Home Business गूगल और बिंग पर पायरेटेड सामग्री खोजना मुश्किल होगा

गूगल और बिंग पर पायरेटेड सामग्री खोजना मुश्किल होगा

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गूगल और बिंग पर पायरेटेड सामग्री खोजना मुश्किल होगा
Google and Bing makes searching for piracy sites more difficult
Google and Bing makes searching for piracy sites more difficult
Google and Bing makes searching for piracy sites more difficult

नई दिल्ली। अब गूगल और बिंग सर्च ईंजन पर पायरेटेड सामग्री ढूंढना मुश्किल हो जाएगा। दुनिया के दो सबसे बड़े सर्च इंजन एक नई आचार नियमावली पर सहमत हुए हैं। इससे ब्रिटेन में पायरेटेड सामग्री उपलब्ध कराने वाली वेबसाइटों का सर्च इंजन में पदानुक्रम घट जाएगा और वह सर्च रिजल्ट में कहीं खो जायेंगी।

सीधे शब्दों में कहें तो अपनी मनपंसद फिल्मों को डाउनलोड करने के लिए टॉरेंट वेबसाइट्स को सर्च इंजन पर खोजना मुश्किल हो जाएगा और फिल्में डाउनलोड नहीं हो सकेंगी। ब्रिटेन में इस प्रयास के सफल होने के बाद अन्य देशों के लिए भी ऐसी प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक इस कोड की योजना ब्रिटेन के बौद्धिक संपदा कार्यालय ने बनाई है, जिसका लक्ष्य सर्च इंजनों, अवैध वेबसाइटों की तरफ ट्रैफिक मोड़ने से रोकना है। यह कोड अपने आप में दुनिया में अलग और अनूठा होगा।

बौद्धिक संपदा के लिए गठजोड़ की महानिदेशक एड़ी लेविटन का कहना है कि लोग असली सामग्री को पाने के लिए सर्च करते हैं लेकिन अक्सर उन्हें पायरेटेड सामग्री मिलती है। हम चाहते हैं कि लोगों की हितों की रक्षा हो और उन्हें सही सामग्री मिले।

गूगल का कहना है कि वह इस कोड के माध्यम से यह देखेगा की यह तरीके कारगर हैं या नहीं। हालांकि यह नियमावली स्वेच्छा से लागू करने की बात कही गई है, लेकिन कॉपीराइट पर नजर रखने वाली सरकारी संस्था अगले कुछ महीनों तक गूगल और बिंग पर नजर रखेगी कि वे इस नियमावाली का कितना पालन कर रहे हैं।

गूगल और अन्य सर्च इंजन लगातार ऑनलाइन पाइरेसी के चलते नुकसान झेल रही मनोरंजन कंपनियों के निशाने पर रहते हैं। इसी के चलते अब गूगल और अन्य सर्च इंजन टोरेंट साइटों पर लगाम लगाने जा रही हैं।

गूगल और अन्य सर्च कंपनियों के साथ और ब्रिटेन की इंटलेक्चुअल प्रोप्रटी ऑफिस की अध्यक्षता में बनी मनोरंजन बॉडी के बीच इस मुद्दे पर वार्ता चल रही थी।

ब्रिटेन के बौद्धिक संपदा अधिकार (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स) की मानें तो नए समझौते के तहत सभी कंपनियों को आगामी पहली जून तक नए नियम बनाने के लिए कहा गया है।