Home Breaking यूएन में भारत की बडी जीत, भंडारी दूसरी बार चुने गए जज

यूएन में भारत की बडी जीत, भंडारी दूसरी बार चुने गए जज

0
यूएन में भारत की बडी जीत, भंडारी दूसरी बार चुने गए जज
icj election : india's dalveer bhandari re elected to icj after britain pulls out
icj election : india's dalveer bhandari re elected to icj after britain pulls out
icj election : india’s dalveer bhandari re elected to icj after britain pulls out

संयुक्त राष्ट्र। भारत ने उस वक्त एक बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल की जब उसके दावेदार न्यायाधीश दलवीर भंडारी सोमवार को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश चुने गए। वह दूसरी बार आईसीजे के न्यायाधीश चुने गए हैं।

इस दौड़ में ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड शामिल थे। लेकिन, संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय न्यायाधीश के पक्ष में बहुमत सामने आने के बाद ब्रिटेन ने अपने कदम पीछे खींचते हुए ग्रीनवुड की दावेदारी को वापस ले लिया और इसके बाद भंडारी इस पद पर दोबारा नियुक्त हुए।

भंडारी ने चुनाव के बाद असेंबली चेंबर में कहा कि मैं उन सभी देशों का आभारी हूं, जिन्होंने मेरा सहयोग किया। आप जानते हैं, यह एक बड़ा चुनाव था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईसीजे में भंडारी के दोबारा चुने जाने पर उन्हें मंगलवार को बधाई दी।

मोदी ने कहा कि उनका दोबारा चुना जाना हमारे लिए गौरवान्वित करने वाला पल है। मोदी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके विभाग को भी भारत की जीत के लिए उनके अथक प्रयासों के लिए बधाई दी।

भंडारी के चुनाव के बाद सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर कहा कि वंदे मातरम-भारत ने चुनाव जीत लिया। विदेश मंत्रालय ने किए अथक प्रयास। उन्होंने विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन की सराहना की। भंडारी का कार्यकाल फरवरी 2018 से शुरू होगा।

ब्रिटेन के उम्मीदवार द्वारा नाम वापस लिया जाना सुरक्षा परिषद के लिए झटका है क्योंकि सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों और महासभा के सदस्यों में उम्मीदवारों को लेकर टकराव था। ग्रीनवुड को सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों का समर्थन हासिल था।

इस पद पर चुनाव के लिए किसी भी उम्मीदवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद, दोनों चेंबर में बहुमत हासिल करना होता है। भंडारी ने दो बैठकों में पहले 11 दौर के मतदान में महासभा में बहुमत हासिल किया जबकि परिषद ने मतदान के 10 दौर में ग्रीनवुड का समर्थन कर भंडारी के राह मुश्किल बनाई।

एक राजनयिक ने कहा कि ब्रिटेन को आखिरकार बहुमत के आगे झुकना पड़ा। भारतीयों ने उन्हें झुका दिया। परिषद के स्थाई सदस्यों में से एक का सदस्य पारंपरिक रूप से आईसीजे में जज होता है। इसे एक अधिकार जैसा मान लिया गया था लेकिन इस बार 193 सदस्यीय महासभा ने अपनी आवाज को पुरजोर तरीके से उठाया।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष मिरोस्लाव लाजकैक और सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष सेबस्टियानो कार्डी को लिखे पत्रों में ब्रिटेन के स्थाई प्रतिनिधि मैथ्यू रायक्राफ्ट ने कहा कि उनका देश भारत और ब्रिटेन के बीच करीबी संबंधों को ध्यान में रखते हुए ग्रीनवुड की उम्मीदवारी वापस ले रहा है।

भंडारी का चुनाव भारत के लिए भाग्यशाली साबित हुआ क्योंकि वह आईसीजे में एशियाई सीट लेबनान के वकील से राजनयिक बने नवाज सलाम से हार गए थे। नवाज को संयुक्त राष्ट्र में इस्लामिक सहयोग संगठन से संबद्ध 55 सदस्य देशों का समर्थन हासिल था।

भंडारी को दूसरा मौका सिर्फ इसलिए मिला क्योंकि ब्रिटेन के उम्मीदवार को महासभा में बहुमत नहीं मिला। भंडारी को महासभा में उन देशों का समर्थन मिला जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को आज के समय के हिसाब से सही प्रतिनिधित्व वाला नहीं मानते और वे इसके वर्चस्व को चुनौती देने के लिए भंडारी के पक्ष में लामबंद हो गए।

भंडारी को 13 नवंबर को हुए मतदान के आखिरी दौर में 121 वोट मिले। उन्हें 193 सदस्यीय महासभा में दो-तिहाई बहुमत से थोड़े ही कम वोट मिले, जबकि ग्रीनवुड को सुरक्षा परिषद में नौ वोट मिले।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने गुरुवार को भंडारी के लिए दिए गए भोज में 160 देशों के राजनयिकों की मौजूदगी के बाद कहा था कि रुख स्पष्ट है। जैसा कि 21वीं सदी में उम्मीद है कि जिस उम्मीदवार को महासभा में अत्यधिक सहयोग मिलेगा, सिर्फ वही उम्मीदवार वैध हो सकता है।

राजनयिकों का कहना है कि ब्रिटेन ने पिछले सप्ताह ही संकेत दे दिए थे कि वह ग्रीनवुड की उम्मीदवारी वापस ले रहा है लेकिन सप्ताहांत में कुछ स्थाई सदस्य देशों द्वारा उनका समर्थन करने की वजह से तस्वीर थोड़ी बदली थी।

नौ नवबंर को हुए मतदान के शुरुआती चार दौर में सलाम के साथ आईसीजे के तीन निवर्तमान न्यायाधीश फ्रांस के अध्यक्ष रॉनी इब्राहिम, सोमालिया के उपाध्यक्ष अब्दुलवाकी अहमद यूसुफ, ब्राजील के एंटोनियो अगस्तो कानकाडो त्रिनडाडे को भी निर्वाचित किया गया था।