालय पहाड़ीखेरा, आयुर्वेदिक औषधालय मकरंदगंज, आयुर्वेदिक औषधालय इटवांकला, आयुर्वेदिक औषधालय झिन्ना, आयुर्वेदिक औषधालय बहिरावारा, आयुर्वेदिक औषधालय कल्दा, आयुर्वेदिक औषधालय कोठी, आयुर्वेदिक औषधालय श्यामगिरी, आयुर्वेदिक औषधालय बघवार कला, आयुर्वेदिक औषधालय बोरी, आयुर्वेदिक औषधालय पटनाकला गुनौर, आयुर्वेदिक औषधालय सथनिया, आयुर्वेदिक औषधालय महेबा, युनानी औषधालय द्वारी, आयुर्वेदिक औषधालय सिमराकला और होम्योपैथी औषधालय पवई।