Home Breaking यूपी में बीजेपी का राज : मुख्यमन्त्री की रेस में कौन कौन

यूपी में बीजेपी का राज : मुख्यमन्त्री की रेस में कौन कौन

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यूपी में बीजेपी का राज : मुख्यमन्त्री की रेस में कौन कौन
bjp sets to rule UP : five leaders being talked about for the chief minister post
bjp sets to rule UP : five leaders being talked about for the chief minister post
bjp sets to rule UP : five leaders being talked about for the chief minister post

लखनऊ। सूबे में कमल खिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी में जहां जबरदस्त उत्साह का माहौल है। वहीं भगवा खेमे में अब मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरे की तलाश तेज हो गई है।

यूं तो चुने गए विधायकों की सहमति से मुख्यमंत्री का चयन होने की बात कही जाती है, लेकिन पार्टी में जो नाम सीएम पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे है, उनमें किसी ने भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है। ऐसे में केन्द्रीय नेतृत्व की ओर से ही इस पद के लिए नाम फाइनल किया जाना तय है, जिस पर यहां अन्तिम मुहर लगा दी जाएगी।

केशव प्रसाद मौर्य का नाम सबसे आगे

इस रेस में प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य सबसे आगे चल रहे हैं। केशव को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने ओबीसी वर्ग को अपने से जोड़ने की पहल की। इसमें उसे कामयाबी भी मिली। केशव विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व पदाधिकारी रह चुके हैं। वह अशोक सिंघल के बेहद करीबी थे और राम मन्दिर आन्दोलन के दौरान केशव के लिए विशेष तौर पर अयोध्या प्रान्त की रचना की गयी थी। इसमें उन्हें प्रान्त संगठन मंत्री बनाया गया था।

वहीं केशव के जाने के बाद अयोध्या प्रान्त की संरचना को ही समाप्त कर दिया गया। केशव को राजनीति में लाने का श्रेय भी अशोक सिंघल को जाता है। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद पश्चिमी सीट से बाहुबली अतीक अहमद के खिलाफ दो बार चुनाव लड़कर सुर्खियां बटोरी। हालांकि उन्हें हार नसीब हुई।

इसके बाद वह कौशाम्बी की सिराथू विधानसभा से पहली बार विधायक बनने में कामयाब हुहए। वहीं विधायक रहते ही उन्होंने 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। केशव राजनीति में शून्य से शुरूआत करते हुए शिखर तक पहुंचे हैं। उन्होंने बहुत कम समय में लोकप्रियता भी हासिल की है। इसलिए पार्टी उनके नाम पर भी विचार कर सकती है।

मनोज सिन्हा भी सीएम रेस में

मुख्यमंत्री पद की दौड़ में एक अन्य नाम केन्द्रीय मंत्री मनोज सिन्हा का है। गाजीपुर से सांसद मनोज सिन्हा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुड़े रहे हैं। 1996 में सिन्हा 11वीं लोक सभा के लिए निर्वाचित हुए तथा वर्ष 1999 में वह 13वीं लोक सभा के लिए फिर निर्वाचित हुए। 2014 में सिन्हा 16वीं लोक सभा के लिए ग़ाज़ीपुर से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। सिन्हा की क्लीन और विकासपरक छवि उन्हें रेस में बनाए हुए हैं।

चर्चा में केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल का नाम

इस रेस में केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल का नाम भी चर्चाओं में हैं। मूल रूप से आगरा से ताल्लुक रखने वाले पीयूष गोयल वर्तमान में महाराष्ट्र से सांसद हैं और भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. वेद प्रकाश गोयल के पुत्र हैं। ऊर्जा सेक्टर में बेहतर काम करने के कारण वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गुडलिस्ट में हैं। इसके अलावा पीयूष गोयल को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का करीबी भी माना जाता है। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में उन्होंने बिजली के मुद्दे पर अखिलेश यादव सरकार को घेरने का भी काम किया था। यहां तक की मुख्यमंत्री के वाराणसी में 24 घण्टे बिजली दावों पर भी सवाल उठाए।

सुनील बंसल भी सीएम पद के दावेदार

इसके अलावा पार्टी के संगठन महामंत्री सुनील बंसल को भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताया जा रहा है। उन्हें भाजपा की जीत का मार्ग धरातल पर प्रशस्त करने वाला असली चाणक्य कहा जाता है। वह पीएम मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेहद विश्वासपात्र माने जाते हैं।

सीएम बनने की कतार में महेन्द्र पाण्डेय

एक अन्य नाम केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री महेन्द्र पाण्डेय भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बताया जा रहा है। महेन्द्र पाण्डेय चन्दौली से सांसद हैं, जो केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का गृह जनपद भी है। उन्होंने छात्र राजनीति से नाम कमाया और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्रसंघ से भी जुड़े रहे। वह भाजपा में संगठन के विभिन्न पदों पर भी रहे हैं। महेन्द्र पाण्डेय को रामशंकर कठेरिया को हटाकर केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री बनाया गया था।

संघ प्रचारक शिवप्रकाश का नाम भी सुर्खियों में

इसी तरह एक अन्य नाम शिवप्रकाश भी सुर्खियों में है। शिव प्रकाश पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री होने के साथ-साथ संघ प्रचारक है। वह पश्चिमी यूपी में संघ के पूर्व क्षेत्रीय प्रचारक भी रह चुके हैं। शिवप्रकाश को संगठन का अच्छा अनुभव है। संघ का बैकग्राउण्ड होने के नाते उनका नाम भी आगे बढ़ाया जा सकता है। हालांकि अगर पार्टी इन सभी नामों के अलावा किसी नए चेहरे पर दांव लगाती है तो भी इनकार नहीं किया जा सकता।

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