Home Breaking जल संसाधनों और जंगलों को बचाने की जरूरत : मोदी

जल संसाधनों और जंगलों को बचाने की जरूरत : मोदी

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जल संसाधनों और जंगलों को बचाने की जरूरत : मोदी
pm modi's mann ki baat, may 2016
pm modi's mann ki baat, may  2016
pm modi’s mann ki baat, may 2016

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में देश के अधिकांश हिस्से में पड रही भीषण गर्मी और सूखे से निपटने के लिए स्थायी समाधान पर जोर दिया। साथ ही उत्तर भारत के जंगलों में लगी आग के मुद्दे पर चर्चा करते हुए कहा कि हमे अपने जल संसाधनों और जंगलों को बचाने की जरूरत है।

‘मन की बात’ के माध्यम से 20वीं बार देश की जनता से मुखाबित नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरे लिए ‘मन की बात’ ये कर्मकाण्ड नहीं है। उन्होंने कहा गर्मी बढ़ती ही चली जा रही है। क़रीब-क़रीब देश का अधिकतम हिस्सा गर्मी की भीषण आग का अनुभव कर रहा है।

पारा आसमान को छू रहा है। पशु हो, पक्षी हो, इंसान हो, हर कोई परेशान है। पर्यावरण के कारण ही तो ये समस्याएँ बढ़ती चली जा रही हैं। उन्होंने कहा 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस है। हमें पेड़-पौधों, पानी और हमारे जंगल कैसे बढ़ें इस पर चर्चा करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों उत्तराखण्ड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर-हिमालय की गोद में, जंगलों में जो आग लगी; आग का मूल कारण ये ही था कि सूखे पत्ते और कहीं थोड़ी सी भी लापरवाही बरती जाए, तो बहुत बड़ी आग में फैल जाती है और इसलिए जंगलों को बचाना, पानी को बचाना – ये हम सबका दायित्व बन जाता है।

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों मुझे जिन राज्यों में अधिक सूखे की स्थिति है, ऐसे 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ विस्तार से बातचीत करने का अवसर मिला। इसमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा शामिल हैं।

आम तौर पर सरकार में, भारत सरकार से कितने पैसे गए और कितनों का खर्च हुआ – इससे ज्यादा बारीकी से बात नहीं होती है। लेकिन अलग—अलग राज्यों से विस्तार से बातचीत में यह जानकारी मिली ​की कई राज्यों ने बहुत ही उत्तम प्रयास किए हैं, पानी के संबंध में, पर्यावरण के संबंध में, सूखे की स्थिति को निपटने के लिए, पशुओं के लिए, असरग्रस्त मानवों के लिये और एक प्रकार से पूरे देश के हर कोने में, किसी भी दल की सरकार क्यों न हो, ये अनुभव आया कि इस समस्या की, लम्बी अवधि की परिस्थिति से, निपटने के लिए स्थायी समाधान क्या हों, कायमी उपचार क्या हो, उस पर भी ध्यान था।

कुछ राज्यों ने, खास करके आन्ध्र ने, गुजरात ने तकनीक का भरपूर उपयोग किया है। मैं चाहूँगा कि आगे नीति आयोग के द्वारा राज्यों के जो विशेष सफल प्रयास हैं, उसको हम और राज्यों में भी पहुंचाएं।

नरेंद्र मोदी ने कैसलैस लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए लोगों का आह्वान किया। उन्होंने कहा देश के क़रीब-क़रीब सभी परिवारों के बैंक खाते खुल गए। आधार नंबर भी मिल गया और मोबाइल तो क़रीब-क़रीब हर हिन्दुस्तानी के हाथ में पहुँच गया है। तो ‘जन-धन’, ‘आधार’ और ‘मोबाइल’ – (जेएएम) का तालमेल करते हुए हम इस कैशलेस समाज की तरफ़ आगे बढ़ सकते हैं।

आगामी रियो ओलंपिक का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा हमारे खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए सकारात्मक माहौल बनाया जाना चाहिए। उन्होंने खेल मंत्री सर्बानन्द सोनोवाल की प्रशंसा करते हुए कहा असम में चुनावी ड्यूटी के बीच सर्बानन्द पहले किसी को बताए बिना पटियाला पहुंचे। वहां उन्होंने ओलंपिक में जाने वाले खिलाडियों को दी जाने वाली सुविधाओं और प्रशिक्षण प्रावधानों की जांच की। मोदी ने देशवासियों से अपील की खेल जगत से जुड़े साथियों के प्रति उत्साह और उमंग का माहौल बनाने में सहयोग करें।

प्रधानमंत्री ने 10वी और 12वीं कक्षा में सफल होने वालों को बधाई दी साथ ही असफल छात्रों का हौसला बढाते हुए कहा जो सफल नहीं हो पाए हैं, उनको मैं फिर से एक बार कहना चाहूँगा कि ज़िंदगी में करने के लिए बहुत-कुछ होता है। अगर हमारी इच्छा के मुताबिक परिणाम नहीं आया है, तो कोई ज़िंदगी अटक नहीं जाती है। विश्वास से जीना चाहिए, विश्वास से आगे बढ़ना चाहिए।

उन्होंने बोर्ड परीक्षा में 89.33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने के बावजूद परिवार से दुत्कारे जाने वाले मध्य प्रदेश के गौरव पटेल का जिक्र करते हुए अभिभावकों से आग्रह किया कि बच्चे जो परिणाम लेकर आए हैं, उसको स्वीकार कीजिए, स्वागत कीजिए, संतोष व्यक्त कीजिए और उसको आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कीजिए, वरना हो सकता है, वो दिन ये भी आएगा कि आपको 100 प्रतिशत आने के बाद आप कहें कि भई 100 आया, लेकिन फिर भी तुम कुछ ऐसा करते तो अच्छा होते, तो हर चीज़ की कुछ तो मर्यादा रहनी ही चाहिए।

प्रधानमंत्री ने स्वस्थ रहने के लिए साफ-सफाई पर जोर देते हुए कहा हम ऐसी जिन्दगी क्यों न जियें, ताकि बीमारी आये ही नहीं, परिवार पर आर्थिक बोझ हो ही नहीं। एक तो स्वच्छता बीमारी से बचाने का सबसे बड़ा आधार है। ग़रीब की सबसे बड़ी सेवा अगर कोई कर सकता है, तो स्वच्छता कर सकती है।

उन्होंने 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस का भी जिक्र किया। उन्होंने स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 20-25 मिनट योग अवश्य करने की सलाह भी दी। मोदी ने कहा क्या 21 जून का उपयोग हम अपने जीवन में योग लाने के लिए कर सकते हैं, अपने समाज जीवन में योग लाने के लिए कर सकते हैं, अपने आस-पास के परिसर में योग लाने के लिए कर सकते हैं?

मैं इस बार 21 जून को चंडीगढ़ के लोगों के साथ योग करने वाला हूँ। आप भी उस दिन अवश्य जुडें, पूरा विश्व योग करने वाला है। आप कहीं पीछे न रह जाएं, ये मेरा आग्रह है। आप का स्वस्थ रहना भारत को स्वस्थ बनाने के लिए बहुत आवश्यक है।