चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित अधिकारियों की एक कमेटी की स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाने की सिफारिशों को स्वीकृति प्रदान की गई।
मंत्रिमंडल ने डॉक्टर जो कि हरियाणा सिविल चिकित्सा सेवा से सेवानिवृत्त हुए हैं तथा जिनकी आयु 65 वर्ष से कम है, को अपनी पसंद के अस्पताल में कोई भी क्लीनिकल दायित्व निभाने के लिए उस द्वारा लिए गए अंतिम वेतन में से पेंशन को घटाकर, के सिद्धांत पर पुन: नियुक्त करने के नीतिगत निर्णय को अनुमोदित किया।
केवल वे इच्छुक डॉक्टर ही पुन: नियुक्ति के लिए पात्र होंगे, जिनकी आयु 65 वर्ष से कम है और आवेदन भरने की तिथि को 65 वर्ष का होने में कम से कम एक वर्ष रहता हो। उन्हें प्राथमिकता के आधार पर तीन अस्पतालों का नाम देना होगा।
उनका वेतन एक जनवरी, 2016 के बाद संशोधित वेतनमानों में नोशनल रूप से निर्धारित किया जाएगा और उस आधार पर उनकी संशोधित पेंशन को संशोधित वेतन से घटा दिया जाएगा और शेष राशि उन्हें वेतन के रूप में दी जाएगी। उन्हें सरकार द्वारा समय-समय पर घोषित डीए के लाभ भी दिए जाएंगे। यह लाभ पेंशन और संशोधित वेतन देय होगा।
संशोधित वेतन पर एनपीए भी देय होगा। पुन: नियुक्ति पर उन्हें अपनी शैक्षणिक डिग्री के आधार पर मेडिकल कंसलटेंट, सीनियर कंसलटेंट एवं कंसलटेंट स्पेशलिस्ट जैसे उचित पदनाम दिए जाएंगे। सेवारत डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु को केवल क्लीनिकल दायित्व निभाने के लिए 58 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किया जाएगा।
58 वर्ष की आयु होने के उपरांत वे उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, निदेशक, अतिरिक्त महानिदेशक, महानिदेशक या कोई अन्य समकक्ष प्रशासनिक पद ग्रहण नहीं कर सकेंगे।
58 साल के बाद विस्तार अवधि के दौरान उन्हें उनकी पसंद के अस्पताल में केवल क्लीनिकल दायित्व ही सौंपा जाएगा। 58 वर्ष का होने से दो मास पहले उन्हें 58 वर्ष के बाद विस्तार अवधि के लिए आवेदन करने और क्लीनिकल क्षमता में कार्य करने के लिए वरीयता के अनुसार अपनी पसंद के तीन अस्पतालों के नाम देने को कहा जाएगा।
दो मास की शर्त एक फरवरी, 2017 से प्रभावी होगी। 31 दिसम्बर और 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो रहे डॉक्टरों को इस नीति के लागू होने से तीन सप्ताह के भीतर आवेदन करना होगा और 30 नवम्बर, 2016 को सेवानिवृत्त हो रहे डॉक्टरों को इस नीति के लागू होते ही तुरंत आवेदन करना होगा।
सरकार तर्कसंगत कारणों के लिए दो मास की शर्त में छूट देगी। 58 वर्ष के बाद की विस्तार अवधि के दौरान डॉक्टरों पर आचरण नियमों के साथ-साथ हरियाणा सिविल सेवा (सजा एवं अपील) नियम लागू रहेंगे।
58 साल की आयु के बाद की सेवा को एसीपी, वेतनवृद्धि तथा अन्य लाभ, यदि लागू हैं, के लिए अर्हता सेवा माना जाएगा। लिए गए अंतिम वेतन में से पेंशन को घटाने के सिद्घान्त पर पुन: नियुक्ति की सुविधा केवल उन डॉक्टरों पर लागू होगी जो इस नीति के लागू होने से पहले सेवानिवृत्त हो गए हैं।
इस नीति के लागू होने के उपरांत यदि कोई डॉक्टर क्लीनिकल दायित्व निभाने का इच्छुक नहीं है और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लेता है तो उसे बाद में पुन: नियुक्ति लेने का विकल्प प्राप्त नहीं होगा।
यदि कोई डॉक्टर 58 वर्ष की आयु के उपरांत क्लीनिकल क्षमता में कार्य करने का इच्छुक नहीं है तो उसे 58 वर्ष की आयु होने पर पूरी पेंशन के साथ स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का विकल्प होगा। यदि कोई डॉक्टर 58 वर्ष की आयु के उपरांत क्लीनिकल दायित्व निभाने की इच्छा व्यक्त करता है तो कार्यालय द्वारा उसके आवेदन और गत दस वर्षों के उसके सेवा रिकार्ड एवं आचरण की जांच की जाएगी।
सेवा रिकार्ड संतोषजनक पाए जाने तथा किसी बड़ी सजा के लिए चार्जशीट लम्बित न होने तथा सत्यनिष्ठा के संदेहजनक न होने पर ही 58 वर्ष के उपरांत सेवा में विस्तार दिया जाएगा। बहरहाल, यदि ऐसी चार्जशीट लम्बित है तो लम्बित अनुशासनात्मक कार्यवाही के परिणाम की शर्त पर ही सेवा में विस्तार दिया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, मंत्रिमंडल की बैठक में लाला लाज पतराय पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार को विश्वविद्यालय परिसर के विस्तार के लिए 299 एकड़ सात कनाल एक मरला भूमि के एवज में पशुपालन एवं डेरी विभाग की 1125 एकड़ भूमि एक रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से 25 वर्षों के लिए हस्तांतरित करने के पशुपालन एवं डेरी विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई।