Home Headlines सीसीटीवी कैमरा जांच-2: राजकोष के लूट की आपराधिक साजिश भी!

सीसीटीवी कैमरा जांच-2: राजकोष के लूट की आपराधिक साजिश भी!

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सीसीटीवी कैमरा जांच-2: राजकोष के लूट की आपराधिक साजिश भी!
simpal camera installed at baba ramdev chauraha instead of moving camera
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सिरोही। सिरोही में सीसीटीवी कैमरे में जो अनियममितताएं जांच में सामने आई हैं, वह अकल्पनीय है। अधिवक्ता मानसिंह देवडा ने जांच रिपोर्ट के बिंदुओं के देखने के बाद यह भी बताया कि इसमें आपराधिक साजिश करके राजकोष को चूना लगाने का मामला भी बनता है।
देखिये किस तरह हुआ सबकुछ
जांच रिपोर्ट के बिंदु संख्या दो में लिखा है कि इसके लिए बजट नहीं था। सबगुरु न्यूज ने पहले ही इस बारे में जिक्र किया था कि नगर परिषद के पास सामाजिक सरोकारों के लिए मात्र आठ लाख रुपये का बजट है। लेकिन, अपने अधिकारों से परे जाकर बोर्ड के निर्णयों के विपरीत आयुक्त और सभापति के हस्ताक्षर से जो 39 लाख 24 हजार 323 चेक निकले हैं वह चतुर्थ राज्य वित्त आयोग मद से जारी किए गए हैं। ऐसे में इन लोगों ने बजट का मद ही पूरी तरह से बदल दिया। यह का भी बोर्ड के अधिकार में नहीं है इसके लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है और यह एक बडा प्रोसेस है।
यूं हुआ मिलीभगत का शक
जांच समिति ने पत्रावली में जो तिथियां देखी उसके अनुसार ही इसमें मिलीभगत की बात लिखी है। जिस कंपनी को ठेका दिया गया, सीसीटीवी कैमरे की सप्लाई के लिए उसका पंजीयन 9 जुलाई, 2014 को हुआ। इसके बाद 10 अक्टूबर को इसका प्रस्ताव बोर्ड में रखा, 14 अक्टूबर को नियम के विपरीत जयपुर और जोधपुर के दो स्थानीय समाचार पत्रों में टेंडर का प्रकाशन किया गया और नियम के विपरीत 30 दिन की बजाय मात्र सात दिन बाद यानी 20 अक्टूबर को निविदा खोल दी गई। नेगोसिएशन के लिए भी स्टोर क्रय विक्रय नियम में तीन दिन का अधिकतम समय दिया हुआ है, लेकिन नगर परिषद सिरोही ने 22 अक्टूबर को ही नेगोसिएशन करके 22 अक्टूबर को क्रया आदेश दे दिया। स्टोर क्रय विक्रय नियम तथा राजस्थान वित्त नियम के तहत स्टोर की किसी भी क्रय प्रक्रिया में एडवांस या रनिंग बिल का भुगतान नहीं किया जा सकता, लेकिन क्रय आदेश के तीन दिन बाद यानी ठेकेदार ने 25 व 27 अक्टूबर को बिल पेश किया, जिसका जेईएन और स्टोर कीपर ने अप्रत्याशित तत्परता से वेरीफिकेशन कर दिया और आयुक्त व सभापति ने 27 को ही इसका भुगतान कर दिया। बिल प्रस्तुति के दिन ही जेईएन का वेरीफिकेशन कर देना जेईएन समेत अन्य की मिलीभगत की ओर इशारा कर रहा है।
एसपी के पत्र से इतर काम
नगर परिषद की तत्परता देखिये कि जो सीसीटीवी कैमरा पुलिस अधीक्षक के पहले ही पत्र में उसने एक करोड रुपये के ये कैमरे खरीदने के आर्डर दे दिये। पुलिस अधीक्षक कार्यालय की ओर से 29 सितम्बर को नगर परिषद की ओर से सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए अनुरोध पत्र लिखा गया था। नगर परिषद ने बिना किसी ना नुकुर और तकनीकी जानकारी लिए सीसीटीवी कैमरों के आॅर्डर दे दिये। सूत्रों की मानें तो ठेकेदार के स्थानीय दलाल और एक जनप्रतिनिधि इस अनुरोध पत्र से पहले पुलिस अधीक्षक कार्यालय यह आॅफर लेकर गया था कि वह नगर परिषद के माध्यम से सीसीटीवी कैमरा लगाने का काम कर सकता है। पुलिस सूत्रों के अनुसार स्थानीय दलाल सिरोही में ही पुलिस विभाग में सप्लाई के काम आदि करता है, इससे उसे पुलिस के सीसीटीवी कैमरे लगाने की मंशा की जानकारी थी। सूत्रों की मानें तो उसने इसकी जानकारी नगर परिषद के जनप्रतिनिधि को दी तो खुद जनप्रतिनिधि ही पुलिस अधीक्षक से मिलने गया और नगर परिषद के माध्यम से सीसीटीवी कैमरा लगवाने का आॅफर रखा और अनुरोध पत्र देने को कहा। इसके बाद जैसे ही पुलिस अधीक्षक कार्यालय से यह अनुरोध पत्र निकला, नगर परिषद के कोष को चूना लगाने का मौका मिल गया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि पुलिस अधीक्षक के अनुरोध का हवाला देते हुए खरीदे गए सीसीटीवी कैमरा में उन्हीं की बात नहीं मानी गई। पुलिस अधीक्षक ने गोयली चैराहा, अनादरा चैराहा और बाबा रामदेव चैराहा पर मूविंग केमरे लगाने को कहा था वह नहीं लगाए गए। वहीं चिकित्सालय के अंदर और बाहर तथा सर के एम स्कूल के पास भी कैमरा लगाने की कोई मांग नहीं थी, वहां भी लगा दिया गया।

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