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किसान गजेंद्र सिंह का अंतिम संस्कार, बड़े बेटे ने दी मुखाग्नि

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किसान गजेंद्र सिंह का अंतिम संस्कार, बड़े बेटे ने दी मुखाग्नि
farmer gajendra singh's last rites performed in dausa, congress, bjp hold protest against kejriwal
farmer gajendra singh's last rites performed in dausa, congress, bjp hold protest against kejriwal
farmer gajendra singh’s last rites performed in dausa, congress, bjp hold protest against kejriwal

जयपुर। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की रैली में आत्महत्या करने वाले किसान गजेन्द्र सिंह की गुरुवार को दौसा जिले में उनके पैतृक गांव नांगल झामरवाड़ा में अंत्येष्टी कर दी गई। गजेन्द्र के बड़े बेटे धीरेन्द्र ने मुखाग्नि दी।

अंतिम संस्कार में सरकार की ओर से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ.अरूण चतुर्वेदी और विधायक अल्कासिंह गुर्जर,कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट, पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्रसिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा और नेशनल पीपुल्स पार्टी के विधायक डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, करणी सेना के लोकेन्द्रसिंह कालवी समेत बड़ी संख्या में जन प्रतितिनिधि और ग्रामीण जन मौजूद थे।

शव रोकना पड़ा गांव से बाहर

मृतक गजेन्द्रसिंह का शव बुधवार रात को दिल्ली से उनके पैतृक गांव नांगल झामरवाड़ा लाया गया लेकिन शव को गांव के बाहर ही रोक लिया गया। दरअसल बुधवार को गजेन्द्र की भतीजी की शादी थी, बारात भी आ चुकी थी। शादी की रस्म को जल्दी पूरा कराया गया। भतीजी की विदाई के बाद अंतिम संस्कार की रस्म पूरी करने के लिए शव घर ले जाया गया। मौत की खबर सुनते ही परिवार पर पहाड़ टूट गया। गजेन्द्र के पिता बेहोश होकर गिर पड़े। वहीं गजेन्द्र के बच्चों और पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है।

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farmer gajendra singh’s last rites performed in dausa, congress, bjp hold protest against kejriwal                                                                                                     

परिजनों ने लगाए आम आदमी पर आत्महत्या का आरोप

गजेन्द्र के परिजनों ने आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया है। सुसाइट नोट की हैंडराइटिंग को लेकर परिजनों ने सवाल खड़े किए हैं। गजेन्द्र की बहन का कहना है कि जो खत दिखाया जा रहा है उसकी लिखावट उसकी भाई की लिखावट से अलग है।

परिजन मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं। गजेन्द्र के चाचा जयवीर सिंह ने बताया कि गजेंद्र दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के संपर्क में था और रैली से पहले सुबह 11 बजे वह मनीष सिसोदिया के घर उनसे मिलने भी गया था। उन्होंने बताया कि फसल बर्बाद हो गई थी और किसी ने सही रिपोर्ट नहीं दी थी। वह यही बात उठाने दिल्ली गया था।

गजेंद्र के चचेरे भाई राजेंद्र सिंह ने कहा, बिजली के खंभे पर चढ़कर बिजली के तार काटे जा सकते हैं,, लेकिन पेड़ पर चढ़कर उसे बचाया नहीं जा सकता था। अगर किसी बड़े नेता के घर का कोई मरता तो क्या रैली वैसे ही चल रही होती? वहां बैठकर उसे उकसाया गया है, तब उसने जान दी है।
एक अन्य रिश्तेदार गिरधारी सिंह ने बताया कि हमें टीवी पर देखने के बाद पता चला कि गजेंद्र ने आत्महत्या की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि वहां कोई जंगल थोड़े ना था जहां रैली हो रही थी। वहां कोई आदमी उसे बचाने वाला नहीं था? जब वह पेड़ पर लटकने की कोशिश कर रहा था तब पुलिस ने फायर ब्रिगेड क्यों नहीं बुलाई।मृतक के छोटे भाई श्यामसिंह ने कहा कि मरने से पहले गजेन्द्र ने उसे फोन करके बताया था कि टीवी चालू करो मैं दिखूंगा।

लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरा भाई क्या करने वाला है। उन्होंने कॉल डिटेल निकाले जाने की मांग करते हुये कहा कि मनीष सिसोदिया ने फोन करके उसे बुलाया था। साथ ही कहा कि वे सुसाइड लेटर नहीं था बल्कि नोट था। जिससे वह अपनी ओर ध्यान चाहता था।गजेन्द्र के एक और भाई श्याम सिंह ने कॉल डिटेल निकाले जाने की मांग करते हुए कहा कि मनीष सिसोदिया ने फोन करके उसे बुलाया था। साथ ही कहा कि वे सुसाइड लेटर नहीं था बल्कि नोट था। जिससे वह अपनी ओर ध्यान चाहता था।

राजनीति में भी था सक्रिय

गजेंद्र सिंह महज किसान ही नहीं था वह राजनीति और सामाजिक रूप से भी काफी सक्रिय था। साफा बांधने के हुनर में वो माहिर था। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटनए केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथसिंहए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी समेत कई हस्तियों को उसने साफा बांधा था।

एक मिनट में 12 साफे बांधने का रिकार्ड भी उसके नाम था। वह 36 प्रकार से साफे बांधने में माहिर था। शुरूआत में भाजपा में सक्रिय रहा लेकिन बाद में सपा का दामन थाम लिया। गजेंद्र वर्ष 2006 में दौसा जिले का समाजवादी पार्टी का जिलाध्यक्ष रहा है और उसने वर्ष 2008 में एमएलए का चुनाव लड़ा और चुनाव हार गया था।

अब उसका आम आदमी पार्टी की तरफ झुकाव बढ़ रहा है। वह पिता बने सिंह और मांए पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहता था। उसकी सबसे बड़ी बेटी (15) वर्षीया मेघा 12 वीं में पढ़ रही है तो बड़ा बेटा धीरेंद्र ;(13) कक्षा छह में में तो छोटा बेटा राघवेंद्र कक्षा दो में पढ़ता है। बेटी को जब पता चला कि उनके सर से पिता का छाया छिन गया है तो वह रोते हुए बोली कि अब उनका क्या होगा। यही नहीं घर में मां, दादा तथा उसके दोनों भाइयों के रो-रोकर बुरा हाल है।

उधर मृतक गजेन्द्र के परिजनों को भाजपा की ओर से चार और कांग्रेस की ओर से दो लाख रूपए की सहायता दी गई है। वहीं मुख्यमंत्री ने सरकार की ओर से मुआवजा देने का ऐलान किया है।