Home Bihar केंद्र चुनाव सुधार व कालाधन समाप्ति को कटिबद्ध : अमित शाह

केंद्र चुनाव सुधार व कालाधन समाप्ति को कटिबद्ध : अमित शाह

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केंद्र चुनाव सुधार व कालाधन समाप्ति को कटिबद्ध : अमित शाह
bjp president Amit Shah patna visit
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bjp president Amit Shah patna visit

पटना। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी की सरकार देश से कालाधन समाप्त करने के साथ-साथ राजनीति में शुचिता लाने और चुनाव प्रक्रियाओं में सुधार लागू करने के लिए प्रयासरत है।

जनसंघ के संस्थापक तथा एकात्म मानववाद के प्रचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के संपूर्ण विचारों, बौद्धिक संवादों और आलेखों को 15 खंडों में संकलित उनके संपूर्ण वांगमय के लोकार्पण कार्यक्रम में शाह ने कहा कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार देश से कालाधन समाप्त करने के लिए कटिबद्ध है।

कालाधान समाप्त करने में राजनीनिक शुचिता को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा राजनीतिक शुचिता के मामले में अन्य दलों से काफी आगे है। वह ऐसी योजना पर काम कर रही है जिसे लागू करने के बाद यह दल अन्य पार्टियों से कई फर्लांग आगे निकल जाएगी।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गंभीर​तापूर्वक राजनीतिक दलों को मिल रहे चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए गहराई से काम कर रही है। केन्द्र की सरकार खर्च रहित चुनाव की परिकल्पना की चर्चा करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि देश में चुनाव सुधार के लिए सबसे पहले इसे खर्चरहित बनाना होगा।

उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री इन तीनों कार्यो को लागू करने के लिए गंभीरतापूर्वक कार्य करेंगे। नोटबंदी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसके बाद कालाधन समाप्त करने और भ्रष्टाचार रोकने पर भाजपा सरकार कड़ाई से काम करेगी। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से देश की करीब 80 करोड़ गरीब जनता को लाभ मिलेगा।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशति के उपलक्ष्य में राजनीति में शुचिता लाने का संकल्प लेते हुए शाह ने कहा कि राजनीति में पारदर्शिता के लिए और चुनाव सुधारों के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है जो इस कार्य के लिए सुझाव देगी।

भारत दुनिया में विश्व गुरू के रूप में स्वीकार्य हो इसके लिए भाजपा के 11 करोड़ सदस्यों से देश और समाज हित में एक-एक संकल्प लेने का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि यदि सभी कार्यकर्ता आत्मचिंतन कर इस दिशा में बढ़ेंगे तो भारत को विश्वगुरू होने से कोई रोक नहीं सकेगा। उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय का वांगमय इस दिशा में मार्गदर्शन करेगा।

केन्द्र सरकार की कार्यो की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि दीनदयाल शताब्दि वर्ष को गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है और इस दौरान 70 से 80 करोड़ लोगों के जीवन को ऊपर उठाने का सरकार प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा कि आजादी के सत्तर साल बाद भी 60 करोड़ लोगों का देश में कोई बैंक खाता नहीं था, इसका संज्ञान लेते हुए मोदी सरकार ने डेढ़ साल की अवधि में सत्ताईस करोड़ लोगों का बैंक खाता खुलवाया। उन्होंने कहा कि 60 करोड़ लोग जो देश के अर्थव्यवस्था से जुड़े हुए नहीं थे, उन्हें सीधे तौर पर अर्थव्यवस्था से जोड़ने का काम केन्द्र की सरकार ने किया।

उन्होंने कहा कि जनधन खाता खुलवाकर और एलपीजी सब्सिडी समाप्त कर केन्द्र ने देश से भ्रष्टाचार दूर करने का काम किया है। एलपीजी सब्सिडी लाभार्थी के खाते में सीधे चले जाने के निर्णय से देश में सब्सिडी के नाम पर 14900 करोड़ रूपए की हेराफेरी बंद हुई है जिसका लाभ आम लोगों को​ ​मिला है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने एलपीजी की सब्सिडी छोड़ते हुए लोगों से इसे छोड़ने की अपील की थी इसके बाद एक करोड़ 37 लाख लोगों ने एलपीजी सब्सिडी गरीबों के लिए छोड़ी।

विकास के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को विकसित करने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए उन्होंने कहा कि उज्जवला योजना के तहत 2019 तक गरीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन दिया जाएगा। अभी तक एक करोड़ तीस लाख लोगों को एलपीजी कनेक्शन दिया जा चुका है।

गरीबों की विकास की योजनाओं के बारे में उन्होंने लोगों से टैक्स की चोरी नहीं करने की अपील की और कहा कि इससे बजट की राशि में बढ़ोतरी होगी और गरीबों का कल्याण हो सकेगा।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांतों, विचारों और चिंतन को आज भी प्रासंगिक बताते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय पहले व्यक्ति हैं ​​जिन्होंने दुनिया के सामने सरलता पूर्वक देश और राष्ट्र की जगह भू-सांस्कृतिक राष्ट्र की परिकल्पना रखा थी।

श्री कृष्ण को संस्कृति का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि मणीपुर हो या मथुरा औरा वृंदावन हो चाह गुजरात, कृृष्ण की संस्कृति सभी जगह एक सी है और ऐसी ही संस्कृति के आधार पर राष्ट्र में कहीं भी बिखराव नहीं आएगा।

शाह ने कहा कि अपने अल्प जीवन काल में ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने संघ के प्रचारक के रूप में काम करते-करते देश, काल की समस्याओं का समाधान दे गए।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय को मूलगामी चिंतक और विचारक बताते हुए उन्होंने कहा कि दुविधापूर्ण तथा अंतरविरोध से भरे कालखण्ड में उन्होंने समन्वय स्थापित करते हुए काम किया। उन्होंने कहा कि संघ की कार्यपद्धति को राजनीतिक दल के अंदर समाहित करने का मंडल से लेकर उपरी स्तर तक पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने सफलता पूर्वक प्रयोग किया।

इस अवसर पर बोलते हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सम्पूर्ण वांगमय संपादक मंडल के सदस्य रामबहादुर राय ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डोनाल्ड ट्रंप का अमरीका का राष्ट्रपति चुना जाना, ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से बाहर आना तथा देश स्तर पर वांगमय का प्रकाशन और नोटबंदी को बीते वर्ष की महत्वपूर्ण घटना बताते हुए कहा ​कि नोटबंदी में रामराज के संकेत भी छुपे हुए है।

उन्होंने भारत के दोनों घटनाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इन दोनों घटनाओं से भारत में कल्पवृक्ष का उदय होगा जिसका देश गवाह बनेगा।

दीनदयाल उपाध्याय संम्पूर्ण वांगमय के संपादक महेश चन्द्र शर्मा के तीस वर्षो के अथक प्रयासों के बाद इस वांगमय के बाद सम्पादन हुआ है जिसमे सुरताल की लयबद्धता के साथ—साथ भारतीयता और राष्ट्रीयता की भी लयबद्धता है।

उन्होंने आशा व्यक्त किया कि पंडित ​दीनदयाल उपाध्याय की सम्पूर्ण वांगमय में सुझाए रास्तों का अनुकरण कर विघटन की राजनीति के बादल दूर होंगे और उजाले का उदय होगा।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्ममानवाद में मार्कसवाद के समाहित होने की चर्चा करते हुए रामबहादुर राय ने कहा कि वांगमय ही वैचारिक विकल्प दे सकता है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय को आंतरिक रूप से सशक्त ​व्यक्तित्व बताते हुए कहा कि कम्युनिज्म और मार्क्सवाद की आंधी के बावजदू वे समय में नहीं बहे और अपने आंतरिक व्यकित्त्व को जगा कर रखा।

वर्तमान राजनीति में भारतीयता का सितार टूट गया है जिसे वांगमय ठीक करना सिखा सकता है। आज के समय को समस्या प्रधान बताते हुए उन्होंने कहा कि इन समस्याओं का संबंध 160 सालों का है जिसकी छाया आज की राजनीति पर भी है।

इस अवसर पर बोलते हुए वांगमय के संपादक महेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि पाश्चातय के विद्धानों की दी गई परिभाषाओं को रटकर हमने परिभाषायें पास की और डिग्रियां लीं।

उन्होंने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति ने जितना हमें सिखाया है उतना ही हमारी संस्कृति को हमसे दूर भी किया है। अपनी भूली हुयी संस्कृति को इस वांगमय के जरिये फिर से अपनाया जा सकता है।

राष्ट्र के सन्दर्भ में दी गई परिभाषाओं को अराजक बताते हुए उन्होंने कहा कि इसकी वजह से दुनिया ने दो-दो विश्वयुद्ध देखे और शीतयुद्ध भी झेला। उन्होंने कहा कि भारत के मनीषियों ने भू-राष्ट्रवाद की परिभाषा दी और इसकी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की परिभाषा ​ही वसुधैव कुटुम्बकम को एकात्ममानववाद के द्वारा चरितार्थ करेगा।