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नया सूरज निकला फिर चांद को ढूंढने

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नया सूरज निकला फिर चांद को ढूंढने

सबगुरु न्यूज। जब नोबत नगाड़े बजने बन्द हो जाते हैं तब तूतियां ओर अलगोजे हर गली मोहल्ले ओर शहरों से अपनी गर्जना करने लगते हैं और यह सिद्ध करने की नाकाम कोशिश करते हैं कि इस दुनिया में तुम्हारे सबसे ज्यादा हमदर्द हम हैं, हम तो पहले ही जानते थे कि तुम ग़लत धारा में बह रहे हो, ग़लत संगीत पर मस्त हो कर नाच रहे हो, उन्होंने तो केवल बजाने वालों का चोला ही पहन रखा है लेकिन वास्तव में बजाना तो हम ही जानते हैं।

तूतियों ओर अलगोजो की दुनिया कुछ ऐसी ही होती हैं इन्हें इनाम देते रहो और अपनी शान शौकत के स्वर बजवाते रहो तो यह नाग को भी नाग देव बोलने लग जाएंगे और देवताओं की मूर्ति को पाखंड और अंध विश्वास की संज्ञा दे उनका मखोल उड़ाएंगे। सांप निकल जाने के बाद एक महा ग्रंथ लिखकर सूरज और चांद की तरह देश ओर दुनिया के सच्चे रखवाले बनेंगे।

आज फिर नया सूरज निकला अपने खोए हुए चांद को ढूंढने। रात भर सूरज निहारता रहा लेकिन चांद और तारों की दुनिया नज़र ना आई। नया सूरज कुछ समझ नहीं पा रहा था कि ये बादलों की साजिश थीं या देव कन्याओ का कोई एक माया जाल था। अचानक एक बिज़ली चमकी आसमान से नहीं धरा से और यह सब कुछ देखते देखते ही सूरज आगे बढ रहा था। वह सब कुछ समझ गया कि यह सितारों की दुनिया का नहीं मानवी दुनिया का कमाल था।

शाम ढलते ही सूरज को चांद आता हुआ दिखाई दिया तब सूरज लाल हो मुस्कुरा कर चल दिया। तारों को कुछ समझ नहीं आया ओर वो चांद सें पूछने लगे सूरज लाल क्यो हो रहा है? चांद बोला आज देवराज इंद्र घबरा गए थे और अपना राज पाट खो बैठे क्योकि मायावी दानवों ने स्वर्ग पर अपना अधिकार कर लिया और दानवों को मारने के लिए इन्द्र ने मानव की मजबूत हड्डियां दान में मांग ली। मानवों ओर ऋषियों में श्रेष्ठ दधीच ऋषि ने अपनी हड्डियों का दान वज्र नाम के अस्त्र के लिए दे दी।

रात भर हम घने बादलों के जाल में फंस गए इसलिए सूरज लाल था और उसे मालूम पडा कि अब देवराज इंद्र जीत जाएंगे इसलिए मुस्कुरा गया। महान ऋषि के महान् दान से यह संसार सदा ऋणी रहेगा। संत जन कहतें है कि हे मानव तू महर्षि दधीच की तरह नहीं तो कम से कम ग़लत विषय का त्याग करना तुझे सदा आनंद मिलेगा।

सौजन्य : भंवरलाल