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स्वदेशी संगम : made in india नहीं made by india

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swadeshi sangam
declaration of swadeshi sangam after convention in jaipur

जयपुर।  राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्वदेशी जागरण मंच के तत्वावधान में  आयोजित दो दिवसीय स्वदेशी संगम में देशभर से जुटे स्वदेशी प्रेमियों ने अंतिम दिन एक घोषणा पत्र जारी किया गया। इस  घोषणापत्र में  देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मेड इन इंडिया मुहिम से भी आगे  बढ़ते हुए स्वदेशी प्रेमियों ने कहा कि देश का वास्तविक भला मेड बाई इंडिया से होगा। घोषणा पत्र का मूल प्रारूप इस प्रकार है…

आज स्वदेशी संगम के अवसर पर, सर्वसमावेशी विकास की भारतीय अवधारणा के लिए संकल्पित देश भर से आए हम सभी जन संगठनो के प्रतिनिधि पूर्ण दायित्व बोध के साथ, सर्वसम्मति से, विगत 23 वर्षो से आर्थिक वैश्वीकरण के दौर में देश व समाज के सम्मुख उत्पन्न विभिन्न संकटो के प्रति अपनी चिन्ता व्यक्त करते हैं:

कृषि, खुदरा व्यापार, पशुपालन, कुटीर व लघु उद्योग में संलग्न देश के बहुत बड़े वर्ग के लिए योगक्षेम व जीवनयापन उत्तरोत्तर कठिन व दूभर होता चला गया है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य के महंगे होते चले जाने के कारण आमजन का जीवन संकटमय होता जा रहा है। गाँवों से शहरों की ओर बढ़ता पलायन समस्या को गम्भीरतर बना रहा है। इस दिशा में परिवर्तन आवश्यक है।
मध्यम व बड़े उद्योगो के क्षेत्र में भी विदेशी पूंजी के बढते प्रभाव के कारण देश के उत्पादन तन्त्र का बहुत बड़ा भाग उद्यमबन्दी या विदेशी अधिग्रहण का शिकार हो गया है और आयात उदारीकरण के कारण देश विदेशी वस्तुओं के बाजार के अधीन हो गया है।
पर्यावरण असंतुलन व पारिस्थितिकी की अनदेखी के कारण हमारे जलस्रोत, वायुमण्डल, मिट्टी आदि तेजी से प्रदूषित होने के साथ ही वातावरण के बढते तापमान, प्राकृतिक संसाधनों के विलोपन आदि के गम्भीर संकट उत्पन्न हो रहे हैं और देश के पशुधन का क्षरण बढ़ रहा है।    ऐसे में अब gm फसलों के खुले परीक्षण और नये-नये क्षेत्रों में विदेशी निवेश को आमन्त्रण जैसी कई आसन्न चुनौतियाँ संकटो के एक नये दौर को जन्म देंगी।
देश के सम्मुख विद्यमान संकटों यथा कृषि योग्य भूमि का बढ़ता अधिग्रहण, बीजों पर विदेशी कंपनियों का बढ़ता कब्जा, पेटेंट कानूनों मे बदलाव की आहट, कृषि व औद्योगिक उत्पादन में गतिरोध, किसानो, बुनकरो व अन्य हस्तशिल्पयों में आत्महत्याओं का अन्तहीन दौर, असन्तुलित रसायनिक कृषि से भूमि का बंजर होते चले जाना, परिवहन विद्युत जनन व वितरण व ऐसी ही आधारित रचनाओं के अभाव जैसी समस्याओं का समाधान नये क्षेत्रों में विदेशी निवेश, विदेशी निवेशकों को उदार शर्तो पर आमन्त्रण, भौतिक संपदा के संरक्षण के नाम पर विदेशी कम्पनियों को एकाधिकार प्रदान करने के प्रयास और सार्वजनिक निजी भागीदारी  के माध्यम से सार्वजनिक संसाधनो को निजी लाभार्जन हेतु देने जैसे वाशिंगटन सहमति जैसे अप्रचलित हो चुके नीति प्रस्तावों से संभव नहीं है।

एतदर्थ, आज यहाँ जयपुर में स्वदेशी संगम के इस समारोप सत्र में हम उद्घोषित करते हैं कि, अब देश व समाज, आर्थिक वैश्वीकरण से आम व्यक्ति के योगक्षेम पर होने वाल आघातों को अधिक समय तक सहन करने को तैयार नहीं है। सर्वसमावेशी, सतत् एवं सन्तुलित विकास के लिए, सम्पूर्ण देशवासियों ने ‘एक मन और एक मस्तिष्क’ का होने का परिचय देते हुए तीन दशक बाद एक प्रबल जनादेश वर्तमान नयी सरकार को प्रदान किया है। ऐसे उदय काल की बेला में हम स्पष्ट शब्दों में इन जन भावनाओं को निम्न शब्दों में उद्घोषित करते हैं:-

कृषि, खुदरा व्यापार और कुटीर, सूक्ष्म एवं लघुउद्योगों के संवर्धन व विकास के लिए अविलम्ब प्रभावपूर्ण  प्रयत्न प्रारम्भ किये जाएँ। अनावश्यक एवं बेलगाम आयातों पर अंकुश लगाते हुए देश के विकेन्द्रित उत्पादन तन्त्र का सशक्तिकरण करते हुए, विदेशी निवेश पर आधारित उत्पादन की नीति के स्थान पर देश में अनुसंधान व विकास (आर एण्ड डी) के माध्यम से वांछित प्रौद्योगिकी के विकास से भारतीय उत्पादों एवं ब्राण्डों के देश-विदेश में स्थापित करते हुए made by india को राष्ट्रीय ध्येय के रूप में क्रियान्वित किया जाए। विकास के सम्पूर्ण प्रयास धारणक्षम विकास अवधारणा  sustainable development पर केन्द्रित होने आवश्यक हैं।

स्वेदशी संगम देश की जनता से आह्वान करता है कि:-

वैश्वीकरण की 23 वर्षों से चल रही जनविरोधी नीतियों के विरूद्ध एक जुट होकर इनका डट कर विरोध करे
अपने जीवन में स्वदेशी के व्रत का पालन का संकल्प ले।

स्वदेशी संगम देश को आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बनाने के कार्य में संलग्न सभी संस्थाओं से अपील करता है कि देश की आर्थिक स्वतंत्रता व संप्रुभता के रक्षार्थ वे एक मंच पर आकर विदेशी पूंजी के वर्चस्व के खिलाफ एकजुट हों।

भारत माता की जय।

दिनांक: 12 अक्टूबर 2014

इन्दिरा गाँधी पंचायती राज संस्थान, जयपुर, राजस्थान