Home Business तकनीकि हस्तांतरण की शर्त पर हो सकती है पांचवीं पीढी के लडाकू विमान खरीद

तकनीकि हस्तांतरण की शर्त पर हो सकती है पांचवीं पीढी के लडाकू विमान खरीद

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तकनीकि हस्तांतरण की शर्त पर हो सकती है पांचवीं पीढी के लडाकू विमान खरीद
fifth generation fighter aircraft
 fifth generation fighter jet
fifth generation fighter aircraft

प्रशान्त झा

अजमेर। लम्बे समय से भारत और रूस के बीच लम्बित पांचवी पीढी के लडाकू विमान (एफ.जी.एफ.ए.) के साझा विकास का समझौता अपने अन्तिम चरण में है। रूस यदि विमान के तकनीकि हस्तांतरण पर सहमत होता है तो निकट भविष्य में दोनों देश समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।

भारतीय रक्षा मंत्रालय की मांग है कि साझा विकास के तहत विमान के विकास का कुछ कार्य भारत में भी किया जाए ताकि भारतीय इंजीनियरों को विमान के डिजाईन एवं निर्माण का अनुभव हासिल हो सके। इसी पेच को लेकर वार्ता जून 2013 से अटकी हुई थी जिसपर मतभेद काफी हद तक दूर कर लिए गए हैं।

यह विमान पांचवी पीढी का स्टैल्थ लडाकू विमान होगा जो अमरीका के एफ 22 और एफ 35 की श्रेणी का होगा इसके डिजाईन और विकास का समझौता करीब 26 हजार करोड (लगभग 4 बिलियन अमरीकी डॉलर) का होगा और पहला प्रोटोटाईप समझौते के लगभग तीन साल बाद भारत को परीक्षण ट्रायल हेतु उपलब्ध हो पाएगा जिसके समस्त मानकों पर खरा उतरने के पश्चात विमान को अंतिम रूप से उत्पादन हेतु तैयार होने में सात साल का समय लगेगा।

इस विमान का डिजाईन रूस द्वारा विकसित पीएके—एफए (प्रोस्पैटिव एयरबॉर्न कॉम्पलैक्स आफर्फन्टलाईन एविएशन) प्रोजेक्ट के विमान टी—50 पर आधारित है जिसका प्रोटोटाईप अभी रूस में परीक्षणों के दौर में है। इस विमान के भारतीय संस्करण एफजीएफए पीएके—एफए टी—50 एमकेआई हेतु भारत द्वारा सुझाए गए सुधारों में से इंजन और रेडार सहित 40 को मान लिया गया है जिस पर कार्य किया जाना है।

वर्तमान संस्करण में एएल 41—एफ1 इंजन लगाया गया है जो भारतीय वायू सैना के अनुसार भारत के सुखोई 30 एमकेआई के इंजन एएल 31 एफपी का ही संशोधित रूप है, भारत इसमें तेज उडान क्षमता वाले सुपर क्रूज इंजन के साथ 360 डिग्री तक कार्य करने वाला रेडार व विस्तृत स्टैल्थ फ्रीचर चाहता है जिससे विमान दुश्मन के रेडार को चकमा देने में सक्षम हो सके। सुपर क्रूज ​इंजन विमान को विलक्षण ​गतिशीलता देगा जिसके लिए सुखोई के विमान विश्व में अपनी अलग पहचान रखते हैं।

यदि दोनों देश समझौते पर सहमत होते हैं तो भारत बडे पैमाने पर इस विमान का सौदा करने का मानस बना रहा है ​और यह संख्या 200 तक हो सकती है।

वर्तमान परिपेक्ष में भारत के दोनों पडौसी देश चीन और पाकिस्तान तेजी से अपनी ताकत बढा रहे हैं जबकि भारतीय वायू सैना अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, उसके पास अधिकृत 42 स्कवॉड्रन के मुकाबले केवल 32 स्कवॉड्रन सेवारत विमान ही बचे हैं ऐसे में यदि हमें चीन और पाकिस्तान से एकसाथ दोनों मोर्चों पर युद्ध लडना पडा तो भारी कीमत चुकानी पड सकती है जिसके लिए हम पूरी तरह सुखोई 30 एमकेआई पर निर्भर हैं जबकि चीन रूस से अपेक्षाकृत अधिक उन्नत व आधुनिक रेडार युक्त सुखोई 35 खरीद चुका है।

इसे देखते हुए हमें अपनी हवाई उत्कृष्टा बरकरार रखने के लिए पांचवी पीढी के सुखोई पीएके—एफए टी—50 एमकेआई विमान की नितांत आवश्यकता है, यह विमान यदि भारत ​के सुझाए सुधारों के अनुरूप तैयार होता है तो यह विश्व का श्रेष्ठतम विमान होगा जो 4++ पीढी के राफेल से बहुत ​अधिक ताकतवर होगा जिस​की तुलना ​केवल मात्र अमरी​की एफ 35 से ​ही की जा सकेगी जो हमे क्षेत्र में वायु क्षमता में अजेय बना देगा।