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राम ने हंसकर सब सुख त्यागे

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राम ने हंसकर सब सुख त्यागे

सबगुरु न्यूज। कहा जाता है कि राम का नाम सदा मिश्री की तरह से मीठा होता है और बोलते ही एक असीम आनंद की लहर दिल में जग जाती है, इसी आनंद के बलबूते व्यक्ति जीवन के सब सुख त्याग कर दूसरों के दुखों को हल्का करने में ताउम्र लगा रहता है।

राम रतन धन पाकर राजाओं ने राज छोड़ दिए और जन कल्याण में लगकर सभी की सेवा करते वे भवसागर से पार हो गए। जमीनी हकीकत भी यही है कि व्यक्ति राम नाम के धन को पाकर फिर लोभ लालच ओर अंहकार से परे हो जाता है। सेवामय होकर एक ऐसे आदर्श को स्थापित करता है जहां हर तकलीफ भी बौनी हो जाती है।

नाम ही अनन्त होता है और उसका कभी अंत नहीं होता। इस सृष्टि में दिखने वाली हर सजीव व निर्जीव वस्तु का भी अंत हो जाए तो भी नाम शब्द की गूंज शून्य में भी गूंजती रहेगी।

जिसने ह्रदय में राम नाम की माला को धारण कर लिया है उसे फिर किसी भी माला जपने की जरूरत नहीं होती। चलते फिरते में इस नाम का स्मरण कर लिया तो वह चाहे कितनी भी मुसीबत में घिरा हो, वहां भी परमात्मा नौकर या दास बन कर आ जाता है।

जिसनें राम नाम के हीरे मोती हर जगह बिखरा दिए हैं, वे त्यागी बन गए, उन्हें भी असीम आनंद की प्राप्ति हो गई। भक्त प्रह्लाद, धुरव को इस नाम के उच्चारण से मजा आ गया और हनुमानजी भी मगन हो गए तथा उलटा नाम जपने वाले बाल्मीकि भी ब्रहम के समान ऋषि हो गए।

संत जन कहते हैं कि हे मानव, राम राम रटने से ही कुछ नहीं होगा जब तक तू राम नाम को ह्रदय में धारण में नहीं करता। ह्रदय में जब राम का नाम धारण हो जाएगा तब तू इस भवसागर से पार हो जाएगा।

ह्रदय में जब राम राम का नाम धारण हो जाएगा तब तेरे मन में लोभ लालच, अंहकार धोखा आदि सभी नहीं रहेंगे तो ही ये राम नाम अपना असर दिखाएगा वरना सदियों तक तू उस कितना भी खेल तमाशा कर ले तू राम भक्त नहीं केवल बाजीगर ही रह जाएगा।

सौजन्य : भंवरलाल