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असम में भोगाली बिहू का उत्साह

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असम में भोगाली बिहू का उत्साह
Bhogali Bihu festival celebration in Assam
Bhogali Bihu festival celebration in Assam
Bhogali Bihu festival celebration in Assam

गुवाहाटी। असम की संस्कृति का प्राण भोगाली बिहू की धूम पूरे राज्य में देखी जा रही है। राज्य की प्रतिष्ठित तीन दिवसीय पर्व शुक्रवार से आरंभ से आरंभ हो गया।

बाजारों में मछली, मांस के साथ ही अन्य खाद्य सामग्रियों की खरीददारी करने के लिए सुबह से ही बाजारों में लोगों की भारी भीड़ देखी जा रही है। राज्य के सदिया से लेकर धुबड़ी तक यानि एक छोर से दूसरे छोर तक बिहू का स्वागत करने के लिए लोग पूरी तरह से तैयार हैं।

राज्य के तीन बिहू में एक भोगाली बिहू को लेकर सभी वर्गों में खासा उत्साह देखा जा रहा है। भोगाली बिहू के पहले दिन उरूका के अवसर पर सभी गावों में उत्साही युवाओं द्वारा भेला घर बनकर तैयार है। जिसमें पूरी रात जाकर लोग विभिन्न तरह से मांसाहार और शाकाहार का सेवन करेंगे।

साथ ही भेलाघर के पास ही ऊंची-ऊंची मेजी बनाई गई है। जिसमें आगामी कल सुबह आग लगाई जाएगी। राज्य के ग्रामीण इलाकों में ढेकी (धान से चावल बनाने के लिए परंपरागत ओखली) की थाम पूरे दिन सुनाई दे रही है। महिलाएं चावल को कूटकर उसका भूरा बनाने में व्यस्त हैं।

चावल के गुड़े से विभिन्न तरह के परंपरागत पिठा, लड्डू बनाने में सभी उम्र की महिलाएं व्यस्त हैं। भोगाली बिहू का उत्साह राजधानी गुवाहाटी में भी देखा जा रहा हैं। राजधानी में ढेकी न होने के चलते महिलाएं लोहे के ओखल और मिक्सी में चावल को पीसकर विविध पकवान बनाने में जुटी हुई हैं।

इस कड़ी में गुवाहाटी समेत राज्य के अन्य शहरों में भोगाली मेला का भी आयोजन किया गया है, जहां पर लोगों की भारी भीड़ परंपरागत खाद्य सामग्री को खरीदने के लिए उमड़ी हुई है।

मेले में ग्रामीण जीवन से संबंधित विभिन्न प्रकार के परंपगात खाद्य सामग्री, सामान जिसमें ढेकी आदि को दर्शाया गया है, जिसको नई पीढ़ी काफी उत्सुकता के साथ देखकर उसके बारे में जानने की कोशिश करती दिखी। वहीं ग्रामीण इलाकों से लोग मेले में पारंपरिक खाद्य वस्तुओं को बेचने के लिए भी पहुंचे हैं।

मेले में दही, पिठा, लड्डू (तील, गुड़, नारियल) की जहां बिक्री हो रही है, तो दूसरी ओर मछली बाजारों के अलावा भोगाली बिहू के मद्देनजर भारी मात्रा में दूसरे राज्यों से लाई गई मछलियों को खाली मैदानों में मछली बाजार लगाकर बेचा जा रहा है। अन्य दिनों की अपेछा उरूका के दिन मछली और मांस का दाम काफी अधिक है।

ऐसे में नोटबंदी के चलते जहां माना जा रहा था कि इस बार के भोगाली बिहू पर इसका असर दिखाई देगा, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। लोग जमकर मनपसंद खाद्य सामग्रियों की खरीददारी कर रहे हैं। नोटबंदी का कहीं भी असर नहीं दिख रहा है।

ज्ञात हो कि राज्य में तीन बिहू का आयोजन किया जाता है। जिसमें भोगाली बिहू में खाने की परंपरा है। लोग मांस, मछली, अंडा, दही, सब्जी, चावल, पूड़ी के अलावा चावल से तैयार विभिन्न तरह से पकवान लोग उरूका के दिन जमकर खाते हैं। यह सिलसिला अगले तीन दिनों तक चलता है।

वहीं रंगाली बिहू में गीत और नृत्य की धूम होती है। गांवों में जहां परंपरागत रूप से गीत-नृत्य का आयोजन होता है जिसमें महिला, पुरुष व बच्चे सभी पूरे जोश के साथ हिस्सा लेते हैं, वहीं शहरों में अब रंगाली बिहू आधुनिक रूप ले चुका है।

शहरों में स्टेज पर गीत व नृत्य के कार्यक्रम होते हैं, जिसमें नामी कलाकारों को आमंत्रित किया जाता है। जबकि तीसरे बिहू को कंगाली बिहू कहते हैं। अपने नाम से ही यह इस बात का द्योतक है कि इस समय लोगों के पास धन का अभाव होता है, जिसको बड़े ही सादगी के साथ मनाया जाता है।

ज्ञात हो कि बिहू का का उत्सव पूरी तरह से ग्रामीण परिवेश यानी कृषि पर आधारित है। यह पर्व फसल पकने के अवसर पर मनाया जाता है। अगले तीन दिनों तक पूरे राज्य में भोगाली बिहू की धूम रहेगी।