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सरकार ने नहीं सुनी तो कर्मचारियों ने बजरंग बली को सौंपा ज्ञापन

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सरकार ने नहीं सुनी तो कर्मचारियों ने बजरंग बली को सौंपा ज्ञापन
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सबगुरु न्यूज उदयपुर। अब तक हम सड़क से संसद तक आंदोलन की गूंज सुनते आए हैं, लेकिन शनिवार को उदयपुर में आंदोलन सड़क से ईश्वर के दरबार तक गूंजा। उदयपुर में एक कम्पनी के सताए 137 कर्मचारियों की बात जब मंत्री-संतरी किसी ने नहीं सुनी तो सभी ने मिलकर दिया संकट मोचक हनुमानजी को अपना ज्ञापन सौंपा। साथ ही, रामभक्त हनुमान के प्रिय रोट का भोग भी लगाया गया।

उदयपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर नेशनल हाइवे 76 के भटेवर रोड पर बने श्री मंशापूर्ण हनुमान जी के मंदिर में एक कम्पनी के 137 कर्मचारी ढोल नगाडे़ बजाते हुए और जय हनुमान के जयकारों के साथ ही हाथ मे रोट लिए उनका गुणगान करते हुए अपने संकटों को हरने की गुहार लगाने के लिए आए ये सभी कर्मचारी पवन चक्की बनाने वाली रिजन पावन टेक कम्पनी के स्थाई कर्मचारी हैं, जो आज से 26 दिन पहले तक कम्पनी में रोजाना की तरह काम कर रहे थे।

इन कर्मचारियों पर 7 जुलाई को संकट के बादल तब मंडराए जब कम्पनी ने एक पत्र जारी कर इन्हें कहा कि कम्पनी के पास कोई वर्क ऑर्डर नहीं है इसलिए कम्पनी ने ले-ऑफ घोषित किया है। इस ले-आॅफ के चलते इन सभी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाकर कम्पनी मे प्रवेश वर्जित कर दिया गया। साथ ही यह भी कहा कि रोज सुबह 9 से 10 बजे हाजरी में साइन करने आएं और 2 हजार रुपया प्रतिमाह ले जाएं।

कर्मचारियों ने कम्पनी के इस फरमान को तानाशाही बताते हुए कथित ले-आॅफ के दिन से ही यह सभी कर्मचारी यहां कम्पनी के बाहर ही धरना लगाए बैठे हैं। दिन के पूरे 24 घण्टे सुबह से लेकर रात तक तेज बारिश में भीगते हुए और कीचड़ में भी यहीं टिके रहना इनकी मजबूरी बन गई है। कर्मचारियों का कहना है कि अगर वो यहां से चले गए तो कम्पनी कभी भी अपना सामान समेटकर चली जाएगी।

रिजन पावर टेक के बाहर कम्पनी के खिलाफ नारेबाजी कर रहे इन कर्मचारियों ने अपनी समस्या से हर एक उस विभाग और अधिकारी को अवगत कराया है, जहां से इन्हें समाधान की उम्मीद थी। पिछले 26 दिनों से बेरोजगार हुए इन लोगों ने जिला कलेक्टर, चित्तौड़गढ़ सांसद, विधायक, एसडीएम, श्रम विभाग सहित सम्बन्धित अधिकारियों को अपना ज्ञापन सौंपा लेकिन अभी तक ना कोई आश्वासन मिला और ना ही कम्पनी प्रबंधन ने इनसे किसी तरह की कोई वार्ता की है।

कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति अब इतनी खराब हो गई है कि इन्हें लगने लगा है कि जिस परिवार का भरण पोषण ये स्वयं करते थे अब उसी परिवार पर ये स्वयं को बोझ समझने लगे हैं। इनका कहना है कि कम्पनी ने जब इन्हें काम पर लिया था तो एग्रीमेन्ट के साथ रखा था लेकिन अचानक कम्पनी द्वारा ले-ऑफ कर देने से ये सभी सड़क पर आ गए।

बारिश मे एक कर्मचारी का कच्चा मकान ढह गया है, मरम्मत करवाने के लिए पैसे नहीं हंै, इधर कई कर्मचारियों ने कम्पनी से मिलने वाली तनख्वाह के बूते लोन ले रखे हैं जिसकी किस्त चुकाना अब भारी पड़ रहा है।

बहरहाल कर्मचारियों का धरना जारी है और विभागों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक चक्कर लगाने के बाद अब इन कर्मचारियों को सिर्फ बजरंग बली से ही न्याय की उम्मीद है।