Home Business यूपीए की तुलना में अर्थव्यवस्था आज बेहतर स्थिति में : अरविन्द पनगडि़या

यूपीए की तुलना में अर्थव्यवस्था आज बेहतर स्थिति में : अरविन्द पनगडि़या

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यूपीए की तुलना में अर्थव्यवस्था आज बेहतर स्थिति में : अरविन्द पनगडि़या
Indian economy is in much better shape : Arvind Panagariya
Indian economy is in much better shape : Arvind Panagariya
Indian economy is in much better shape : Arvind Panagariya

जयपुर। किसी भी सरकार का आकलन इस बात पर आधारित नहीं होना चाहिए कि सरकारी तंत्र में क्या कमियां चलती आ रहीं है बल्कि सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई प्रगति पर आधारित होना चाहिए।

एक दशक में लम्बे विराम के पश्चात्, सरकार अर्थव्यवस्था को सुधार के पथ पर ले आई है। हालांकि इस सरकार ने पुरानी गलतियों को सुधारने की दिशा में काफी हद तक प्रगति की है लेकिन बहुत कुछ किया जाना बाकि है।

मेक इन इंडिया कार्यक्रम की चुनौतियां जैसे कि बैंको की दशा में सुधार करना तथा विनिर्माण क्षेत्र में विकास दर को बढाना ताकि अधिकाधिक रोजगार अवसर मुहैया कराये जा सके, अभी भी बाकि हैं लेकिन प्रगति की दिशा सही है।

नीति कार्यान्वन तथा परिणामों के मध्य काफी अंतराल हैं लेकिन आने वाले वर्षों में हमें बढ़ी हुई वृद्धि दर तथा गरीबी की दर में कमी देखने को मिलेगी।

राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में दो वर्षों पर अर्थव्यवस्था विषय पर शनिवार को आयोजित व्याख्यान के दौरान प्रख्यात अर्थशास्त्री तथा नीति आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. अरविन्द पनगडि़या ने यह बात कही।

योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग के निर्माण को उन्होंने सही ठहराया। वर्तमान में नीति आयोग 7 वर्षीय नीति तथा 3 वर्षींय अल्पकालीन समष्टि ढांचागत योजना के साथ 15 वर्षींय दूरदर्शी योजना पर कार्य कर रहा है।

अर्थव्यवस्था की पृष्ठभूमि समझाते हुए उन्होंने कहा कि 2004 में एनडीए ने यूपीए को एक ऐसी सरकार सौपी थी जिसकी 2003-04 में 8.1 फीसदी वृद्धि दर थी।

इस ऊंची विकास दर के कारण अर्जित हुए राजस्व का लाभ लेते हुए यूपीए प्रथम सरकार ने सामाजिक कार्यक्रमों का विस्तार तो किया किन्तु यह ऐसे कोई उपाय नहीं कर सकी जिससे की इस विकास दर को लम्बे समय तक बनाए रखा जा सकता।

यूपीए प्रथम का एक अच्छा कार्यकाल रहा लेकिन यूपीए द्वितीय में नीति अपंगता के कारण अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ और इस कारण अर्थव्यवस्था एक ऐसी दशा में पहुंच गई जो एक संकट प्रतीत हो रहा था तथा लोगों ने सोचा कि अर्थव्यवस्था 1991 के संकट की दशा में पहुंच गई है।

आज अर्थव्यवस्था यूपीए द्वितीय के अंतिम वर्ष की तुलना में सभी समष्टि चरों मे ज्यादा बेहतर हैं। पर्यावरण मंत्रालय सहित सरकार का एक बड़ा शुरूआती कार्य तंत्र की अपंगता को समाप्त करना था। अनगिनत परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाते हुए सरकार ने इस कार्य को सफलता-पूर्वक किया।

उन्होंने सरकार द्वारा लिए गए कई सुधार कार्यों को विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि कोयला तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी में पारदर्शिता, एफडीआई सुधार, श्रम सुधारो के कारण महिलाओं द्वारा रात्रि शिफ्ट में कार्य करना तथा साप्ताहिक अतिरिक्त कार्य के घंटो का बढ़ना, कर सरलीकरण तथा सुधार, फर्मों के बर्हिगमन के नियमों को सरल बनाया गया तथा सरकार की स्मार्ट सिटी स्कीम लागू की गई जो आने वाले समय में काफी उपयोगी साबित होगी।

सामाजिक क्षेत्र के सुधार कार्यक्रमों पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया बहुत सारे बेनामी खातों के कारण वृहद् सामाजिक कार्यक्रम जैसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली उर्वरकों तथा एलपीजी सिलेंडरों पर मिलने वाले अनुदान एक बड़े रिसाव का कारण बने रहे हैं। इन रिसावों को डीबीटी तथा आधार कार्ड व्यवस्था द्वारा रोके जाने की व्यवस्था शुरूआत की है।

नीति आयोग के निदेशक प्रो. जय वीर सिंह ने अपने स्वागत भाषण के दौरान बताया कि इस व्याख्यान का उद्देश्य सरकार द्वारा पिछले दो वर्षो में किए गए अधिक सुधारों से जुड़ी शंकाओं का निवारण करना था तथा यह दर्षाना था की भारत की उच्च वृद्धि दर वास्तविक है अथवा आकलन विधि में परिवर्तन के कारण है। डॉ. मीता माथुर ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा धन्यवाद ज्ञापन किया।