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दिल्ली में काबिज होने को भाजपा की जी तोड कोशिश

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दिल्ली में काबिज होने को  भाजपा की जी तोड कोशिश
BJP's banks on last minute power in delhi battle
BJP's banks on  last minute power in delhi battle
BJP’s banks on last minute power in delhi battle

नई दिल्ली । देश की राजनीति पर दूरगामी असर डालने वाले दिल्ली विधानसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और उसकी मुख्य प्रतिद्वंदी आप ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी तथा करीब दो सप्ताह चले सघन चुनाव प्रचार अभियान में रिकॉर्ड जनसभाओं का आयोजन किया गया। अब गेंद जनता के पाले में है सात फरवरी को वह दिल्ली का राजनीतिक भविष्य तय करेगी।

केंद्र में सत्तारूढ भाजपा ने फिलहाल पूर्ण राज्य के दर्जे से वंचित दिल्ली की गद्दी पर काबिज होने के लिए जी तोड प्रयास किये तथा स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी राजनीतिक पूंजी दांव पर लगाते हुए चार जनसभाओं को संबोधित किया। प्रचार की शुरूआत में राजनीतिक विश्लेषक चुनावी दंगल को मोदी बनाम केजरीवाल की संज्ञा दे रहे थे हालांकि बाद में भाजपा ने किरण बेदी को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश कर मोदी को इस सत्ता रस्साकशी से कुछ दूर कर लिया।
भाजपा ने दिल्ली में 16 साल के सत्ता के सूखे को समाप्त करने के लिए अपने सांसदों को चुनावी मैदान में उतारने से भी गुरेज नहीं किया। हालांकि सांसदों के नाम और चेहरे जनता के लिए अपरिचित होने के कारण वह नुक्कड सभाओं में न तो भीड ही बटोर सके और न ही भाजपा के पक्ष में माहौल ही बना पाए उल्टा भाजपा नेतृत्व के लिए सिरदर्द ही साबित हुए। सांसद साध्वी निरंजन ज्योति सहित कई नेताओं ने विवादित बयान देकर पार्टी की फजीहत ही करायी। इसके बाद पार्टी ने मध्य प्रदेश में सफल रहे पन्ना प्रमुख कार्यक्रम को भी दिल्ली में आजमाया, लेकिन इसे लेकर स्वयं पार्टी कार्यकर्ताओं में असमंजस बना रहा। पार्टी कार्यकर्ता इसे दूरी से उठाया कदम बता इसकी आलोचना करते रहे।
इस बार दिल्ली का चुनाव अभियान व्यस्ततम अभियानों में से एक रहा है इसमें 321 जनसभायें, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 4 रैलियां तथा दिल्ली भर में 200 रोड शो किये गये। आज भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ओखला विधानसभा में जनसभा करके अपने 12 दिनों के अभियान का समापन किया और मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार डाॅ. किरण बेदी ने मंगोलपुरी, सुल्तानपुरी, नांगलोई और उसके बाद अपने क्षेत्र कृष्णा नगर में रोड शो किये।
टिकट वितरण भाजपा के लिए इस बार बेहद टेढी खीर साबित हुआ। पार्टी ने विरोध से बचने के लिए इसमें काफी देरी की और नामांकन से महज दो दिन पहले सूची जारी की लेकिन इसके बावजूद पार्टी को जबरदस्त विरोध का सामना करना पडा। हद तो तब हो गई जब स्वयं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय का टिकट कटने से नाराज उनके समर्थकों ने पार्टी मुख्यालय पर आकर हंगामा किया।
इसके अलावा मुख्यमंत्री के तौर पर पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को पेश करने पर भी पार्टी में जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है। पार्टी में बरसों से जुडे कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर अन्य दलों से आकर भाजपा से जुडे लोगों को टिकट देने से भी भाजपा का काफी पडा तबका आहत है। अब यह तो 10 तारीख को ही पता चलेगा कि भाजपा नेतृत्व पार्टी के भीतर उपजे विरोध को धामने में कितने कामयाब रहे और उन्होंने क्षेत्र में जनता पर कितना प्रभाव छोडा।

 

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