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दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार भारत

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दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार भारत
india is the world's largest weapons importer in word
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स्टॉकहोम। भारत दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है। इसने 15 प्रतिशत हथियार दुनिया के देशों से खरीदे हैं।

सऊदी अरब और चीन दूसरे व तीसरे स्थान पर हैं। यह बात स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट(सिपरी) की रपट में कही गई है।
जर्मनी को पछाड़कर चीन दुनिया की तीसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बन गया है। हालांकि हथियारों की बिक्री के मामले में अमेरिका और रूस अभी भी क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर कायम हैं।
सिपरी की रपट में कहा है कि हथियारों की बिक्री में अमेरिका (31 फीसदी), रूस (27 फीसदी) और चीन की हिस्सेदारी पांच फीसदी हो गई है।
सैन्य उत्पादों के निर्यात में चीन की हिस्सेदारी भले ही मामूली हो लेकिन 2005 से 2009 के मुकाबले 2010-14 के बीच चीन का हथियार निर्यात 143 फीसदी बढ़ा है। इस दौरान अमेरिका से हथियार निर्यात 23 फीसदी और रूस का हथियार निर्यात 37 फीसदी बढ़ा।
रपट के अनुसार, 1980 और 90 के दशक में हथियारों की बिक्री गिरने के बाद वर्ष 2010-14 के बीच इसमें 16 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जर्मनी और फ्रांस से हथियार निर्यात में गिरावट का फायदा चीन को मिला है।
सिपरी के मुताबिक, पिछले कुछ सालों से चीन ने कम लाभ वाले हथियारों की बजाय महंगे सैन्य उत्पादों जैसे लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों की बिक्री पर जोर दिया है।
सिंगापुर में इंटरनेशनल स्टडीज स्कूल के सीनियर फेलो एस राजारत्नम का कहना है कि ज्यादातर देश चीन के सैन्य उत्पादों को विश्वसनीय नहीं मानते लेकिन यह उन देशों के लिए मुफीद है, जो कम लागत में हथियारों की चाहत रखते हैं। या फिर उत्तर कोरिया, ईरान जैसे देश, जिन्हें अमेरिका हथियार नहीं बेचना चाहता।
हालांकि सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि क्षेत्रीय संतुलन के साथ हथियारों के बाजार और खरीदारों में चीन को अपनी साख कायम करनी है। अमेरिका, रूस से ज्यादातर हथियारों का निर्यात एशियाई और मध्यपूर्व देशों को हो रहा है, जहां चीन का रणनीतिक प्रभुत्व न के बराबर है। सीमावर्ती विवादों के कारण तमाम पड़ोसी देश चीन से हथियार नहीं खरीदते।
अमेरिका और यूरोप की चिंताओं के बाद तुर्की ने चीन से तीन अरब डॉलर का एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम का सौदा लटक गया। इसी तरह ध्वनि की गति से तेज चीन का जे-31 स्टील्थ लड़ाकू विमान को भी खरीदार नहीं मिल रहे। भारी लागत और खराब गुणवत्ता का इंजन भी इसकी एक वजह है।
पांच साल पहले चीन भारत और सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक भी थे। उस दौरान रूस, फ्रांस और यूक्रेन उसे भारी मात्रा में हथियारों का निर्यात कर रहे थे। 70 फीसदी हथियार भारत ने रूस से खरीदे हैं।
चीन ने अपने दो तिहाई हथियार पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार को बेचे। इसने बख्तरबंद वाहन, परिवहन और प्रशिक्षण विमान, पोतरोधी मिसाइल का निर्यात भी किये हैं।

 

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