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अपने ही पार्षदों से घिरे भाजपा सभापति

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अपने ही पार्षदों से घिरे भाजपा सभापति

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सिरोही। भाजपा सभापति ताराराम माली मंगलवार को साधारण बैठक के दौरान अपनी ही पार्टी के पार्षदों के सवालों के निशाने पर रहे। स्थिति यह आई कि सभापति की अध्यक्षता तथा नगर परिषद प्रशासन पर अविश्वास जताते हुए भाजपा पार्षदों ने ही साधारण बैठक का बहिष्कार कर दिया।

उनके पीछे कांग्रेस और निर्दलीय पार्षद भी बाहर आ गए और सभाभवन में सभापति ताराराम माली, आयुक्त दिलीप माथुर और नगर परिषद के कार्मिक ही रह गए। सिरोही नगर परिषद के इतिहास में यह पहली बार हुआ होगा कि शहर के 25 में से उपसभापति समेत 22 पार्षद बैठक में मौजूद थे और सभी 22 पार्षदों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया हो।

बहिष्कार का आगाज भाजपा पार्षद शंकरसिह परिहार, विरेन्द्र एम चौहान, प्रवीण राठौड़, जीतू खत्री, मीनाक्षी प्रजापति, मगन मीणा, अरूणा, दुर्गा आदि भाजपा पार्षदों ने किया तो उनके पीछे कांग्रेस पार्षद जितेन्द्र सिंघी, ईश्वरसिंह डाबी, मनु मेवाड़ा, पिंकी रावल, मारूफ हुसैन, निर्दलीय शैतानराम व हिम्मत आदि भी सभा का बहिष्कार करके बाहर आ गए।

कार्यप्रणाली पर जताया असंतोष
भाजपा पार्षदों तेवर शुरू में ही नजर आने लगे थे। अव्वल तो वह नियत समय पर सभाभवन में पहुंचे नहीं और पहुंचे तो कुछ ही मिनटों में अपनी बात सभापति के सामने रखकर बैठक को छोड़कर बाहर चले गए। बैठक में सभी भाजपा पार्षद एक साथ पहुंचे थे।

कांग्रेस पार्षद पहले ही अपनी सीटों पर जम चुके थे। बैठक में घुसते ही शंकरसिंह परिहार ने भाजपा पार्षदों की भावानाओं से सदन को अवगत करवाते हुए कहा कि पिछली बैठकों में लिए गए प्रस्तावों की समीक्षा की जाए और जो कार्य नहीं हुए हैं उन्हें सदन में रखें।

उन्होंने कहा कि प्रिंट व सोशल मीडिया के माध्यम से भाजपा के वर्तमान बोर्ड में अनियमितता के कई आरोप सामने आ रहे हैं, इसके लिए उन्होंने नगर परिषद में सामग्री आदि क्रय करने के लिए पार्षदों की ही एक क्रय समिति बनाकर पारदर्शिता बरतते हुए जनता में सही संदेश देने की बात कही। उनकी इस दलील को आयुक्त ने यह कहते हुए नकार दिया कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

इधर, परिहान ने जब नगर परिषद में बनाई गई समिति को एक्टिव नहीं करने की बात कही तो उपसभापति धनपतसिंह सभापति व नगर परिषद प्रशासन की तरफदारी करते दिखे तो कांग्रेस पार्षद पिंकी रावल ने यह कहते हुए उन्हें टोक दिया कि वह पारदर्शिता और जनता के पक्ष में हैं तो अधिकारियों की ओर मुंह करके उनके विरोध में बोलें न कि पार्षदों की ओर मुंह करके।

इधर, भाजपा पार्षद मगन मीणा भी सभापति का पक्ष लेते दिखे तो उन्हें भी भाजपा पार्षदों ने चुप करवा दिया। इसके बाद दोनों भी सभी पार्षदों के मूड का भांप गए। इधर, कांग्रेस पार्षद जितेन्द्र सिंघी ने पहले ही आठ महीने से बैठकें आयोजित नहीं करने और सफाई, कचरा परिवहन व बिजली मरम्मत के ठेके को निरस्त करने की बात कह दी थी, बाद में भाजपा पार्षदों ने भी इस पर सहमति जता दी।

एजेंडों से असहमति बनी बहिष्कार का कारण
सूत्रों की मानें तो नगर परिषद की साधारण बैठक में चर्चित होने वाले एजेंडे ही इस बैठक के बहिष्कार के प्रमुख कारण बने थे। भाजपा पार्षदों को यह आशंका थी कि इस बेठक में रखे गए एजेंडे में नगर परिषद उन कार्यों पर सहमति लेना चाह रही है जिससे भाजपा और उनकी छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ता। इसमें कियोस्क, ट्री गार्ड, अतिक्रमणों के नियमन के पुराने मामले के एजेंडे प्रमुख थे जो वर्तमान भाजपा बोर्ड को शंका के घेरे में ला रहा था। बैठक में उन विकास कार्यों को भी पास करवाने का प्रस्ताव था, जिस पर शहरवासी पहले ही अंगुली उठा चुके हैं।

कांग्रेस भी तैयार
यदि भाजपा का विरोध नहीं होता तो सभापति व आयुक्त को कांग्रेस के बहिष्कार और विरोध का सामना करना पड़ता । इसमें भी भाजपा पार्षदों को अपनी छवि बचाने के लिए मजबूरन कांग्रेस का साथ देना होता।

कांग्रेस ने सीसीटीवी प्रकरण की जांच में हो रही देरी, ट्री गार्ड की खरीद, राजस्थान दिवस व भजनों में पैसा लगाने के मामले में भाजपा व कांग्रेस के पार्षदों की सहमति नहीं लेने, नियम विरुद्ध नियुक्तियां देने, सफाई-बिजली-कचरा परिवहन ठेके को निरस्त करने, शहर में छंगाई के नाम पर काटे गए पेड़ों की लकडिय़ों के निस्तारण, नव नियुक्त सफाईकर्मियों को जोधपुर स्थानांतरित करके शहरवासियों के साथ कुठाराघात करने, शहर में परचूनी की तरह सरकारी जमीनों के पट्टे जारी करने, गोयली चौराहे के अलावा शहर के अन्य स्थानों से अतिक्रमण नहीं हटाने समेत दो दर्जन मामलों मे वर्तमान सभापति को हाशिये पर रखने की तैयारी की हुई थी।

भाजपाई भी थे तैयार
भाजपा पार्षद भी सभापति के माध्यम से की जा रही उनकी अनदेखी को लेकर विरोध जताने के लिए पूरी तैयारी के साथ आए थे। स्थिति यह थी कि अपनी ओर से रखे जाने वाले हर मुद्दे को कानूनी मजबूती दिखाने के लिए बाकायदा नगर पालिका अधिनियम में संबंधित मुद्दों के पेजों पर फ्लैग लगाकर सभाभवन में आए थे।

नारेबाजी भी
इधर, नगर परिषद सभाभवन से बाहर निकलते हुए मुख्यद्वार पर कांग्रेस के पार्षदों ने भाजपा बोर्ड के खिलाफ नारेबाजी की। इस पर भाजपा पार्षद भी नगर परिषद प्रशासन के विरोध में नारेबाजी करने लगे।
इनका कहना है…
भाजपा के बोर्ड व सभापति की कार्यप्रणाली से भाजपाई भी असंतुष्ट हैं। उनकी अनदेखी करके सभापति नियमविरुद्ध कार्य को प्रश्रय दे रहे हैं इसलिए भाजपाई भी नाराज हैं। भाजपा पार्षद नहीं करते तो नगर परिषद में भाजपा बोर्ड में हो रही अनियमितता के लिए कांग्रेस सभापति को घेरती।
जितेन्द्र सिंघी
पार्षद, कांग्रेस।
हम बैठक के बहिष्कार के मूड से नहीं गए थे, लेकिन हमें जनता में पार्टी और पार्षदों की छवि की चिंता है। सोशल मीडिया में नगर परिषद की कार्यप्रणाली के संबंध में चल रही चर्चाएं भाजपा की छवि खराब कर रही हैं। इसलिए पारदर्शिता चाहिए। वर्तमान बैठक के एजेंडों से सहमत नहीं थे।
शंकरसिंह परिहार
पार्षद, भाजपा।
बैठक का सभी पार्षदों ने सामूहिक बहिष्कार कर दिया था। ऐसे में बैठक में कोई ऐजेंडा नहीं लिया गया है।
दिलीप माथुर
कार्यवाहक आयुक्त, नगर परिषद, सिरोही।