Home Bihar बिहार में मांझी भी हो सकतें है भाजपा के साथी

बिहार में मांझी भी हो सकतें है भाजपा के साथी

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बिहार में मांझी भी हो सकतें है भाजपा के साथी
bjp may tie up with jitan ram manjhi in bihar
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बेंगलूरू। इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। बेंगलूरू में होने हो रही पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा होने की संभावना है।

बिहार से आने वाले राष्ट्रीय कार्यकारिणी के एक सदस्य ने हिन्दुस्ताथान समाचार से बताया की चुनाव को लेकर बिहार से नेताओं से फिड बैक मांगा गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की हार भाजपा के विशेषकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अध्यक्ष अमित शाह के लिए गहरा अघात था।

दिल्ली विधान सभा चुनाव में पार्टी की हार ने साबित कर दिया की केवल केन्द्रीय नेतृत्व के भरोसे चुनाव नहीं जीता जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिस गुटबाजी की जिस प्रकार की समस्या से पार्टी को दिल्ली में दो चार होना पड़ा ठीक उसी प्रकार की समस्या बिहार में बहुत पहले से है।

बिहार में गठबंधन के सवाल पर उन्होंने ने कहा कि राम विलास पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा के साथ उनका गठबंधन तो है, लेकिन फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी एक शक्ति बनकर उभर रहें हैं। उनकी राय में भाजपा को मांझी के साथ गठबंधन करने पर भी विचार करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यदि मांझी से गठबंधन नहीं हो पो पाये तो पार्टी को चाहिए मांझी राजद या जद यू के साथ नहीं जा पायें। बिहार में मांझी आज रामविलास पासवान से बडी ताकत बनकर उभर रहें हैं। इसलिए भाजपा को उन पर भी नजर बनाये रखना चाहिए। वैसे मांझी ने पहले ही कह चुकें हैं कि वह भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकते हैं।

यदि पार्टी बिहार में जीतती है तो मुख्यमंत्री कौन होगा के सवाल पर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाण के तर्ज पर वहां भी चुनाव के पहले मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं किया जाएगा लेकिन यदि जादुई अंक मिलता है तो बिहार में सुशील कुमार मोदी ही मुख्यमंत्री होंगें।

उल्लेखनीय है कि बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है। दो साल पहले जनता दल यू के साथ गठबंधन टुटने के बाद से भाजपा बिहार में विपक्षी दल की भूमिका में हैं। इस चुनाव में पार्टी को सत्ता में आने की पूरी संभावना है लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी सकते में हैं और अपने चुनावी रणनीति पर नये सिरे से विचार कर रही है।