Home Breaking दुर्गा पूजा : बंगला समुदाय का उल्लास चरम पर

दुर्गा पूजा : बंगला समुदाय का उल्लास चरम पर

0
दुर्गा पूजा : बंगला समुदाय का उल्लास चरम पर
Celebration of Durga Puja festival
Celebration of Durga Puja festival
Celebration of Durga Puja festival

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की धर्म, कला एवं संस्कृति को परिलक्षित करती दुर्गा पूजा के प्रारंभ होने के साथ ही बंगला समुदाय के लोगों में त्योहार का उल्लास अपने चरम पर है।

पारंपरिक हर्षोल्लास और श्रद्धाभाव से मनाई जाने वाली पांच दिवसीय दुर्गापूजा षष्ठी के दिन शुरु होकर 11 अक्टूबर विजयादशमी तक चलेगा।

दुर्गापूजा की खरीदारी को लेकर पिछले माह से शबाब पर रही लोगों की खुमारी उतर चुकी है और मॉल एवं बाजारों में साडिय़ां, धोती-कुर्ते, आभूषण, सौंदर्य प्रसाधन, मिठाइयों एवं उपहार सामग्रियों की दुकानों से बंगाली परिवारों की भीड़ छंट चुकी है तथा अब उनके कदम पूजा पंडालों की ओर बढऩे और ढाक की थाप पर धूनी धुलूचि लिए नृत्य की लय के साथ झूमने को आतुर हैं।

दुर्गापूजा को लेकर उत्साहित 12वीं की छात्रा अदिति मुखर्जी ने कहा कि हर वर्ष की तरह वह दुर्गापूजा पर नए कपड़े खरीदने के लिए इस बार भी काफी उत्साहित रही। मुझे खरीदारी बहुत पसंद है और त्योहार के दौरान मेरी मां बिना किसी नुक्ताचीनी के पैसे खर्च करने में नहीं हिचकिचाती।

कुछ ऐसे ही भाव व्यक्त करते हुए गाजियाबाद के वसुंधरा में रहने वाली सोनाली बोस ने कहा कि उसके परिवार ने इस बार अब तक कपड़े और फैशनेबन आइटम खरीदने के नाम पर 40 हजार रुपए खर्च कर डाले जो कि पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना है।

दुर्गापूजा पर नए कपड़े पहनने का बंगाली परिवारों में आलम यह है कि गरीब से गरीब परिवार भी त्योहार के इन चार दिन नए कपड़े पहनते हैं। संपन्न वर्ग तो पहर के हिसाब से भी अपना लुक बदलते नजर आते हैं। इंदिरापुरम निवासी मीता अधिकारी कहती हैं कि दुर्गा पूजा समूचे परिवार एवं समाज के लिए समारोह और खुशियों के आदान-प्रदान का मौका होता है।

आधुनिक परिधानों को तरजीह देने वाले महिला-पुरुष भी दुर्गा पूजा के दौरान विशेषकर महाअष्टमी के दिन पारंपरिक परिधान को प्रमुखता देते हैं। लक्ष्मी नगर निवासी शिउली भट्टाचार्य का कहना है कि नौ अक्टूबर अष्टमी के दिन वह पारंपरिक साड़ी पहनेंगी, लेकिन शेष दिन जींस ही उनकी पसंदीदा पोशाक होगी।

दिल्ली में बंगलाभाषी बहुल लोगों के इलाकों एवं कालोनियों में दुर्गा पूजा के साथ ही विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों को अंतिम रुप दिया जा चुका है। बंगला नाट््य रंगमंच से जुड़ी अनिता बनर्जी ने बताया कि चितरंजन पार्क स्थित सांस्कृतिक केंद्र में दुर्गा पूजा के मौके पर चार दिन तक लगातार मनोरंजक और हास्य नाटकों का मंचन किया जाएगा।

नौकरी एवं व्यवसाय के सिलसिले में दिल्ली में आकर बस चुके बंगाली परिवार अपने मूल निवास की मिट्टी से जुड़े हुए हैं और इसीलिए ये लोग दुर्गा पूजा के मौके पर पश्चिम बंगाल में अपने मूल निवास की ओर कूच कर जाते हैं।

दुर्गा पूजा मनाने नई दिल्ली -हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस से कोलकाता जा रही बरनाली दाम ने बताया कि उसके पति केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में इंसपेक्टर हैं और कुछ वर्षों के अंतराल में तबादले की वजह से उनका ठिकाना बदलता रहता है, लेकिन हम कहीं भी रहे दुर्गा पूजा के मौके पर कोलकाता अपने घर ही जाते हैं।

सर्वविदित है कि पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा की भव्यता तथा विशाल आकर्षक पंडालों की साजसज्जा राज्य के बाहर निवासरत गैर बंगाली समुदाय के लेागों को भी आकर्षित करती रही है। इसी परिप्रेक्ष्य में दिल्ली की पत्रकार जामिनी दुर्गा पूजा के मौके पर पश्चिम बंगाल की धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत से करीब से रुबरू होने के लिए सपरिवार कोलकाता जा रही हैं।