Home Madhya Pradesh Anuppur धन्य-धन्य महाकाल : शिवराज सिंह चौहान

धन्य-धन्य महाकाल : शिवराज सिंह चौहान

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धन्य-धन्य महाकाल : शिवराज सिंह चौहान
Blessed-blessed Mahakala : shivraj singh Chouhan
Blessed-blessed Mahakala : shivraj singh Chouhan
Blessed-blessed Mahakala : shivraj singh Chouhan

कालों के काल भूतभावन भगवान महाकालेश्वर की परम-पावन उज्जयिनी में मोक्षदायिनी क्षिप्रा के तट पर सिंहस्थ रूपी अमृत का महापर्व सानंद सम्पन्न हो गया। एक माह कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला। भक्ति की गंगा में निमग्न साधु-संतों तथा आम श्रद्धालुओं के चित्त चैतन्य से इस प्रकार प्रकाशित रहे कि रात-दिन का अंतर समाप्त हो गया।

सब कुछ स्वप्नवत लगता रहा। श्री महाकाल की दिव्य लीला ने सभी को दिव्यत्व से ऐसा सराबोर कर दिया कि भक्तों का रोम-रोम अलौकिक आनंद से भर उठा। सोचता हूँ यह सब कैसे संभव हो गया। लगभग 5 लाख जनसंख्या वाले इस छोटे से नगर में 8 करोड़ से अधिक श्रद्धालु और साधु-संत जिस तरह सुविधापूर्वक धर्मलाभ ले सके, उससे यह एक बार फिर सिद्ध हो जाता है कि उज्जैन के कंकर-कंकर में शंकर का निवास है।

बेशक, इतना बड़ा आयोजन महाकाल की कृपा से ही सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह, समस्त प्रशासनिक एवं पुलिस के अधिकारियों की टीम ने आस्था के इस आयोजन को सफल बनाने के अथक प्रयास किए। सफाईकर्मियों, हजारों सुरक्षाकर्मी जिसमें सीआरपीएफ, पुलिस बल, बीएसएफ, सीआईएसएफ आदि के जवान शामिल थे, साधु-संतों और श्रद्धालुओं के लिए सिंहस्थ को अधिकतम सुविधाजनक बनाने में दिन-रात जुटे रहे।

अपने समर्पित कार्य के माध्यम से उन्होंने भी अक्षय पुण्य-लाभ अर्जित किया। यह सिंहस्थ कई अर्थों में पिछले सिंहस्थों से भिन्न और अभूतपूर्व रहा। यह सिंहस्थ क्लीन और ग्रीन होने के साथ-साथ आधुनिकतम सुविधाओं के श्रेष्ठतम उपयोग के लिये भी इतिहास में दर्ज होगा।

एक माह के इस महापर्व के दौरान कुछ संकट के क्षण भी आये। बेमौसम बारिश और आँधी के रूप में दो बार प्राकृतिक बाधाएँ भी आईं। एकबारगी तो मन में भय उत्पन्न हो गया, लेकिन श्री महाकाल के दरबार में जब हाथ जोड़कर खड़ा हुआ तो लगा कि उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं से श्रद्धालुओं को अभय दे दिया है।

सिंहस्थ के दौरान विचार मंथन की युगों पुरानी परम्परा भी इस सिंहस्थ के दौरान फिर शुरू हुई। इसमें मानवता के समक्ष उपस्थित चुनौतियों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। विचार मंथन से जो सारतत्व सामने

आया उसे सिंहस्थ सार्वभौम अमृत संदेश के रूप में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व के लिये जारी किया। इस दिव्य दृश्य को जिसने भी देखा वह देखता ही रह गया और जीवनभर यह क्षण वह कभी भूल नहीं पायेगा।

देश के हर कोने-कोने से आये श्रद्धालुओं के कारण उज्जैन में सिंहस्थ के दौरान लघु विश्व का दृश्य उपस्थित हुआ। दूसरी ओर विश्व भर से आये भक्तों ने वसुधैव कुटुम्बकम के मंत्र को सार्थक किया। सिंहस्थ के दौरान देशभर से आये लगभग 40 हजार कलाकारों ने भारतीय कला और संस्कृति के इंद्रधनुषी रंग बिखेरकर कलाप्रेमियों और दर्शकों को भावविभोर कर दिया।

मैं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और सभी पदाधिकारियों, उनके अधीश्वरों, देश भर से पधारे सभी साधु-संतों, योगियों, भक्तों, युति, साधक तथा पदाधिकारियों के प्रति हृदय की गहराई से आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने सिंहस्थ में पधारकर सनातन धर्म की गरिमा को और आगे बढ़ाया। सिंहस्थ आयोजन के इतिहास में पहली बार जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए शैव एवं वैष्णव संप्रदाय के सभी अखाड़ों ने सामूहिक रूप से स्नान करने का निर्णय लिया।

इससे आम भक्तों को अत्याधिक सुविधा हुई। मैं समस्त अखाड़ों के प्रति अपनी अपार श्रद्धा और कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। उनके वचनामृत एवं पावन सानिध्य ने कोटि-कोटि श्रद्धालुओं के मन में ईश्वर और धर्म के प्रति आस्था को और सुदृढ़ बनाया है। मेरा विश्वास है कि भौतिकता की अग्नि में दग्ध मानवता को विश्व शांति का दिग्दर्शन करवाने में यह आयोजन अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। मध्यप्रदेश सरकार ने अपनी ओर से उनकी सेवा-सुविधा में कोई कमी नहीं रखी, फिर भी यदि कोई त्रुटि रह गई हो तो उसके लिये मैं क्षमा प्रार्थी हूँ।

हम सभी में भगवान श्री महाकाल का अंश है और उसीने हमसे सब कुछ करवाया। करने वाले श्री महाकाल और करवाने वाले भी श्री महाकाल। इसलिए धन्य-धन्य श्री महाकाल। उनके चरणों में कोटिश: प्रणाम।

(लेखक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं)